अजय देवगन के लिए उनके पिता वीरू देवगन हमेशा से उनके गुरु और हीरो रहे हैं. एक्टर हमेशा से खुलकर उनके बारे में बात करते आए हैं. अब कॉफी विद करण 8 के नए एपिसोड में भी अजय देवगन ने पिता और बॉलीवुड के फेमस एक्शन डायरेक्टर वीरू देवगन को लेकर बात की. उन्होंने पिता के बारे में बहुत ही दिलचस्प बातें होस्ट करण जौहर और साथ आए गेस्ट रोहित शेट्टी को बताईं.
अजय के पिता थे गैंगस्टर
अजय देवगन ने खुलासा किया कि उनके पिता वीरू देवगन को अपनी जिंदगी में कई मुश्किल का सामना करना पड़ा था. उन्होंने बताया कि वीरू देवगन एक स्ट्रीट गैंग के मेंबर हुआ करते थे. उन्हें बॉलीवुड के एक सीनियर एक्शन डायरेक्टर ने देखा था और अपने साथ काम करने के लिए रख लिया था. उन्होंने ये भी बताया कि अंत में वीरू देवगन को वो इज्जत और नाम मिला था, जिसके वो हकदार थे.
अजय देवगन ने कहा, 'वो पंजाब के अपने घर से 13 साल की उम्र में भाग गए थे. वो मुंबई बिना ट्रेन की टिकट के आए थे. उन्हें जेल में डाल दिया गया था. कोई काम नहीं, कोई खाना नहीं. किसी ने उनकी मदद की थी. शख्स ने कहा था कि अगर वो उनकी गाड़ी साफ करेंगे तो वो मेरे पिता को उसमें सोने देंगे. उन्होंने वहां से शुरुआत की थी. बाद में वो कारपेंटर बने और फिर सायन कोलीवाड़ा के गैंगस्टर बने. उस समय गैंग्स हुआ करते थे, और वॉर्स भी.'
एक्शन डायरेक्टर ने बदली किस्मत
उन्होंने आगे बताया, 'एक दिन एक बड़े सीनियर एक्शन डायरेक्टर मिस्टर रवि खन्ना. वो जा रहे थे और एक स्ट्रीट फाइट हो रही थी. उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवाई और उन्होंने लड़ाई के बाद मेरे पिता को अपने पास बुलाया. उन्होंने पूछा, 'तुम क्या करते हो?' मेरे पिता ने कहा कि वो एक कारपेंटर हैं. और मिस्टर खन्ना ने बहुत अच्छी बात कही. उन्होंने कहा था, 'तू लड़का अच्छा है. कल मुझसे मिलने आ जाना.' उन्होंने मेरे पिता को फाइटर बनाया था.'
इसपर डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने बताया कि उनके पिता एमबी शेट्टी की कहानी भी वीरू देवगन जैसी ही है. एमबी शेट्टी भी बॉलीवुड के एक्शन मास्टर हुआ करते थे. वो भी 13 साल की उम्र में मुंबई आए थे. उन्होंने एक रेस्टोरेंट में बतौर वेटर काम करने लगे थे. फिर उन्होंने बॉडीबिल्डिंग शुरू की और एक सीनियर एक्शन डायरेक्टर ने उनकी हाइट की वजह से उन्हें नौकरी पर रख लिया था.
नेपोटिज्म पर बोले अजय देवगन
अजय देवगन ने आगे नेपोटिज्म के बारे में बात की. उन्होंने कहा, 'आज आप सोशल मीडिया पर जाते हैं और नेपोटिज्म के बारे में बहुत कुछ पढ़ते हैं. लेकिन लोग इस बात पर ध्यान नही देते कि एक पीढ़ी ने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की है. ये एक आसान कहानी नहीं है.'
करण जौहर ने सुनाई पिता की दास्तां
इसपर करण जौहर ने भी अपनी पिता को लेकर कहानी सुनाई. उन्होंने कहा, 'मेरे पिता हंसते अगर उन्होंने सुना होता कि लोग मुझे नेपोटिज्म का लीडर कहते हैं. मेरे पिता जहां थे वहां पहुंचने के लिए उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया था. वो एक प्रोडक्शन कंट्रोलर थे, फिर प्रोड्यूसर बने, और उनकी बहुत सारी फिल्में फ्लॉप हुईं. मुझे याद है मेरी मां ने अपने जेवर बेचे थे, मेरी नानी का अपार्टमेंट बेचा था.'
उन्होंने बताया कि उनके पिता को लोग फिल्मों की स्क्रीनिंग में बुलाते थे लेकिन फिर भी वो नही जाते थे. इसका कारण लोगों का उन्हें फ्रंट रो में सीट देना था, जिसे बेइज्जती की निशानी माना जाता था. फिल्मों के फ्लॉप होने के बाद करण के पिता यश जौहर को बड़े स्टार्स अपनी पार्टी में नहीं बुलाते थे.