कपकोट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखंड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. बागेश्वर जिले में स्थित कपकोट विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित है. 2017 में इस क्षेत्र में कुल 93,774 मतदाता थे. कपकोट क्षेत्र, महाराष्ट के महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का गृह क्षेत्र है. भगत सिंह कोश्यारी दो बार इस सीट से विधायक भी रह चुके हैं. उत्तराखंड से अलग राज्य बनने के बाद कपकोट विधान सभा सीट पर अब तक 4 चुनाव और एक उपचुनाव हो चुके हैं.
पहले व दूसरे चुनाव में भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी चुनाव जीते. दूसरे चुनाव में भगत सिंह कोश्यारी के राज्यसभा सांसद बनने पर कपकोट में उप चुनाव हुए, जिसमें भाजपा के शेर सिंह गड़िया चुनाव जीते. उसके बाद तीसरा चुनाव 2012 में हुआ, जिसमें कांग्रेस के ललित फर्सवाण चुनाव जीते और चौथे चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बलवंत सिंह भौर्याल जीते. कपकोट विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का का दबदबा है. क्योंकि यह क्षेत्र भगत सिंह का गृह क्षेत्र भी है.
कपकोट में पहले से ही पार्टी आधारित वोट पड़ते हैं. मतलब ये की प्रत्याशी के नाम पर 25%, बाकी 75 %पार्टी के नाम पर. कपकोट में भाजपा का अधिक दबदबा है. मगर इस बार जनता में यहां के पूर्व कांग्रेसी युवा विधायक ललित फर्सवाण के लिए माहौल बना हुआ है.
सामाजिक ताना-बाना
कपकोट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखंड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. बागेश्वर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार अभी कपकोट विधानसभा क्षेत्र में 98100 मतदाता हैं. यहां जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा सवर्ण मतदाता हैं, खासकर क्षत्रिय समुदाय के लोग. अनुमान के मुताबिक यह करीब 65 % ब्राह्मण व क्षत्रिय हैं , जबकि 35 % एससी-एसटी और ओबीसी जाति के मतदाता हैं.
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में बागेश्वर सीट पर कुल 8 प्रत्याशी मैदान में थे. लेकिन मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच रहा. कपकोट सीट पर कुल 93774 मतदाता थे. जिसमें से 60256 लोगों ने वोटिंग की. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बलवंत सिंह भौर्याल को 27213 वोट मिले जबकि कांग्रेस के ललित फर्सवाण को 21231 वोट मिले. इस तरह से भाजपा को 5982 वोटो से जीत मिली.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कपकोट विधानसभा सीट से विधायक बलवंत सिंह भौर्याल ने 1975 में राजनीति में कदम रखा. उन्हें वर्ष 1997 में ग्राम पंचायत के सदस्य और तत्कालीन जिला महासचिव के रूप में चुना गया.
इसके बाद वे 1998 से 2002 तक बागेश्वर के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए. भौर्याल, भारतीय जनता पार्टी बागेश्वर जिले के अध्यक्ष, विभाग समन्वयक और 2003 से 2007 तक भारतीय जनता पार्टी के राज्य समन्वयक रहे हैं.
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इसके बाद राज्य गठन के उपरांत बनी कांडा विधानसभा सीट पर वर्ष 2002 में हुए पहले चुनाव में भाजपा के बलवंत सिंह भौर्याल को पराजय का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के उमेद सिंह माजिला पहले विधायक बने. 2007 में हुए दूसरे चुनाव में बलवंत सिंह भौर्याल ने उमेद सिंह माजिला को पराजित कर पिछली हार का बदला चुकाया. इसके बाद बलवंत सिंह भौर्याल कपकोट विधानसभा सीट पर 2012 में चुनाव लड़े और कांग्रेस के ललित फर्सवाण से पराजित हुए. इसके बाद वर्ष 2017 में हुए विधानसभा में बलवंत सिंह भार्याल फिर कपकोट सीट से चुनाव लड़े और इस बार जीत हासिल हुई.
विविध
कांडा सीट के विलय के बाद कपकोट सीट क्षेत्रफल के लिहाज से बेहद जटिल हो गई है. कपकोट, कांडा, शामा, बनलेख तहसीलों में विभाजित कपकोट विधानसभा में ग्राम आरे से शुरू होकर रीमा, बनलेख, धरमघर, स्यांकोट, रावतसेरा, बदियाकोट, शामा सहित बागेश्वर के दफौट क्षेत्र तक फैली हुई है. इतने बड़े क्षेत्रफल वाली विधान सभा में घूमने के लिए कई दिन लग जाते हैं. वहीं मैदानी क्षेत्रों की छोटी विधानसभा क्षेत्रों में एक ही दिन में घूमा जा सकता है.