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Bageshwar Assembly seat: कांग्रेस का रहा है प्रभाव, फिर बीजेपी को कैसे मिलती है जीत?

बागेश्वर विधानसभा सीट: बागेश्वर में पहले से ही पार्टी आधारित वोट पड़ते हैं. मतलब ये कि प्रत्याशी के नाम पर 5% वोट पड़ते हैं तो बाकी 95% वोट पार्टी के नाम पड़ते हैं. बागेश्वर में कांग्रेस का अधिक प्रभाव है.

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Uttarakhand Assembly Election 2022( Bageshwar Assembly Seat)
Uttarakhand Assembly Election 2022( Bageshwar Assembly Seat)

सरयू व गोमती के संगम पर स्थित बागेश्वर, कुमाऊं की काशी के नाम से प्रसिद्ध तीर्थस्थान है. यहां बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय जनता बागनाथ या बाघनाथ के नाम से जानती है. इसी मंदिर के नाम पर इस जिले का नाम बागेश्वर पड़ा है. मकर संक्रांति के दिन यहां उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला लगता है. इस मेले को भारत समेत नेपाल व तिब्बत की व्यापारिक मंडी के तौर पर भी जाना जाता है. 

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स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान रहा है. अंग्रेजों के खिलाफ देश का पहला आंदोलन यहीं सरयू के तट पर क्रांतिकारी पंडित बद्री दत्त पांडेय के नेतृत्व में हुआ था. 1920 में कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहां के लोगों ने आंदोलन छेड़ दिया था.  

इस आंदोलन के बारे में सुनकर महात्मा गांधी 1929 में बागेश्वर आए और अपने 14 दिन के प्रवास के दौरान सभी क्रांतिकारियों से मुलाकात कर आगे की रणनीति बनाई.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट पर अब तक 4 बार चुनाव हुए हैं. पहले चुनाव में कांग्रेस के राम प्रसाद टम्टा चुनाव जीते. उसके बाद दूसरा, तीसरा और चौथा चुनाव बीजेपी के चंदन राम दास ने जीतकर हैट्रिक लगाई.

बागेश्वर विधानसभा सीट पर चंदन राम दास का अच्छा खासा दबदबा है. बागेश्वर में पहले से ही पार्टी आधारित वोट पड़ते हैं. मतलब ये कि प्रत्याशी के नाम पर 5% वोट पड़ते हैं तो बाकी 95% वोट पार्टी के नाम पड़ते हैं. बागेश्वर में कांग्रेस का अधिक प्रभाव है. मगर कई गुटों में बंट जाने से इसका नतीजा बीजेपी के पक्ष में चला जाता रहा है.

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सामाजिक ताना-बाना

बागेश्वर उत्तराखंड के 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. बागेश्वर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, अभी बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में 1,14,818 मतदाता हैं. इनमें 58,390 पुरुष और 56,428 महिला मतदाता हैं. 4,621 सर्विस मतदाताओं में से 4,531 पुरुष और 90 महिलाएं हैं. यहां जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा सवर्ण, खासकर क्षत्रिय हैं. अनुमान के मुताबिक, यहां करीब 65% वोटर ब्राह्मण व क्षत्रिय हैं. बाकी  35% में एससी, एसटी और ओबीसी मतदाता हैं.

2017 का जनादेश

2017 के विधानसभा चुनाव में बागेश्वर सीट पर कुल 5 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रहा. बागेश्वर सीट पर कुल 67,479 लोगों ने वोटिंग की. बीजेपी के उम्मीदवार चंदन राम दास को 33,792 (50%) वोट मिले जबकि कांग्रेस के बालकृष्ण को 19,225 (28.4%) वोट मिले. बीजेपी 14,567 वोटों के भारी अंतर से जीत गई.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड

बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास का जन्म 10 अगस्त 1957 को हुआ था.  उनके पिता का नाम रतन राम है. उन्होंने एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी से स्नातक किया है. चंदन राम दास 1997 में बागेश्वर में निर्दलीय नगर पालिकाध्यक्ष निर्वाचित हुए. उसके बाद वे कांग्रेस के साथ जुड़े मगर 2006 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया. 2007 में भाजपा के टिकट पर  पहली बार बागेश्वर विधानसभा सीट से विजयी हुए, फिर 2012 में दोबारा विधायक बने. 2017 में उन्होंने तीसरी बार जीत हासिल करके रिकॉर्ड बनाया.

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राजनीतिक तौर पर चंदन राम काफी सक्रिय रहते हैं, जिसके चलते क्षेत्र में उन्होंने अच्छी खासी पकड़ बनाई है. जनता के काम व सहयोग के लिए चंदन राम दास हमेशा तत्पर रहते हैं, इस वजह से काफी लोकप्रिय हैं.

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विविध

चंदन राम दास का राजनीतिक उभार 1997 में हुआ जब वे कांग्रेस में थे मगर कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की. इसके बाद 2007 में भाजपा का दामन थाम लिया. तब से अभी तक लगातार तीन बार विधायक बन चुके हैं.
 

 

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