प्राचीन काल में काशीपुर का नाम उज्जैनी था और यहां से बहने वाली ढेला नदी का नाम सुवर्णभद्रा था. हर्ष काल में इसे गोविषाण कहा जाने लगा. बाद में काशीनाथ अधिकारी ने तराई क्षेत्र के अधिकारी का महल रुद्रपुर से यहां स्थानांतरित किया, जिसके बाद उनके नाम पर इसे काशीपुर कहा जाने लगा. गोविषाण शब्द, दो शब्दो गो (गाय) और विषाण (सींग) से बना है. इसका अर्थ गाय का सींग है. प्राचीन समय में गोविषाण को तत्कालीन समय की राजधानी व समृद्ध नगर कहा गया है.
काशीपुर उत्तराखंड राज्य के उधम सिंह नगर जनपद में स्थित एक महत्वपूर्ण पौराणिक एवं औद्योगिक शहर है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार इस नगर की कुल जनसंख्या 1,21,623 है, जबकि काशीपुर तहसील की कुल जनसंख्या 2,83,136 है. इस प्रकार, जनसंख्या की दृष्टि से काशीपुर कुमाऊं में तीसरा और उत्तराखंड में छठवीं सबसे बड़ी विधानसभा है. पश्चिमी भाग में स्थित यह नगर भारत की राजधानी, नई दिल्ली से लगभग 240 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में, और उत्तराखंड की राजधानी, देहरादून से लगभग 200 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
काशीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखंड के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. उधम सिंह नगर जिले में काशीपुर निर्वाचन क्षेत्र ऐतिहासिक विधानसभा है. वर्ष 2000 में राज्य विभाजन के बाद इस क्षेत्र में पहली बार 2002 में विधानसभा चुनाव हुए. उधम सिंह नगर जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. 2012 में इस क्षेत्र में कुल 1,17,999 मतदाता थे. इस विधानसभा में राज्य विभाजन के बाद से अब तक 4 बार चुनाव हो चुके हैं.
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राज्य विभाजन के बाद फरवरी 2002 में परिसीमन के बाद काशीपुर विधानसभा में पहली बार विधानसभा में उत्तराखंड के शिरोमणि अकाली दल के एक मात्र हरभजन सिंह चीमा को अकाली दल के कोटे से बीजेपी ने टिकट दिया और वे जीतकर विधायक बने. दूसरी बार 2007 में भी हरभजन सिंह चीमा ही चुने गए. 2012 में कांग्रेस शासन काल में भी यहां बीजेपी का कब्जा रहा और चीमा विधायक बने. 2017 में फिर बीजेपी का कब्जा हुआ. काशीपुर विधानसभा में अब तक 4 बार चुनाव हुए हैं और चारों बार बीजेपी का ही कब्जा रहा.
पहले यह पूरा इलाका बाजपुर, काशीपुर और जसपुर एक ही विधानसभा में थे. बाद में जसपुर, काशीपुर और बाजपुर नाम से तीन अलग-अलग विधानसभा सीटें बन गईं. हालांकि, काशीपुर विधानसभा सीट पहले से ही वजूद में थी, जहां फरवरी 2002 में बीजेपी का कब्जा रहा और कांग्रेस के दिग्गज कहलाने वाले केसी सिंह बाबा को हार का मुंह देखना पड़ा. उसके बाद फिर एक बार बीजेपी ने इस सीट से जीत हांसिल की. इस जीत में बहुचर्चित एसपी नेता मोहम्मद जुबेर को हराकर एक बार फिर से हरभजन सिंह चीमा ने जीत हासिल की थी.
2012 में हुए विधानसभा चुनाव में काशीपुर सीट अनारक्षित थी जिसमें कांग्रेस से मोहन जोशी और बीजेपी से हरभजन सिंह चीमा चुनाव मैदान में उतरे. उन्हें बीजेपी का भी समर्थन प्राप्त था. चीमा ने जीत हांसिल की. चीमा सूबे में एक मात्र शिरोमणि अकाली दल के नेता हैं जिन्हें काशीपुर विधानसभा सीट से लगातार 4 बार जीत हासिल की है और विधायक बन चुके हैं.
