अभय देओल, कल्कि केकलां और माही गिल स्टारर 'देव डी' 2009 में रिलीज हुई थी. डायरेक्टर अनुराग कश्यप की ये फिल्म आज एक कल्ट बन चुकी है और इंडिया के सिनेमा प्रेमियों ने कई-कई बार ये फिल्म देखी है. अनुराग की ये फिल्म, शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के आइकॉनिक उपन्यास 'देवदास' पर बेस्ड थी.
हालांकि, फिल्म में लीड किरदार देवदास की कहानी को एक मॉडर्न तरीके से एडाप्ट किया गया था. और फिल्म में जो प्लॉट है उसका आईडिया एक्टर अभय देओल ने ही दिया था. अब अभय ने कहा है कि पहले जब उन्होंने फिल्म साइन की थी तो ये महिलाओं को सशक्त बनाने वाली कहानी थी, लेकिन अंत में ये नशे को ग्लैमराइज करने वाली बन गई.
अभय के उम्मीद से बहुत अलग बन गई 'देव डी'
फिल्मफेयर के साथ एक इंटरव्यू में अभय देओल ने डायरेक्टर 'देव डी' पर आरोप लगाया कि उन्होंने फिल्म में नशे और ड्रग्स को ग्लैमराइज कर दिया. जबकि उनके पास फिल्म आई ही इसलिए थी क्योंकि ये महिलाओं के हित वाली फिल्म थी.
अभय ने कहा, 'मेरे पास 'देव डी' ऐया ही इसीलिए थी. आईडिया ये था कि टॉक्सिक मर्दानगी को कॉल आउट किया जाए और महिलाओं को सशक्त बनाया जाए. इसके पीछे आईडिया ही यही था. मैं किताब के हिसाब से चलना चाहता था, जिसमें वो (कहानी का लीड किरदार) अंत में मर जाता है. लेकिन शराब या ओवरडोज की बजाय, वो खुद को सपोर्ट करने के लिए ड्रग्स में डील करने लगता है. पुलिसवाले उसका पीछा करते हैं, उसे नहीं समझ आता कि कहां जाए, तो वो पारो के घर जाता है और उसके घर के बाहर पुलिस की गोली से मर जाता है.'
अभय ने की अपनी ही फिल्म की आलोचना
अभय ने आगे कहा, 'आखिरकार फिल्म एक तरह से कूल बन गई और वो देखकर लोग और ज्यादा ड्रग्स और शराब लेना चाहते थे. मुझे ऐसा लगा कि 'ये पॉइंट नहीं था.' मुझे मेरे एक दोस्त ने भी फोन किया था, ये कहते हुए कि उसने वोडका की पूरी बोतल खत्म कर दी है. जो मैंने सोचा था (कहानी के लिए) ये ग्लैमराइजेशन उससे पूरी तरह अलग था.'
बता दें, 'देव डी' बेहद पॉपुलर उपन्यास 'देवदास' का एक मॉडर्न एडाप्टेशन था. उपन्यास पर बनी पिछली बाकी फिल्मों की तरह अनुराग कश्यप की फिल्म में कहानी बंगाल में बेस्ड नहीं थी. बल्कि इस बार कहानी पंजाब में बेस्ड थी, जिसकी वजह से इस आइकॉनिक कहानी को एक अलग ही कैरेक्टर मिल गया था.