जसपुर की स्थापना चन्द्र वशं के सुप्रसिद्ध सेनापति यशोधर सिंह अधिकारी द्वारा की गयी थी. जिसका नाम यशपुर था. सन 1856 में अकबर के जमाने में जसपुर का नाम शाहगीर था और मुख्य रूप से वन क्षेत्र से घिरे होने के बावजूद यहां छपाई का काम प्रमुखता से होता था. 18 नवंबर 1851 को नगर निकाय का गठन किया गया. पंडित बद्री दत्त पांडे बताते हैं कि 1856 में टाउन एक्ट लागू हो गया था.
जसपुर जंगल से घिरा था. इसलिए सन 1962 से यहां लकड़ी का आयात निर्यात काफी तेजी से होने लगा. जिससे जसपुर की लकड़ी मंडी को एशिया की सबसे बड़ी लकड़ी मंडी होने का खिताब भी मिला.
राजनीतिक पृष्ठभूमि-
जसपुर नगर पालिका को चतुर्थ श्रेणी का दर्जा 1958 में प्राप्त हुआ. जिसकी विधानसभा 8.50 मील दूर काशीपुर में पड़ती थी. तब यह उत्तर प्रदेश का एक शहर हुआ करता था. उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जसपुर विधानसभा का अस्तित्व 2002 में सामने आया. पहली बार डॉक्टर शैलेंद्र मोहन सिंघल निर्दलीय चुनाव लड़े और वो विजय रहे.
बाद में उन्होंने अपना समर्थन कांग्रेस को दिया और 2016 तक इसी पार्टी में बने रहे. 2016 में कांग्रेस से 9 विधायकों के संग बगावत करने पर उन्हें अपनी विधायकी खोनी पड़ी और भाजपा में शामिल हो गए. लेकिन इसका उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. 2017 में भाजपा से कांग्रेस में आए आदेश सिंह चौहान को जनता ने एक तरफा वोट देकर विजयी बना दिया. वहीं कांग्रेस से भाजपा में आए प्रत्याशी डॉक्टर शैलेंद्र मोहन सिंघल को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. फिलहाल आदेश चौहान जसपुर के विधायक हैं.
जसपुर के विधायक आदेश चौहान वर्ष 2017 के चुनावों से पहले तक बीजीपी में थे. उसके बाद जैसे ही जसपुर के पूर्व विधायक डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल कांग्रेस का दमन छोड़ बीजीपी में शामिल हुए, वैसे ही बीजीपी के आदेश चौहान ने बीजीपी का दामन छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस पार्टी ने आदेश चौहान को सन 2017 में विधानसभा जसपुर से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. चौहानों का ज्यादा दबदबा होने के चलते आदेश चौहान ने 3 बार के विधायक रहे कांग्रेस पार्टी से आये बीजीपी के जसपुर प्रत्याशी डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल को हरा कर अपनी जीत हासिल की.
प्रसिद्ध धार्मिक स्थल
इतिहासकार बताते हैं कि यहां कालू शहीद बाबा का मजार सदियों साल पुराना है. धर्म का प्रचार करते हुए कालू बाबा अपने लाव लश्कर के साथ धार्मिक यात्रा पर निकले थे. हजरत निजामुद्दीन औलिया पर अपना पड़ाव बनाया और लोगों को धार्मिक बातों का ज्ञान दिया. लोगों का मानना है कि पहाड़ों की यात्रा करते हुए वह पतरामपुर के जंगलों में रह रहे थे. बाद में यहीं पर उन्हें दफना दिया गया. मान्यता है कि जो लोग कालू बाबा के मजार पर जाते हैं उनकी मन्नतें जरूर पूरी होती हैं.
ठाकुर का मंदिर
जसपुर के 2 मंदिरों में से एक प्रमुख है ठाकुर मंदिर. इसकी स्थापना 1930 में रघुनाथ ठाकुर ने करवाया था. इसलिए इसे ठाकुर मंदिर के नाम से जाना जाता है. इसे पहले होली वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता था.
बड़ा मंदिर
बड़ा मंदिर उन्नीस सौ के दशक के आसपास ये यहां पर स्थापित है. यहां हर साल रावण को रोकने के लिए मेले का आयोजन किया जाता है. जो मुख्यतः आसपास के क्षेत्रों का आकर्षण का केंद्र होता है.
सामाजिक तानाबाना
जसपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड उधमसिंहनगर जिले में स्थित है. यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. 2012 में इस क्षेत्र में कुल 98,839 मतदाता थे. यहां पर जातीय समीकरण के हिसाब से चौहान जाति के लोगो का ज्यादा दबदबा है. जिससे यहां पर आदेश चौहान को जीत हासिल हुई थी. अनुमान के मुताबिक यहां करीब 35 प्रतिशत चौहान, 9 प्रतिशत एसटी-एससी के वोटर हैं. इसके बाद करीब 10 प्रतिशत सिख, 5 हजार यादव, 8 प्रतिशत ब्राह्मण, 2 प्रतिशत राजपूत, 25 प्रतिशत मुस्लिम करीब 8 प्रतिशत ओबीसी, 5 प्रतिशत पंजाबी, 5 प्रतिशत ठाकुर, 6 प्रतिशत बनिया, 3 प्रतिशत अन्य जातीय समीकरण रहा है.
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2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही था. बीजीपी के डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल को 38,347 वोट मिले. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी आदेश चौहान को 42551 मत मिले.
जसपुर विधायक का रिपोर्ट कार्ड
आदेश सिंह चौहान 2014 से पहले भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में संगठन में थे. 2013 में लव जिहाद का मुद्दा उठाने और एक कम्युनिटी को टारगेट करने को लेकर चर्चा में आए थे. इस मामले में पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया था. जिसमें आदेश सिंह चौहान सहित 5 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था. 2014 में भाजपा से टिकट मिला और कांग्रेस के डॉक्टर शैलेंद्र मोहन सिंघल के सामने चुनाव हारे.
परंतु 2017 में डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल कांग्रेस से बगावत कर भाजपा पहुंचे और विधायक आदेश सिंह चौहान को कांग्रेस से टिकट मिला. चौहान द्वारा ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लिए दर्जनों घोषणा की गई. परंतु साढ़े 4 साल बीत जाने के बाद भी धरातल पर विधायक आदेश सिंह चौहान अपने मुख्य वादे पूरे करने में नाकाम साबित हुए हैं. जिसमें मुख्य जसपुर बस स्टैंड का निर्माण, स्टेडियम का निर्माण और कुंडा में पानी की टंकी का निर्माण थे. लेकिन जसपुर विधायक इन सभी कार्यों को पूरा करने में विफल रहे हैं.