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फैमिली फिल्मों में हमेशा हिट रहे हैं Akshay Kumar, क्या 'रक्षा बंधन' भी करेगी कमाल?

कोविड 19 आने से पहले हर साल अक्षय कुमार की बॉक्स ऑफिस पावर बढ़ती जा रही थी. लेकिन 2022 में जबसे थिएटर्स पूरी तरह पहले की तरह सामान्य हुए हैं, उनकी दो बड़ी फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं. ऐसा क्यों हुआ? अक्षय से ऐसी क्या चूक हुई? और क्या ये चूक 'रक्षा बंधन' से सुधर जाएगी? आइए बताते हैं...

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रक्षा बंधन में अक्षय कुमार
रक्षा बंधन में अक्षय कुमार

बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार (Akshay Kumar) पिछले एक दशक में हर साल, कम से कम एक बार बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ कमाने वाली फिल्म जरूर देते हैं. 2022 में अक्षय की दो बड़ी फिल्में आईं जिनकी अनाउन्समेंट होने के बाद से ही जनता इनका इंतजार कर रही थी- बच्चन पांडे और सम्राट पृथ्वीराज. मगर दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद से कहीं पीछे छूट गईं. 

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अक्षय, जिन्हें बॉलीवुड की हिट मशीन कहना भी गलत नहीं होगा, इस साल अभी दो और फिल्मों में दिखेंगे. 'रक्षा बंधन' (Raksha Bandhan) 11 अगस्त को थिएटर्स में रिलीज के लिए तैयार है और 'राम सेतु'(Ram Setu) 24 अक्टूबर को आएगी. लेकिन अक्षय के फैन्स को थोड़ी टेंशन तो है. वो इसलिए कि अगर इन फिल्मों ने जमकर कमाई नहीं की, तो 'खिलाड़ी' कुमार के कई जोरदार बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड्स के साथ खेल हो जाएगा! 

लेकिन अक्षय फैन्स और उनके भरोसे बॉक्स ऑफिस पर तूफान उठने का इंतजार कर रहे फिल्म बिजनेस वालों को ज्यादा टेंशन नहीं लेनी चाहिए. 'रक्षा बंधन' भले बहुत बड़े बजट की फिल्म न हो, मगर उसमें एक ऐसा गुण है, जो हमेशा अक्षय के फेवर में काम करता है. इसका नाम है- फैमिली वाली फीलिंग. आपको बताते हैं अक्षय के लिए ये मंत्र कैसे और कितना काम करता है:

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फैमिली के फेवरेट हैं अक्षय

हेराफेरी में अक्षय कुमार और परेश रावल

अक्षय की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक 'हेराफेरी' साल 2000 में आई थी. इससे पहले भी अक्षय अपनी फिल्मों में कॉमेडी कर रहे थे लेकिन टुकड़ों में. जैसे 'मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी' और 'अफलातून' में कुछ-कुछ कॉमेडी थी, लेकिन रोमांस या एक्शन की डिश पर ऊपर से छिड़के गए धनिया की तरह. 

'हेराफेरी' के बाद 2002 में आई 'आवारा पागल दीवाना' हो और फिर 2004 के बाद से हर साल उनकी कम से कम एक कॉमेडी फिल्म रिलीज होती चली गई. साथ ही अब वो ऐसी फिल्मों में नजर आने लगे जिन्हें परिवार के साथ देखना आसान था. ये हल्के-फुल्के मूड वाली फिल्में थीं, जिनमें अक्षय की फिजिकल कॉमेडी बच्चे को भी पसंद आई और उसके डैडी-मम्मी को भी.

इनमें से 'मुझसे शादी करोगी' 'भागमभाग' 'गरम मसाला' 'वेलकम' और 'भूल भुलैया' जैसी फिल्में टीवी पर कितनी जबरदस्त पॉपुलर हुईं, ये तो शायद अब बताने की भी जरूरत नहीं रही. और टीवी पर जमकर चलने से इन फिल्मों ने अक्षय की 'साफ-सुथरी' वाली इमेज को और मजबूत कर दिया.  

