उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (Uttarakhand Election 2022) में कांग्रेस के टिकट बंटवारे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत (Harish Rawat) का नाम उत्तराखंड की रामनगर सीट से सामने आया था. इसके बाद से वहां से प्रत्याशी और पूर्व में रामनगर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके रणजीत रावत के समर्थकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार विरोध दर्ज करवाया.
इसके साथ कालाढूंगी विधानसभा की बात करें, तो कालाढूंगी विधानसभा के टिकट बंटवारे के बाद भी वहां जो भी मजबूत दावेदार माने जा रहे थे, उन्हें टिकट नहीं देकर महेंद्र पाल को टिकट दिया गया था. महेंद्र पाल पूर्व में सांसद रह चुके हैं, लेकिन कालाढूंगी विधानसभा में भी लगातार विधायक प्रत्याशी के दावेदारों के विरोध करने के बाद सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से लगातार विरोध प्रदर्शन होते रहे.
वहीं लालकुंआ विधानसभा में भी पूर्व में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा और हरीश चंद्र दुर्गापाल जो पूर्व में निर्दलीय चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री भी रहे, इन सभी के विरोध प्रदर्शन के बाद, कांग्रेस असमंजस की स्थिति में दिखाई दी.
सभी सीटों पर हुआ विरोध
रामनगर से वरिष्ठ पत्रकार रहे गणेश रावत ने बताया कि चुनावी समीकरण के हिसाब से, पूर्व में भाजपा से विधायक रहे दीवान सिंह बिष्ट स्थानीय होने के कारण रामनगर क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं. वो साधारण और सरल विधायक हैं. साथ ही दूसरा इफेक्ट रणजीत रावत भी रहे जो कि पूर्व में हरीश रावत के साथ ही थे, लेकिन अब कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी के कारण रामनगर सीट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए सुरक्षित नहीं मानी जा रही थी.
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चाहते थे कि वह रामनगर से पूरे उत्तराखंड प्रदेश में सरकार बनाकर, रामनगर के क्षेत्र में विकास कार्य करें और रामनगर, कुमाऊं और गढ़वाल का सेंटर भी माना जाता है, जिससे कि वह पूरे क्षेत्र में भ्रमण भी कर सकते थे, लेकिन आपसी गुटबाजी और भाजपा संगठन के मजबूत होने के कारण हरीश रावत और कांग्रेस संगठन को यह रामनगर सीट हरीश रावत के लिए सुरक्षित नहीं लगी. इस कारण से कांग्रेस ने उन्हें लालकुआं सीट पर दावेदारी के लिए भेज दिया.
नैनीताल जिले की लालकुआं सीट, कालाढूंगी सीट और रामनगर सीट पर भारी विरोध के बाद, तीनों ही सीटों पर टिकट पर फिर से विचार करने की बात सामने आई. इसके बाद कांग्रेस संगठन ने एक बार फिर से लिस्ट को बदल दिया. इस लिस्ट में नाम था लालकुआं विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का. कालाढूंगी से मजबूत माने जाने वाले महेश शर्मा का नाम सामने आया और जिसके बाद रामनगर सीट पर पहली लिस्ट में कालाढूंगी से महेंद्र पाल को टिकट दिया गया था, जिनका नाम परिवर्तन करके उन्हें रामनगर विधानसभा सीट पर भेज दिया गया.
रामनगर में रणजीत रावत मज़बूत हैं
वही सोशल मीडिया पर भी लगातार चर्चाएं चल रही हैं कि हार के डर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, रामनगर से अपनी दावेदारी हटाकर, लालकुआं को सुरक्षित सीट समझकर वहां से चुनावी मैदान में उतर गए हैं. सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाहें थीं कि कांग्रेस ने 3 सीटों पर, हरीश रावत की सीट छोड़कर अन्य सीटों पर खुद ही आत्महत्या कर ली है. कांग्रेस के कद्दावर नेता और हरीश रावत सरकार में रावत के सबसे करीबी और मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में रणजीत रावत ने काम किया था.
2017 में रणजीत रावत रामनगर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी भी रहे थे. ऐसे में संगठन में यह चर्चा चल रही थी कि हरीश रावत के लिए रणजीत रावत मुश्किलें पैदा कर सकते हैं, क्योंकि पिछला चुनाव रणजीत रावत रामनगर विधानसभा सीट से लड़े थे. उनके समर्थकों का कहना था कि पिछले 5 वर्ष उन्होंने लगातार रामनगर क्षेत्र की जनता के बीच काम किया. रणजीत रावत भी बोले कि मैंने लगातार रामनगर में चुनाव हारने के अगले दिन से ही काम किया था और पिछला चुनाव में रामनगर सीट से ही लड़ा था .
इस वजह से, हरीश रावत और कांग्रेस संगठन को रामनगर सीट हरीश रावत के लिए सुरक्षित नहीं लग रही थी. फिर से कांग्रेस ने अपनी तीनों सीटों पर प्रत्याशियों को बदलकर, हरीश रावत को लाल कुआं सीट पर भेज दिया. हालांकि, लाल कुंआ विधानसभा सीट में पूर्व में दो प्रत्याशी रहे कांग्रेस के हरीश रावत के समर्थन में उतर गए हैं.
लालकुआं में भी मुश्किलें बढ़ा सकती हैं संध्या डालाकोटी
लेकिन पहली लिस्ट में कांग्रेस ने लालकुआं से अपनी महिला उम्मीदवार संध्या डालाकोटी को चुनावी मैदान में उतारा था जो कि पूर्व में हल्द्वानी ब्लॉक प्रमुख रहीं. ऐसे में अगर संध्या डालाकोटी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरती हैं, तो कहीं ना कहीं लालकुआं विधानसभा सीट की महिला उम्मीदवार बनाए जाने के बाद, उनका टिकट काटना कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. क्योंकि अगर लालकुआं विधानसभा की क्षेत्रीय महिलाएं और जनता संध्या डालाकोटी को समर्थन देती हैं और कुछ परसेंट वोट भी अगर संध्या डालाकोटी के पक्ष में पढ़ेंगे, तो कहीं ना कहीं हरीश रावत की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं.
महिला होने के साथ ही, संध्या डालाकोटी और उनका परिवार क्षेत्र में लगातार लोगों की मदद करता रहा है. ऐसे में अगर जनता सहानुभूति के साथ संध्या डालाकोटी को वोट करती है, तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. नतीजा, कांग्रेस को इस सीट से फिर से पटकनी खानी पड़ सकती है.
इनपुट- राहुल सिंह दरम्वाल