उत्तराखंड के हरिद्वार जिले की पहचान हर की पौड़ी से है. हरिद्वार को धर्म नगरी और कुंभ नगरी के रूप में भी जाना जाता है. ये वही स्थान है जिसे चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. उत्तराखंड विधानसभा की 70 में से 11 सीटें हरिद्वार जिले में हैं. हरिद्वार जिले की 11 में से एक सीट है हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट.
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट का ये इलाका पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की सीमा से लगता है. ये इलाका गंगा पार का तराई का इलाका माना जाता है. यह इलाका बिजनौर की सीमा से लगता है. इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश इलाके ग्रामीण क्षेत्र के ही हैं. इस इलाके में बड़े पैमाने पर खनन होता है. राजाजी टाइगर रिजर्व का क्षेत्र भी इस इलाके से लगता है.
उत्तराखंड राज्य के गठन से पहले और जब हरिद्वार जिला नहीं बना था, ये इलाका सहारनपुर जिले में आता था. भेल और रानीपुर का क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से करीब 215 किलोमीटर और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है. ये इलाका सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. ये सीट अनारक्षित सीट है. इस सीट के लिए पहली दफे 2012 में चुनाव हुए. 2012 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आर्य समाज के संत स्वामी यतीश्वरानंद को उम्मीदवार बनाया. बीजेपी के टिकट पर स्वामी यतीश्वरानंद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के इरशाद अली को 3875 वोट के अंतर से हरा दिया था.
2017 का जनादेश
हरिद्वार विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपने निवर्तमान विधायक यतीश्वरानंद को ही मैदान में उतारा. इस दफे उनके सामने कांग्रेस सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत थे. यतीश्वरानंद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हरीश रावत को 12278 वोट के अंतर से पराजित किया. बहुजन समाज पार्टी के मुकर्रम तीसरे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के मतदाता अच्छी तादाद में रहते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक स्वामी यतीश्वरानंद उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी हैं. स्वामी यतीश्वरानंद मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं और इस समय ज्वालापुर स्थित वेद मंदिर के पीठाधीश्वर हैं. वे पोस्ट ग्रेजुएट हैं. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में उन्होंने छात्र राजनीति भी की है. अभी आर्य समाजी संत हैं. उनके पास 55 लाख से अधिक की संपत्ति है. स्वामी यतीश्वरानंद सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के गुट के माने जाते हैं और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सबसे करीबी मित्रों में गिने जाते हैं.