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद फरवरी 2002 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस की सरकार बनी थी लेकिन काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा ही विधायक बने थे. इसके बाद 2007 के चुनाव में भी चीमा ने जीत हासिल की. 2012 में हरीश रावत की सरकार बनी तब भी काशीपुर सीट पर चीमा विधायक बने. 2017 में चीमा ने कांग्रेस के मोहन सिंह जोशी को 20,114 वोटों से हराया था.
सामाजिक ताना-बाना
2011 जनगणना के आधार पर काशीपुर में 1,17,999 मतदाता थे, जिसमें 51 फीसदी पुरुष हैं, जबकि 48 फीसदी महिलाएं हैं. यहां जातीय समीकरण के लिहाज से देंखे तो अनुमान के मुताबिक, करीब 62.63 प्रतिशत हिंदू, 35.6 प्रतिशत मुस्लिम, 1.87 प्रतिशत सिख और 1 प्रतिशत अन्य समुदाय के लोग हैं.
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में काशीपुर सीट पर कुल 9 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा. चूंकि काशीपुर सीट पर हरभजन सिंह चीमा को बीजेपी का समर्थन था, इसलिए यहां पर उन्होंने कांग्रेस को टक्कर दी. कुल 76.67 फीसदी मतदान हुआ था. हरभजन सिंह चीमा को 50156 मत मिले और कांग्रेस के मोहन सिंह जोश को 30042 मत मिले. यानी चीमा ने 20,114 वोट से जीत हासिल की.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
हरभजन सिंह चीमा
जन्म तिथि- 7 अप्रैल, 1946
पता- चीमा निवास, काशीपुर जिला उधमसिंह नगर (उत्तराखंड)
शिक्षा- हाई स्कूल
बच्चों की संख्या- 2 बेटियां
फोन नंबर- 05947-275261, 9412090555
सदस्य- विधानसभा, उत्तराखंड 2002 से अब तक
प्रदेश अध्यक्ष- शिरोमणि अकाली दल उत्तराखंड
सदस्य- शिमनी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) श्री अमृतसर साहब.
संस्थापक अध्यक्ष- चीमा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट
Ex.CMD- चीमा पेपर्स लिमिटेड, काशीपुर (लार्ज स्केल कंपनी)
निदेशक- चीमा प्रिंटपैक लिमिटेड मोहाली (मध्यम स्तर की कंपनी)
पूर्व अध्यक्ष- कुमाऊँ गढ़वाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (उत्तराखंड)
पूर्व सदस्य- इंडियन एग्रो पेपर मिल्स एसोसिएशन, नई दिल्ली
अध्यक्ष- सार्वजनिक उपक्रम और निगम समिति, उत्तराखंड.
पूर्व उपाध्यक्ष- 20 सूत्रीय कार्यक्रम, उत्तराखंड
राजनीतिक तौर पर काफी सक्रिय रहते हैं, जिसके चलते क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है. इतना ही नहीं यहां जातीय समीकरण भी उनके पक्ष में है. विधायक रहते हुए हरभजन सिंह चीमा ने क्षेत्र में विकास के लिए काफी कार्य किये हैं. क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया युवाओं के लिए एक स्टेडियम सहित क्षेत्र के विकास में अधिक से अधिक काम किये हैं. हालांकि,उत्तराखंड में बहुचर्चित जसपुर प्रकरण में इनके विरुद्ध मुकदमा हुआ ओर तत्कालीन विधायक होने के चलते विवादों में रहे. सूबे में सिखों का सबसे बड़ा चेहरा होने की बजह से इनकी सिखों के बीच मजबूत पकड़ है.
विविध
हरभजन सिंह चीमा पहले उद्योगपति थे जिनकी कई पेपर मिल थी. उसके बाद राजनीति में कदम रखा. अपना पूरा जीवन शिरोमणि अकाली दल को दिया. बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन होने के चलते उत्तराखंड में उन्हें बीजेपी का ही नेता समझा जाता है. उत्तराखंड में वे शिरोमणि अकाली दल के मात्र एक ही नेता हैं, इसलिए वे ही उत्तराखंड में शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं. वे लगातार 4 बार से काशीपुर विधानसभा में विधायक की कुर्सी पर काबिज हैं.