उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बीजेपी के लिए मुसीबतें खड़ी हो गई हैं. गुरुवार को मंत्रीपद से इस्तीफा देने वाले हरक सिंह रावत मानने को तैयार नहीं हैं. हरक सिंह रावत अपने फैसले पर अड़िग दिख रहे हैं. आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी मुलाकात सीएम से नहीं हुई है. इधर बीजेपी का दावा है कि पार्टी में सब कुछ ठीक है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत के मंत्री पद से इस्तीफे की खबरों को खारिज किया है. उन्होंने कहा है बीजेपी में सब कुछ ठीक है.
हरक सिंह रावत ने फोन के माध्यम से आजतक को बताया कि वो अपने फैसले पर टिके हैं. उन्होंने कहा कि रात को एक विधायक ने मुझसे मुलाकात की थी. उन्होंने मेरी बात मुख्यमंत्री से करवाने की कोशिश की थी. लेकिन उन्होंने बात नहीं की.
बता दें कि गुरुवार रात को हरक सिंह रावत ने अपनी ही सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था. उनके मुताबिक राज्य सरकार कोटद्वार में ( स्वीकृत करने को लेकर) मेडिकल कॉलेज को लटका रही है. रावत ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में वो अब काम नहीं कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव से चंद हफ्ते पहले हरक का ये इस्तीफा राज्य की बीजेपी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है.
दूर कर दी गई है हरक सिंह रावत की चिंता
वहीं एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि हरक सिंह रावत की चिंताएं दूर कर दी गई है और कोई कहीं नहीं जा रहा है. बता दें कि उमेश शर्मा काऊ को ही हरक सिंह रावत को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि हरक सिंह रावत के मुद्दे को गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी नेता अनिल बलूनी और सीएम पुष्कर सिंह धामी के संयुक्त प्रयास के बाद हल कर लिया गया है.
उन्होंने कहा कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनाने के उनके प्रस्ताव को स्वीकर कर लिया गया है और उन्हें जानकारी दी गई है कि इसके लिए बजट सोमवार तक जारी कर दिया जाएगा. उमेश शर्मा काऊ से जब पूछा गया कि क्या हरक सिंह रावत इस्तीफा नहीं देने को तैयार हो गए हैं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कोई कहीं नहीं जा रहे है. उन्होंने कहा कि हम बीजेपी के सिपाही के तौर पर काम करेंगे.
उमेश शर्मा काऊ को लेकर भी चर्चाएं
दिलचस्प ये है कि उत्तराखंड में काऊ के इस्तीफे को लेकर भी चर्चा हो रही है. हालांकि, विधायक के बेटे गौरव शर्मा ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि शुक्रवार रात कुछ टीवी चैनलों ने जब इस खबर को दिखाया तो वे हैरान रह गए.
एजेंसी के अनुसार अटकलों के शुरू होने के तुरंत बाद काऊ को दिल्ली से एक फोन आया और वह रावत से मिलने गए, कहा जा रहा है वे हरक सिंह रावत को मनाने गए हैं.
बता दें कि हरक सिंह रावत और काऊ दोनों उन 10 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने 2016 में हरीश रावत के खिलाफ बगावत की थी और भाजपा में शामिल हो गए थे. हरक सिंह रावत धामी के कैबिनेट में वन मंत्री का पद संभालते हैं.
हरक सिंह रावत के कांग्रेस में आने की चर्चाओं पर कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि पार्टी में कौन आएगा इसका फैसला प्रदेश अध्यक्ष को करना होता है, इससे पहले ये भी समझना जरूरी है कि उसकी उपयोगिता क्या है? उन्होंने कहा कि पार्टी को ये भी सोचना चाहिए कि अतीत में जिसने दलबदल जैसा काम किया है, उसे अपने अतीत को देखते हुए जरूर खेद प्रकट करना चाहिए.