अवैध निर्माण मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद को कोई भी राहत से मना कर दिया था. सोनू सूद की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "बॉल अब BMC के पाले में है." अब सोनू सूद ने अपनी संपत्ति पर बीएमसी की कार्रवाई के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सोनू सूद ने क्या कहा?
सोनू सूद ने अपनी एसएलपी (Special leave petition) में कहा है कि न तो वो हैबिचुअल ऑफेंडर हैं और न ही उन्होंने कानून और नियमों के खिलाफ कोई बाहरी बदलाव किया है. उन्होंने होटल की आंतरिक साज सज्जा में बदलाव किया है. जबकि बीएमसी के बाय लॉज के मुताबिक आंतरिक साज सज्जा के लिए किसी मंजूरी की ज़रूरत नहीं है. फिर भी 2018 में परमिशन के लिए अर्जी दी गई थी. अब तक बीएमसी उस अर्जी पर कुंडली मारे बैठा है. बीएमसी के दस्तावेजों के मुताबिक भी सोनू सूद उस संपत्ति के मालिक और कब्ज़ादार हैं. ये सब उनकी छवि खराब करने की साजिश है.
मालूम हो कि सोनू सूद की बिल्डिंग शक्ति सागर बीएमसी द्वारा लिए गए डिमोलिशन एक्शन का सामना कर रही है. सोनू और उनकी पत्नी सोनाली ने इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था जिसके बाद दिनदोशी सिविल कोर्ट ने उनकी राहत याचिका को खारिज कर दिया.
बीएमसी ने दी थी ये दलील
बीएमसी की तरफ से बॉम्बे हाई कोर्ट में दलील दी गई है कि एक्टर अवैध निर्माण के मामले में लगातार नियम तोड़ते (हैबिचुअल ऑफेंडर) रहे हैं. बीएमसी की नजरों में सोनू लगातार अवैध निर्माण में शामिल रहे हैं. वहीं बीएमसी की तरफ से सोनू के तमाम आरोपों को भी एक रणनीति बता दिया गया है.
पिछले साल जनवरी में शुरू हुआ था विवाद
बीएमसी ने बताया है कि ये सारा विवाद पिछले साल जनवरी में ही शुरू हो गया था जब लोकायुक्त ने शिकायत की थी. उस समय लोकायुक्त की तरफ से कहा गया था कि जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वाहन ना करने पर बीएमसी के खिलाफ एक्शन क्यों ना लिया जाए. उस फटकार के बाद बीएमसी ने उस इमारत का जायजा लिया था और सोनू को अक्टूबर में नोटिस जारी किया.