बॉलीवुड ने हर रिश्ते के बारे में फिल्म बनाई है और उन्हीं में से कुछ बढ़िया दोस्ती पर आधारित फिल्में भी देखने को मिली हैं. बॉलीवुड की फिल्मों और वेब सीरीज में कई ऐसी दोस्तों की जोड़ियां हमें देखने को मिली हैं, जिन्होंने हमें दोस्ती का सही मतलब सिखाया. इतना ही नहीं हमें एक बेहतर दोस्त बनने की सीख भी, इन्हीं ऑन स्क्रीन दोस्तों से मिली है. आइए आपको बताते हैं पर्दे के बेस्ट फ्रेंड्स के बारे में.
दिल चाहता है : फरहान अख्तर की बनाई इस फिल्म में आमिर खान, अक्षय खन्ना और सैफ अली खान ने तीन बेस्ट फ्रेंड्स की भूमिका निभाई थी. तीनों अपने आप में अलग थे, लेकिन फिर भी साथ थे. तीनों ने एक दूसरे का साथ मुश्किल समय में तो दिया ही, साथ ही कुछ बड़ी बातें भी सिखाईं. गोवा ट्रिप का जूनून भी देशवासियों को इसी फिल्म से मिला था.
शोले : फिल्म शोले में जय और वीरू की दोस्ती की बात अलग ही थी. अपने दोस्त के लिए कुछ भी कर जाने वाले का दावा तो बहुत लोग करते हैं, लेकिन जय ने तो सही में वीरू के लिए गोली खाई थी. दोनों की दोस्ती गहरी भी थी और दोनों एक दूसरे का सम्मान भी करते थे.
कोई मिल गया : किसने कहा दोस्ती सिर्फ दो इंसानों के बीच हो सकती है? आप अपने पेट डॉग या कैट से भी दोस्ती रख सकते हैं. और अगर आप रोहित मेहरा हैं तो आपकी दोस्ती एक एलियन से भी हो सकती है. जादू और रोहित की दोस्ती सही में कमाल थी और सभी को इमोशनल करने वाली थी. जहां जादू ने रोहित को बेहतर इंसान बनाया वहीं रोहित ने अपनी जान की बाजी लगाकर जादू को बचाया था.
सेक्रेड गेम्स : अब दोस्ती की बात हो और सरताज सिंह और अशोक काटेकर का नाम ना आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता. काटेकर और सरताज सिर्फ एक दूसरे के सहकर्मी ही नहीं, बल्कि बढ़िया दोस्त भी थे. काटेकर के सरताज की ओर डेडिकेशन और ईमानदारी ने फैंस एक दिल जीता था. और आखिर कौन काटेकर के सरताज के लिए किए त्याग को भुला सकता है?
3 इडियट्स : रणछोड़दास छांछड़, फरहान सिद्दीकी और राजू रस्तोगी की जिंदगी जितनी उलझी हुई थी, उनकी दोस्ती उतनी ही सुलझी हुई थी. तीनों ने कॉलेज के दिनों में एक दूसरे का साथ दिया, तो वहीं सालों बाद एक दूसरे से मिलने के लिए मेहनत भी की. इनकी दोस्ती ने हमें सिखाया कि अगर आपके पास अच्छे दोस्त हैं तो सबकुछ ऑल इज वेल होगा.
सोनू के टीटू की स्वीटी : सोनू और टीटू के जैसी दोस्ती दुनिया में कम ही लोगों की होती है. अपने यार का साथ देना, उसकी जिंदगी की मुश्किलों को सुलझाना, मां की तरह उसका ख्याल रखना और दुश्मनों से उसे बचाना, हर कोई इतना सब अपने दोस्त के लिए नहीं कर पाता. लेकिन सोनू ने हमें बताया कि सच्चा दोस्त कभी आपको बीच मंझधार में नहीं छोड़ता.
द फैमिली मैन : सरताज और काटेकर की तरह श्रीकांत तिवारी और जेके तलपड़े की दोस्ती का भी जवाब नहीं है. दोनों साथ में काम तो करते ही हैं, साथ ही मुश्किलों का सामना और मस्ती भी करते हैं. मनोज बाजपेयी और शारिब हाशमी की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ने इस जोड़ी में चार चांद लगाए थे.
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा - दोस्ती की बात हो और ZNMD का नाम ना आए ऐसा कैसे हो सकता है. ऋतिक रोशन, अभय देओल और फरहान अख्तर की इस फिल्म ने ना सिर्फ हमें दोस्ती का अलग मतलब सिखाया, बल्कि यह भी सिखाया कि अपने डर पर अकेले काबू पाना भले ही मुश्किल हो, लेकिन अगर सही लोग आपके साथ हैं तो सब अच्छा होगा.
मेड इन हेवेन : करण मेहरा और तारा खन्ना बिजनेस पार्टनर्स होने के साथ-साथ अच्छे दोस्त भी थे. दोनों ने ना सिर्फ अपने क्लाइंट्स की प्रॉब्लम को सुलझाया बल्कि एक दूसरे के सपोर्ट में भी खड़े नजर आए. अगर दोस्ती का मतलब यह नहीं है तो फिर क्या है.