उत्तराखंड चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को अपना सीएम उम्मीदवार बनाया है. अजय कोठियाल ने अपनी जिंदगी के 26 साल सेना को दिए हैं. उनके शौर्य के कई किस्से आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं. लेकिन पिछले साल 19 अप्रैल को उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति ली और आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. अजय कोठियाल मानते हैं कि उन्हें राजनीति करनी नहीं आती है, वे सिर्फ अपना पूरा जीवन समाज और देश सेवा में लगाना चाहते हैं. उन्हें विश्वास है कि आगामी चुनाव में उत्तराखंड की जनता उन्हें जरूर आशीर्वाद देगी.
शुरुआती जीवन
अजय कोठियाल का जन्म 26 फरवरी 1969 को उत्तराखंड के टिहरी में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा देहरादून के सेंट जोसेफ स्कूल से पूरी की थी. अजय का हमेशा से ही सेना में जाने का रुझान था. उनके पिता सत्यशरण कोठियाल भी सेना में एक बड़े पद पर रहे थे. पहले 1962 की जंग में उन्होंने हिस्सा लिया था और फिर बीएसएफ में लंबे समय तक अपनी सेवाएं देते रहे. ऐसे में अजय कोठियाल का शुरुआती जीवन सैन्य अनुभवों के बीच ही बीता और उनका मन भी इस फील्ड की तरफ रहा.
सैन्य जीवन- संघर्ष और सफलताएं
फिर साल 1992 में अजय कोठियाल ने खुद भी सैन्य जीवन को ही अपनी जिंदगी का उद्देश्य बनाया और गढ़वाल राइफल की 4वीं बटालियन में सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात हो गए. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पूरे 26 साल तक अलग-अलग क्षेत्रों में देश की सेवा की. उन्हें उनके पराक्रम, शौर्य और अद्भुत साहस के लिए कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. 1999 की करगिल लड़ाई में भी उन्होंने एक निर्णायक भूमिका निभाई थी. तब वे सेना में बतौर कैप्टन तैनात थे. इसके बाद साल 2001 से 2003 तक अजय कोठियाल की पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में भी रही.
वहां पर उन्होंने दो बड़े ऑपरेशन- पराक्रम और नशनूर में हिस्सा लिया था. कुल 26 आतंकियों को मौत के घाट उतारा गया और उसमें भी 17 दहशतगर्दों को मारने में उनकी सीधी भूमिका रही. इस दौरान उन्होंने आतंकियों की गोली भी खाई, जख्मी भी हुए, लेकिन ऐसा साहस दिखाया कि कभी झुके नहीं, थके नहीं और देश की सेवा में लगे रहे. कर्नल अजय कोठियाल का सैन्य जीवन ऑपरेशन कोंगवतन की वजह से भी सुर्खियों में रहा. उस ऑपरेशन के दौरान उन्होंने सात आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. तब उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था.
पर्वतारोहण का खास शौक
अब सेना में अपनी सेवा देने के दौरान अजय कोठियाल ने अपने कई सपने भी पूरे किए और उन सपनों ने देश का सिर गर्व से ऊंचा करने का काम किया. कर्नल अजय कोठियाल को हमेशा से पर्वतारोहण का खासा शौक रहा है. साल 1994 में उन्होंने सेना के हाई एल्टीट्यूट वारफेयर स्कूल से प्रशिक्षण लेने के बाद सतोपंथ, माउंट माना, माउंट त्रिशूल, माउंट मनासलू पर सफल आरोहण किया था. सिर्फ यही नहीं, दो बार उन्होंने एवरेस्ट पर भी आरोहण किया. ऐसे में उनके पर्वतारोहण के शौक ने उन्हें शौर्य चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल दिलवा दिया.
केदारनाथ पुनर्निर्माण में सक्रिय योगदान
इसके बाद कर्नल अजय कोठियाल के सैन्य जीवन में दूसरा अध्याय 26 अप्रैल, 2013 को शुरू हुआ जब वे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रधानाचार्य रहे. उन्होंने पूरे पांच साल तक वो जिम्मेदारी निभाई. उस दौरान उनके काम को तब पहचान मिली जब उन्होंने केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण के कार्यों को पूरा करने में निर्णायक भूमिका निभा दी. तब अजय कोठियाल के नेतृत्व में ही निम की टीम ने दिन-रात काम किया और केदरानाथ के पुनर्निर्माण को सफल बनाया. इस काम के अलावा निम में अपनी सेवा देने के दौरान कर्नल अजय कोठियाल ने कम से कम 2000 पहाड़ी युवाओं को सेना के लिए प्रशिक्षित किया था. उस समय उनकी तरफ से यूश फाउंडेशन की भी शुरुआत की गई थी. वहां पर निशुल्क सेना में जाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. कई असहाय और दिव्यांग लोगों का उपचार भी इस यूथ फांउडेशन के जरिए किया गया है.
गंगोत्री से चुनावी मैदान में....
अब देश की 26 साल सेवा करने के बाद कर्नल अजय कोठियाल राजनीति में एंट्री ले चुके हैं. आम आदमी पार्टी की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार भी बना दिए गए हैं. वे उत्तराखंड की जनता को सपना दिखा रहे हैं कि राज्य का नवनिर्माण किया जाएगा. वे अपने हर संबोधन में फर्स्ट टाइम वोटर से खास अपील कर रहे हैं. कह रहे हैं कि उन उदेश्यों को पूरा किया जाएगा जिस वजह अलग राज्य बनाने की मांग उठी थी. अब बीजेपी-कांग्रेस के बड़े चेहरों के बीच कर्नल अजय कोठियाल कितनी और किस तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं, ये 10 मार्च को नतीजों के बाद स्पष्ट हो जाएगा. वे गंगोत्री सीट से मैदान में उतरने जा रहे हैं.