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बॉलीवुड

जब फिल्में छोड़ ऋषिकेश चले गए Sanjay Mishra, ढाबे में ऑमलेट बनाने लगे थे

संजय मिश्रा
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फिल्मों में अपने बेहतरीन अभ‍िनय का पर‍िचय दे चुके एक्टर संजय मिश्रा 6 अक्टूबर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं. संजय मिश्रा ने 1995 में अपने एक्ट‍िंग कर‍ियर की शुरुआत की थी, पर उन्हें हमेशा सपोर्ट‍िंग किरदार के तौर पर पहचान मिली. सपोर्ट‍िंग एक्टर के टैग के बावजूद संजय ने कभी इससे आगे निकलकर सुपरस्टार के तमगे के लिए होड़ नहीं दिखाई. इस बीच एक समय ऐसा भी आया जब वे सब कुछ छोड़कर ढाबे में काम करने चले गए थे. 

संजय मिश्रा
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संजय मिश्रा निजी समस्याओं की वजह से परेशान थे. वे कर‍ियर से भटक गए थे. संजय एक्ट‍िंग के जर‍िए कमाई सभी उपलब्ध‍ियों को त्याग देना चाहते थे और कुछ दूसरा करने की लालसा में थे. 
 

संजय मिश्रा
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इंड‍ियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में संजय ने बताया था- 'वह एक अलग समय था. मुझे इंडस्ट्री से कोई श‍िकायत नहीं थी. मुझे अपनी जिंदगी से श‍िकायत थी. मेरे पिता का देहांत हो गया था और मैं एक बीमारी से जूझ रहा था. तो इस तरह की पर‍िस्थ‍ित‍ियां आपके सामने सवाल खड़े कर देती है.'

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संजय मिश्रा
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उन्होंने बताया था- 'मैं एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. डॉक्टर्स ने मेरे पेट से पस निकाला था और मेरा इलाज किया था. मैंने अपने पिता को खो दिया था. मैं अपना जीवन खोता जा रहा था.' यही वो समय था जब संजय मिश्रा परेशान होकर ऋष‍िकेश चले गए थे. 
 

संजय मिश्रा
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उन्होंने आगे कहा- 'मैं ऋष‍िकेश चला गया और वहां गंगा किनारे एक ढाबे में ऑमलेट बनाने लगा था. ढाबे के माल‍िक ने मुझसे कहा कि मुझे रोज 50 कप धोने होंगे और फिर जाकर 150 रुपये मिलेंगे. उस वक्त मैंने सोचा कि मुझे जीने के लिए इससे ज्यादा पैसे चाह‍िए.'
 

संजय मिश्रा
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संजय ने आगे बताया- 'ढाबे में एक दिन काम करने के बाद लोग मुझे पहचानने लगे थे. वे कह रहे थे अरे आप बोलमाल में थे ना और वे मेरे साथ फोटो लेना चाहते थे. फिर मेरी मां मुझे कॉल करती थी और रोते हुए घर वापस आने को कहती थीं.'

संजय मिश्रा
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'इन स्थ‍ित‍ि के बीच रोह‍ित शेट्टी ने मुझे कॉल किया और फिल्म ऑल द बेस्ट में रोल ऑफर किया. तब जाकर मैंने काम पर वापस जाने का फैसला किया.' संजय वापस मुंबई आए और उन्होंने फिल्में ज्वॉइन की. 

संजय मिश्रा
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इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल दर साल हर छोटे-बड़े रोल में काम किया. वे आलू चाट, गोलमाल 3, अतिथ‍ि तुम कब जाओगे, सन ऑफ सरदार, हम तुम शबाना, जोकर, जॉली एलएलबी, किक, दिलवाले, मसान, दम लगा के हईशा, न्यूटन, तानाजी, कामयाब में नजर आए. 
 

संजय मिश्रा
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जैसा कि हमने पहले ही बताया संजय मिश्रा के लिए सुपरस्टार का तमगा बहुत मायने नहीं रखता है. उन्होंने एक दफा इसपर खुलकर चर्चा की थी. एक पुराने इंटरव्यू में संजय मिश्रा ने कहा था- 'अगर मैं ऑड‍ियंस को कुछ दे सकता हूं और वे बतौर एक्टर मेरी इज्जत करते हैं, बस वही मेरा इनाम है.' 

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संजय मिश्रा
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'इसी से मुझे संतुष्ट‍ि मिलती है. मैं अपने कर‍ियर का बहुत बड़ा योद्धा नहीं बनना चाहता हूं. मैं अपनी जिंदगी शांतिपूर्ण तरीके से जीना और कुछ सुकून के पल चाहता हूं. मुझे यहां कंपटीशन से कोई मतलब नहीं है. मैं अपनी विरासत से खुश हूं.'

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