गदरपुर विधानसभा, ब्रिटिश शासन काल में मूल रूप से बड़ा खेड़ा नाम से जाना जाता था. अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है राजस्व ग्राम बड़ा खेड़ा था. जो काशीपुर से रुद्रपुर जाते समय बाएं हाथ में स्थित जामा मस्जिद के आसपास के बसा हुआ था. इसमें से 60 प्रतिशत लगभग परिवार मुस्लिम थे और परिवारों में हिंदू गडरिया और गुप्ता तथा कायस्थ लोग निवास करते थे.
1947 में जब देश का बंटवारा हुआ, तब हाजी मोहम्मद शफी उनके दो दमाद और तीन लड़के पाकिस्तान चले गए और काफी संपत्ति इनके पास थी. यह संपत्ति सरकार ने कस्टोडियन के रूप में दर्ज कर दी लेकिन हाजी शफी मोहम्मद की पत्नी क्योंकि पाकिस्तान नहीं गई थी और उन्होंने यह संपत्ति अपने नाम पर रिलीज़ करवा ली थी. उनकी मृत्यु के बाद उनकी बहनों में उनकी संपत्ति बांट दी गई . 1948 में विभाजन के बाद पाकिस्तान से हिंदुस्तान आये सिख और पंजाबी लोगों को यहां तराई में बसाया गया.
यहां पर मूल रूप से बुक्सा जनजाति के लोग और मुस्लिम परिवार रहते थे. पाकिस्तान से आए लोगों को जमीन आवंटित की गई और उसके बाद खेती सही रूप से हो पाई. पूर्व में खेती पर ज्यादा ध्यान लोगों का नहीं था. पशुपालन मुख्य व्यवसाय था. काशीपुर से रुद्रपुर जाते हुए गदरपुर का जो सड़क का दाहिना हिस्सा है, इसमें सरकारी कार्यालय बने हुए थे. जिसमें मूल रूप से वन विभाग, राजस्व विभाग अस्पताल बने हुए थे. यह सिर्फ कच्ची सड़क थी. धीरे-धीरे यह सब आबाद होते गए और हॉर्टिकल्चर विभाग की जमीन में स्थित खंडहर जोकि अंग्रेजो के समय गेस्ट हाउस होता था, गदरपुर क्षेत्र के लोग बैल गाड़ियों से गन्ना गूलरभोज रेलवे लाइन तक ले जाते थे और वहां पर बाजपुर चीनी मिल में गन्ना पहुंचाया जाता था.
गदरपुर विधानसभा भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है. उधम सिंह नगर जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय गदरपुर नगर में स्थित हैं. इसके पूर्व में किच्छा तहसील, पश्चिम में बाजपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की कालाढूंगी तहसील और दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का रामपुर जिला है. तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 71 गांव आते हैं और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2,74 848 है.
गदरपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. उधम सिंह नगर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. यह क्षेत्र साल 2008 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश से अस्तित्व में आया. 2012 में इस क्षेत्र में कुल 103,062 मतदाता थे.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
गदरपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 विधान क्षेत्रों में से एक है. उधम सिंह नगर जिले में गदरपुर निर्वाचन क्षेत्र सामान्य जाति के उम्मीदवारों के लिए है. यह क्षेत्र साल 2008 के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन आदेश से अस्तित्व में आया. 2017 में इस क्षेत्र में कुल 103,062 मतदाता थे. यहां के वर्तमान विधायक अरविंद पांडे हैं जो कि सूबे के कैबिनेट मंत्री हैं.
गदरपुर का इलाका पहले पंतनगर विधानसभा सीट के अंतर्गत था, लेकिन फरवरी वर्ष 2002 में परिसीमन के बाद पंतनगर विधान सभा से हटा कर गदरपुर विधान सभा कर दिया गया था. पहली बार गदरपुर विधान सभा पर बहुजन समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा. जिसके विधायक प्रेमानंद महाजन विधायक रहे. दूसरी बार भी प्रेमानंद महाजन का कब्जा ही रहा. अभी तक 4 बार चुनाव हुए हैं. 2012 में गदरपुर विधान सभा पर बीजीपी का कब्जा रहा. 2017 में भी बीजीपी उम्मीदवार अरविंद पांडे ही विधायक बने. इस बार शिक्षा मंत्रालय उनके ही जिम्मे है.
इससे पूर्व गदरपुर का पूरा इलाका पंतनगर विधान सभा में था. बाद में गदरपुर का इलाका अलग विधानसभा सीट का हिस्सा बन गया और पंतनगर का इलाका रुद्रपुर विधानसभा का हिस्सा बन गया. जहां फरवरी 2002 में बीएसपी से प्रेमानंद महाजन का कब्जा रहा और निर्दलीय उम्मीदवार श्यामलाल सुखीजा को हार का मुंह देखना पड़ा है. उसके बाद फिर एक बार बीएसपी ने इस सीट से जीत हासिल की. इस जीत में बहुचर्चित कांग्रेसी के दिग्गज राजेन्द्र पाल को हरा कर एक बार फिर प्रेमानंद महाजन ने जीत हासिल की थी.