कॉमेडी के साथ सोशल मुद्दा और इमोशन

टॉयलेट एक प्रेम कथा में अक्षय कुमार, भूमि पेडनेकर

कॉमेडी के साथ दिया गया मैसेज जोरदार असर करता है, ये न जाने कितनी बार कहा जा चुका है. 'सिंह इज किंग' 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' 'गुड न्यूज' जैसी फिल्मों में अक्षय ने यही किया. इन फिल्मों में कॉमेडी भी थी, मैसेज भी और इमोशन का सही डोज भी. फैमिली के साथ थिएटर गए लोग एंटरटेनमेंट के साथ कुछ ज्ञान भी बटोर लाए.

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हालांकि, मैसेज देने गए अक्षय ने 'पैड मैन' में जब एक ऐसा टॉपिक छुआ जो कई परिवारों के लिए आज भी टैबू है, तो 2015 के बाद पहली बार उनका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन (Box Office Collection) 100 करोड़ तक पहुंचने से चूका. 

'रक्षा बंधन' में भाई-बहन का इमोशन है. 4 बहनों की शादी का मुद्दा है और इन बहनों के साथ कुछ न कुछ ऐसा जुड़ा नजर आ रहा है, जो आज के दौर में भी शादी के डिस्कशन में पंगे का मुद्दा बन जाता है. यानी फिल्म के पैकेज में मैसेज भी जरूर होगा. 

हल्के फुल्के मूड वाली फिल्में

भागमभाग में अक्षय कुमार

अक्षय की फिल्में बेहतरीन 'एस्केपिस्ट' मैटेरियल होती हैं, यानी ऐसी फिल्में जिन्हें देखते हुए प्लॉट में बहुत ज्यादा दिमाग नहीं धंसाना पड़ता. ऐसी फिल्में जिन्हें दुनियादारी-कामकाज से पका आदमी सब कुछ भूल के, चिल होकर देख जाएगा. अक्षय की फिल्मों में आप 10 मिनट लेट भी घुस सकते हैं, बीच में उठकर स्नैक्स लाने जा सकते हैं, फोन कॉल भी रिसीव कर सकते हैं और इसके बावजूद जब दोबारा फिल्म देखेंगे तो कहानी पकड़ में आ ही जाती है.

फैमिली ऑडियंस और दोस्तों के साथ चिल मारने गए लोगों को यही सब चाहिए होता है. 'रक्षा बंधन' के ट्रेलर से फिल्म इसी तरह लाइट-मूड वाली लग रही है.  

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2022 में हुई ये गलती

बॉक्स ऑफिस गवाह है कि पिछले 20 सालों में जब-जब अक्षय कुमार ने अपनी इमेज से एकदम हटकर कुछ किया है, वो अधिकतर फ्लॉप ही हुए हैं. 'सम्राट पृथ्वीराज' (Samrat Prithviraj) जैसी सीरियस और भारी इतिहास पर बनी फिल्म के फ्लॉप होने के पीछे ये शायद सबसे बड़ा कारण है.

गैंगस्टर के रोल में लोगों ने उन्हें 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' में ही नकार दिया था. लेकिन 'बच्चन पांडे' (Bachchhan Paandey) में उन्होंने फिर से ये कोशिश की. इस बार तो स्क्रीन पर मार काट वाला एक्शन भी करते दिखे और उनके किरदार ने ये भी कह दिया कि 'कोई मजबूरी नहीं है बस मारने में मजा आता है'. तो फिर जनता को कैसे पसंद आता!

बच्चन पांडे में अक्षय कुमार

झुंड बना के चलो! 

अब जैसा कि ऊपर हमने बताया, अक्षय की पक्की वाली ऑडियंस, परिवार और दोस्तों के साथ ग्रुप में फिल्म देखने वाली होती है. शुक्रवार को 'रक्षा बंधन' ने अगर शुरुआत के शोज देखने वालों से और क्रिटिक्स से ठीकठाक तारीफ बटोर ली, तो शाम के शोज भरने लगेंगे और वीकेंड शोज की सीटें भी जमकर भरेंगी. यानी बॉक्स ऑफिस पर अक्षय को हरियाली मिलेगी. 

अक्षय ने जब भी कॉमेडी, फैमिली, देशभक्ति या वर्दी से हटकर कुछ ट्राई किया, वो ज्यादातर फेल ही हुए हैं. मगर 'रक्षा बंधन' में वो फिर से अपने आजमाए हुए फॉर्मूला के साथ आ रहे हैं. इसलिए फिल्म से अच्छी कमाई की उम्मीद की जा सकती है. बस कहानी थोड़ी सी मजेदार और इमोशनल हो!

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