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Uttarakhand Election: बागियों ने बिगाड़ा समीकरण, कांग्रेस-बीजेपी की फंस रहीं कई सीटें

उत्तराखंड चुनाव में कई ऐसे बागी नेता हैं जो अब निर्दलीय बन दोनों कांग्रेस और बीजेपी की मुसीबत बढ़ा रहे हैं. दोनों ही पार्टियों की कई सीटों पर इस वजह से टेंशन बढ़ गई है. वोट कटने का डर है और मजबूत प्रत्याशी ढूंढने की चुनौती है.

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निर्दलियों ने कांग्रेस-बीजेपी की कई सीटें फंसाईं
निर्दलियों ने कांग्रेस-बीजेपी की कई सीटें फंसाईं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • निर्दलियों ने कांग्रेस-बीजेपी की कई सीटें फंसाईं
  • भाजपा के 14 तो कांग्रेस के 12 बागी मैदान में

उत्तराखंड में चुनावी तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है, राज्य में नामांकन से लेकर नाम वापसी का समय खत्म हो गया है.राज्य की सभी सीटों की तस्वीर अब साफ हो गयी है. राज्य की 70 सीटों पर अब नाम वापसी के बाद 632 उम्मीदवार मैदान में हैं, प्रदेश में 14 फरवरी को वोट डाला जाएगा जिसमें लगभग 82 लाख मतदाता प्रदेश की नई सरकार का गठन करेंगे.

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प्रदेश में कुल 82, 37,886 मतदाता इस बार वोट डालेंगे जिनमें पुरुष मतदाता की संख्या 42,24,288 और महिला  39,19,334 हैं, जबकि अन्य मतदाताओं की संख्या 300 और सर्विस मतदाता  93,964 है. मौजूदा वोटर लिस्ट में 1,58,008 वोटर 18 से 19 आयुवर्ग के हैं. जो पहली बार मतदान करेंगे. इस बार सबसे ज्यादा प्रत्याशी गढ़वाल क्षेत्र से हैं,यहां पर सबसे अधिक सात जिलों की 41 सीटों पर 391 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जबकि कुमाऊं की बात करें तो यहां पर 29 विधानसभा सीट है और 241 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं.

बागियों ने बिगाड़ा गणित

इस सब के बावजूद भाजपा और कांग्रेस से बागी भी चुनाव में ताल ठोक रहे हैं,जो दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं सबसे ज्यादा बागी भाजपा से चुनाव लड़ने की ताल ठोक रहे हैं, भाजपा के 14 लोग बागी होकर मैदान में हैं तो कांग्रेस की मुश्किलें भी कम नही हैं.कांग्रेस से भी 12 लोग बागी होकर मैदान में कूद पड़े हैं, लिहाजा दोनों पार्टियां किसी भी सियासी फेरबदल से डरे हुए हैं.

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राज्य की 70 सीटों पर 750 लोगों ने अपना नामांकन कराया था जिनमें 23 प्रत्याशी नामंकन पत्र रद्द होने से बाहर हो गए जबकि 95 लोगों ने अपना नामांकन वापिस ले लिया.लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बागी अपने ही प्रत्याशीयों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. कुल मिलाकर 136 प्रत्याशी अब भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं. सबसे ज्यादा देहरादून जनपद की 10 विधानसभा सीटों पर 117 सर्वाधिक प्रत्याशी अब चुनावी मैदान में हैं जबकि हरिद्वार की 11 विधानसभा सीटों पर 110 उम्मीदवार मैदान में हैं. चंपावत और बागेश्वर में 14--14 सबसे कम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.

उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के लिए बागियों ने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता ,जिस तरीके अनेक सर्वे में  प्रदेश में दोनों के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है उससे भाजपा और कांग्रेस के लिए बागी मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी फिर भी भाजपा सिर्फ 5 बागी ही मना पाई, जबकि कांग्रेस पार्टी आठ बागी नेताओं को मनाने में कामयाब हो पायी.

किन सीटों पर चुनौती?

भाजपा को धनोल्टी, घनसाली,कर्णप्रयाग ,कोटद्वार ,रुद्रपुर,भीमताल विधानसभा में बागी बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं तो कांग्रेस को लाल कुआं, रुद्रप्रयाग ,यमुनोत्री और घनसाली विधानसभाओं में बागियों से टेंशन है. भाजपा के बागियों में डोईवाला सीट से जितेंद्र नेगी, धर्मपुर से वीर सिंह पवार, देहरादून कैंट से दिनेश रावत ,धनोल्टी से महावीर रंगड़ ,घनसाली से दर्शन लाल, कोटद्वार से धीरेंद्र सिंह चौहान, कर्णप्रयाग से टीका प्रसाद मैखुरी ,रुद्रपुर से विधायक राजकुमार ठुकराल, किच्छा से अजय तिवारी ,रानीखेत से दीपक करगेती ,लाल कुआं से पवन चौहान और कुंदन मेहता, भीमताल से लाखन सिंह नेगी और मनोज शाह ,तो रुड़की से नितिन शर्मा बड़ी परेशानी खड़ी कर सकते हैं.

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कांग्रेस को नामांकन वापसी के दिन सोमवार को पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण समेत पांच प्रमुख नेताओं को पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में बिठाने में सफलता मिली है. पर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी परेशानी लालकुआं में है जहां पर संध्या डालाकोटी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ चुनाव मैदान में डटी हैं. तकरीबन आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के सामने पार्टी के बागी अपने ही प्रत्याशियों को बड़ी छती कर सकते हैं.

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