वर्ष 2012 में हुए विधान सभा चुनाव में बाजपुर सीट आरक्षित हो गयी थी. जिसमे अरविंद पांडे को अपनी सीट बदलनी पड़ी. कांग्रेस ने सूबे के सबसे बड़े चेहरे नारायण दत्त तिवारी के भतीजे मनीष तिवारी को उतारा. वहीं बीजीपी से अरविंद पांडे मैदान में थे. हालांकि जीत बीजीपी ने हासिल की और विधायक बने. गदरपुर विधानसभा सीट पर 2017 में वो दोबारा विधानसभा चुनाव जीते और सूबे के शिक्षा मंत्री बने.
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद फरवरी 2002 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ. जिसमें बीएसपी के प्रेमानंद महाजन विधायक बने और कांग्रेस की सरकार बनी. इसके बाद 2007 चुनाव में दोबारा बीएसपी के प्रेमानंद महाजन विधायक चुने गए. इसके बाद साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अरविंद पांडे ने बाजपुर विधानसभा आरक्षित होने की वजह से गदरपुर विधानसभा चुनी और जीत हासिल की.
गदरपुर विधानसभा सीट पर 2012 में बीएसपी के प्रेमानंद महाजन विधायक बने और हरीश रावत की सरकार बनी. सूबे में सियासत गरमाई और दलबदल हुआ तो सीट आरक्षित हो गयी. अरविंद पांडे को बाजपुर सीट बदल कर गदरपुर में आना पड़ा.
सामाजिक ताना-बाना
2011 के आंकड़ों के अनुसार क्षेत्र में कुल 103,062 मतदाता थे. यहां जातीय समीकरण के लिहाज से देंखे तो सबसे ज्यादा आबादी सिख ओर पंजाबी मतदाताओं की है. उसके बाद बुक्सा जनजाति समुदाय के लोग हैं. अनुमान के मुताबिक 129000 मतदाताओं में 35684 पंजाबी कंबोज और अन्य जातियां बंगाली 20000, पर्वतीय 11000, बुक्सा जनजाति 10000, पूरब के 5000 ओर 24000 मुस्लिम तथा 14000 अन्य मतदाता थे.
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में गदरपुर सीट पर कुल 9 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा. गदरपुर सीट पर कुल 129000 मतदाता थे. वहीं 98060 लोगों ने मतदान किया. बीजीपी के अरविंद पांडे को 41530 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र पाल को 27424 मत पड़े. बीजीपी उम्मीदवार अरविंद पांडे 14106 वोट से जीते.
गदरपुर विधायक व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का रिपोर्ट कार्ड :-
अरविंद पांडे, बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे.
1997 से 2002 : ( उत्तर प्रदेश सरकार में सबसे कम उम्र के नगर पालिका बाज़पुर के अध्यक्ष )
2002 : उत्तराखंड आम चुनाव में प्रथम बार बाजपुर विधानसभा क्षेत्र से विजय
2007 : उत्तराखंड आम चुनाव में दूसरी बार बाजपुर विधानसभा क्षेत्र से विजय
2004-2007 : उत्तराखंड विधानसभा के सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम समिति के सदस्य
2007-2008 : उत्तराखंड विधानसभा की याचिका समिति व नियम समिति के सदस्य
2008-2009 : उत्तराखंड विधानसभा की लोक लेखा समिति के सदस्य
2008-2009 : उत्तराखंड विधानसभा की प्रति निहित विधायन समिति के सदस्य
2012 : उत्तराखंड आम चुनाव में तीसरी बार गदरपुर विधानसभा क्षेत्र से विजय
2017 : उत्तराखंड आम चुनाव में चौथी बार गदरपुर विधानसभा क्षेत्र से विजय
18 मार्च 2017-12 मार्च 2021- त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नियुक्त और प्रदेश विद्यालयी शिक्षा , प्रौढ़ शिक्षा , संस्कृत शिक्षा , खेल , युवा कल्याण एवं पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी संभाली
12 मार्च 2021 - 4 जुलाई 2021 - तीरथ सरकार में कैबिनेट मंत्री नियुक्त और प्रदेश विद्यालयी शिक्षा , प्रौढ़ शिक्षा , संस्कृत शिक्षा , खेल , युवा कल्याण एवं पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी संभाली.
4 जुलाई 2021 को पुष्कर धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री नियुक्त तथा पुनः प्रदेश विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, संस्कृत शिक्षा , खेल , युवा कल्याण एवं पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी मिली.
विविध
अरविंद पांडे ने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रख दिया था. उन्होंने अपना पूरा जीवन, संघ को समर्पित कर दिया. अरविंद पांडे ने जब से राजनीति में कदम रखा तब से वे लगातार विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहे. इसके अलावा विधायक रहते हुए इन्होंने कई अधिकारियों की पिटाई भी की. अरविंद पांडे सबसे ज्यादा बाज़पुर में मूर्ति देवी हत्या कांड में घिरे रहे. विधायक रहते हुए अधिकारियों से मारपीट मामले में वे जेल भी गए. अरविंद पांडे पर दर्जनों मुकदमे अभी भी जारी हैं. इसमें मुख्य रूप से अधिकरियों से मारपीट, जसपुर में लवजेहाद के मामले में चक्का जाम जैसे मुकदमे हैं. वहीं मूर्ति देवी हत्या कांड मामला, कॉम्प्रोमाइज होने के बाद खत्म हो गया. वहीं सूबे के शिक्षा मंत्री बनने के बाद से उन्होंने विवादित बयानबाजी बंद कर दी है.