उत्तराखंड कांग्रेस में उस समय भूचाल आ गया था, जब हरीश रावत ने कांग्रेस पार्टी से अलग होने के संकेत दे दिए थे. उन्होंने अपने एक ट्वीट से संन्यास की ओर इशारा कर दिया था. लेकिन उस एक ट्वीट ने कांग्रेस हाईकमान को एक्शन में लाया और अगले ही दिन रावत की राहुल गांधी से मुलाकात हो गई. अब उस बैठक के बाद हरीश रावत के सुर फिर बदल गए हैं.
हरीश रावत के बगावती तेवर हुए ठंडे
आजतक से बात करते हुए हरीश रावत ने कहा है कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ने वाले हैं. वे मरते दम तक इस पार्टी में रहने वाले हैं. उन्होंने ये भी कहा कि संन्यास लेने की बात इसलिए कही थी क्योंकि वे कांग्रेस छोड़ना नहीं चाहते थे. वैसे अब अपने ट्वीट वाले विवाद पर भी रावत ने विस्तार से बात की है.
वे कहते हैं कि मुझे एक ऐसे पानी में उतारा गया था जिसकी लहरें काफी तेज और ऊंची थीं, सरकार ने हमारे ऊपर मगरमच्छ छोड़ रखे थे, ऐसे में अगर मेरे हाथ बंधे रह जाते और मुझे किसी का साथ नहीं मिलता तो मैं काम कैसे कर पाता. रावत के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने उनकी प्रतिक्रिया का स्वागत किया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि उनका ट्वीट सिर्फ इसलिए किया गया था, जिससे उन्हें सभी का सहयोग मिले.
क्या थी मांग, अब क्या बदला?
रावत ने इस बात पर भी तसल्ली जाहिर की कि राहुल गांधी से मिलने के बाद उनकी मांगों को मान लिया गया है और अब सबकुछ नॉर्मल है. वे कहते हैं कि हमने हर मुद्दे पर चर्चा की थी, कुछ मुद्दों पर अगले दो-तीन दिन में फैसला हो जाएगा. सबसे बड़ा मुद्दा तो यही था कि कैंपेन कमेटी का चुनाव के दौरान क्या होगा. मुझे खुशी है कि अब ये साफ कर दिया गया है कि कैंपेन कमेटी का चेयरमैन ही चुनावी प्रचार को भी लीड करेगा.
कांग्रेस नेता ने अपनी तरफ से यहां तक कह दिया कि अगर आगामी चुनाव पार्टी की हार होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी वे खुद लेंगे, वहीं अगर पार्टी जीत हासिल कर लेती है तो इसका श्रेय पूरी पार्टी को जाएगा, हर कार्यकर्ता को जाएगा. उन्होंने अंत में पार्टी का समर्थन करते हुए ये भी कहा कि कदम-कदम बढ़ाए जा, कांग्रेस के गीत गाए जा.