उत्तराखंड में हर चुनाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बनाम कांग्रेस ही होता रहा है. बीजेपी और कांग्रेस की सीधी भिडंत के बीच इस दफे आम आदमी पार्टी (एएपी) की एंट्री ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. वैसे तो हर चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस से टिकट न मिलने पर बागी उम्मीदवार दलों की मुसीबत बढ़ाते रहे हैं.
उधम सिंह नगर जिले की बाजपुर सीट पर इस दफे कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद किसान नेता जगतार बाजवा ने अपनी पत्नी के साथ आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है. बाजपुर विधानसभा सीट से टिकट कटने से नाराज जगतार बाजवा और उनकी पत्नी सुनीता टम्टा ने एएपी का दामन थाम लिया है.
पिछली दफे सुनीता टम्टा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस दफे यशपाल आर्य को कांग्रेस ने टिकट दिया. इसके बाद नाराज जगतार ने पार्टी छोड़ दी. बाजपुर विधानसभा सीट पर इस दफे बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं.
बाजपुर विधानसभा सीट के लिए उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस को विजय मिली है. इस बार समीकरण कुछ अलग हैं. संयुक्त किसान मोर्चा के गाजीपुर बॉर्डर प्रवक्ता रहे किसान नेता राकेश टिकैत के करीबी माने जाने वाले जगतार बाजवा और उनकी पत्नी सुनीता बाजवा टम्टा कांग्रेस की टेंशन बढ़ा रहे हैं.
बाजपुर विधानसभा क्षेत्र में किसान अधिक तादाद में हैं और किसान आंदोलन में भी बाजपुर के किसानों ने बड़ी तादाद में भाग लिया था. जगतार सिंह बाजवा बाजपुर के ही निवासी हैं. जगतार बाजवा के एएपी में जाने के बाद कहा जा रहा है कि कांग्रेस को किसानों के वोट का नुकसान उठाना पड़ सकता है. गौरतलब है कि यशपाल आर्य इस सीट से 2012 में कांग्रेस और 2017 में बीजेपी के टिकट पर जीते थे. इस दफे फिर से वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.