उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की एक विधानसभा सीट है अल्मोड़ा विधानसभा सीट. उत्तराखंड की राजनीति में अल्मोड़ा जिला मुख्यालय की इस सीट की गिनती महत्वपूर्ण सीटों में की जाती है. अल्मोड़ा का ये विधानसभा क्षेत्र कभी कुमाऊं की राजधानी के रूप में पहचान रखता था. चंद राजा यहीं से अपना शासन चलाया करते थे और आज भी ये उत्तराखंड की राजनीति का केंद्र है.
अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति चंद राजाओ के काल से ही प्रसिद्ध है. गोलू देवता का मंदिर, कसार देवी, नंदा देवी, शैय देवी समेत यहां नौ देवी और अष्ट भैरव मंदिर हैं इसलिए इसे देवताओं का शहर और कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. ब्रिटिश काल के दौरान भी अल्मोड़ा से ही शासन का संचालन होता था.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अल्मोड़ा विधानसभा सीट के लिए उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कैलाश शर्मा विधायक निर्वाचित हुए थे. 2007 और 2012 में ये सीट कांग्रेस के पास रही. 2007 में कांग्रेस के मनोज तिवारी इस सीट से पहली दफे विधानसभा पहुंचे थे. मनोज तिवारी ने 2012 के चुनाव में भी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा था.
2017 का जनादेश
अल्मोड़ा विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मनोज तिवारी लगातार तीसरी जीत की तलाश में उतरे थे. बीजेपी ने उनके सामने रघुनाथ सिंह चौहान को मैदान में उतारा. बीजेपी के रघुनाथ ने जीत की हैट्रिक लगाने के मनोज तिवारी के मंसूबों पर पानी फेर दिया. रघुनाथ सिंह चौहान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मनोज को पांच हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था.
सामाजिक ताना-बाना
अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र के तहत नगरीय के साथ ही ग्रामीण इलाके भी आते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 हजार मतदाता हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो अल्मोड़ा बारामंडल विधानसभा सीट सवर्ण बाहुल्य सीट मानी जाती है. इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम तय करने में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
अल्मोड़ा विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के रघुनाथ सिंह चौहान सूबे की विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी हैं. रघुनाथ सिंह चौहान अल्मोड़ा बारामंडल विधानसभा सीट के पहले जागेश्वर विधानसभा सीट से भी विधायक रहे हैं. रघुनाथ सिंह का दावा है कि उनके कार्यकाल में सड़क, बिजली और पानी के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी कार्य हुए हैं. वे अल्मोड़ा में विश्वविद्यालय की स्थापना को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं.
(रिपोर्ट- गीतेश त्रिपाठी)