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वोट ही तो है: हिन्दुस्तान की सियासत में कैसे बढ़ी गाय की हैसियत?

वोट ही तो है: हिन्दुस्तान की सियासत में कैसे बढ़ी गाय की हैसियत?

हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है. गाय को हमारी माता कहा गया है, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि गाय के साथ कभी ऐसा भी हो सकता है. कभी सोचा नहीं था कि बीफ़ को लेकर देश में ऐसा बवाल भी मचेगा. गौमांस के नाम पर सियासत ने ऐसा चारा फेंका कि इंसान की जान पर बन आई और बूढ़ी और बेकार गाय दर बदर होकर भूख से मरने पर मजबूर हो गई. हिंदुस्तान में गाय को शुरू से ही एक धार्मिक और पवित्र पशु के तौर पर देखा जाता रहा है. मगर अब से पहले कभी गाय को वो सियासी तवज्जो नहीं मिली, जो अब मिल रही है. ख़ास कर जब से 2014 में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का देश में राज शुरू हुआ. मानों सियासी तौर पर गाय का भी प्रमोशन हो गया.  मोदी राज में गाय को जो ऊंचाइयां और जो बुलंदियां हासिल हुईं, वैसी इससे पहले कभी नहीं थी, लेकिन गाय का दर्जा ऊपर जाने और कथित गौ रक्षक दलों ने गाय की रक्षा के नाम पर जिस तरह से क़ानून अपने हाथ में लेने की शुरुआत की, वैसा भी पहले कभी नहीं देखा गया. 

In Hindu religion Cow has always been considered sacred, cow has always been treated as the pious animal in the Hindu religion. But, had you ever thought that mayhem and ruckus would be created over the issue of cow? We would have never thought that the cow will earn the most important place in the politics of India. After 2014, the Cow has got promotion from the political point of view. The manner in which the Gaurakshaks have started taking law and order in their hand in the name of gau raksha, we had never imagined any such thing for the country. Watch video

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