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खून खराबा नहीं चाहते 'गुड्डू भैया', दिमाग पर पड़ा असर, अली फजल बोले- मिर्जापुर के सीन्स ने किया परेशान

अली ने कहा कि हाल ही में मिर्जापुर का तीसरा ब्लॉकबस्टर सीजन देखने में उन्हें कुछ वक्त लगा. लेकिन अब वो हिंसा से कम नफरत करने लगे हैं. उन्होंने कहा, "ये उन न्यूज के कारण भी है जो आप देख रहे हैं. मैं उस हिंसा को बेहतर तरीके से संभाल सकता हूं, क्योंकि वहां ऐसे लोग असल में हैं जो इस गंदगी से गुजर रहे हैं.

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मिर्जापुर के गुड्डू भैया यानी अली फजल इस सीरीज से हाउस होल्ड नेम बन गए. सीरीज में उन्होंने जमकर खून खराबा और मारपीट की है, लेकिन अली इससे खुश नहीं थे. अली ने बताया कि उन्हें इतना वायलेंट होना बिल्कुल पसंद नहीं है. मिर्जापुर के सीन्स उन्हें परेशान करते थे, इतना ही नहीं उन्होंने मेकर्स से मर्डर सीन्स को बदलने तक की मांग की थी.

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दिमागी रूप से पड़ा असर

अली एक बेहद शांत किस्म के इंसान हैं. उन्होंने बताया कि वो हिंसा से बहुत दूर रहते हैं, इस वजह से कई बार उन्हें मिर्जापुर में काम करने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्हें स्क्रीन पर हिंसा देखने में कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अभी भी उन्हें ये समझने में दिक्कत होती है कि मिर्जापुर में उन्हें क्या-क्या करना पड़ा है. वर्क फेज में आने वाली मुश्किलों के बारे में बात करते हुए अली ने बताया कि मिर्जापुर उस मुश्किल दौर का आधा है जो आप देख रहे  हैं. वो हिंसा से भरी है, और मैं वायलेंट नहीं हूं. मेरा अंतर्मन उसे एक्सेप्ट नहीं करता है. 

अली बोले- कोई दूसरा रास्ता नहीं है, और ये सबसे घिसी-पिटी लाइन है, लेकिन आप इसमें डूब जाते हैं. इसके लिए जरूरत से ज्यादा फोकस की आवश्यकता होती है. कैमरे के सामने, ये मेडिटेशन जैसा है. मेरे लिए, मेरे जीवन में दो समय ऐसे हैं जो ध्यान देने वाले हैं. जब हम हॉल में बैठकर फिल्म देख रहे होते हैं, या जब हम शूटिंग कर रहे होते हैं. शूटिंग के पहले और बाद में होने वाला शोर, मेरे लिए शोर है. जब कैमरा चलता है तो मैं तरस जाता हूं.

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अली ने कहा कि हाल ही में मिर्जापुर का तीसरा ब्लॉकबस्टर सीजन देखने में उन्हें कुछ वक्त लगा. लेकिन अब वो हिंसा से कम नफरत करने लगे हैं. उन्होंने कहा, "ये उन न्यूज के कारण भी है जो आप देख रहे हैं. मैं उस हिंसा को बेहतर तरीके से संभाल सकता हूं, क्योंकि वहां ऐसे लोग असल में हैं जो इस गंदगी से गुजर रहे हैं. हमारी फिल्में जाहिर तौर पर इसका एक हिस्सा दिखाती हैं." 

सीन को बदलने की नाकाम कोशिश

अली ने बताया कि वो कई बार कोशिश करते हैं कि किसी सीन में वायलेंस कम हो. लेकिन अगर ना हो पाए तो वो अपने पैर खींच लेते हैं.  उन्होंने कहा, "हां. मैं कोशिश करता हूं. लेकिन इसके बाद मैं वैसा नहीं करता. और शायद यही वजह है कि मैंने बहुत सारे काम खो दिए हैं. लेकिन ऐसी कई तरह की मुश्किलें होती हैं. मिर्जापुर में, एक सीन था जहां मैं किसी को मारता हूँ, जो मुझे उस समय लगा कि इसे फिल्माने का तरीका बहुत गैर-जरूरी था. और मैं खुद को इसके लिए मना नहीं कर सका. कैरेक्टर भी मेरे हिसाब से जस्टिस नहीं कर रहे थे. मुझे लगा कि ये बिल्कुल गलत था, कि आप ऐसा क्यों लिखेंगे?"

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अली ने आगे कहा- मैं अपने दिमाग में लड़ता रहा.... इस कैरेक्टर के लिए और कोशिश की कि इसे जज ना करूं. तभी मैंने फिल्म मेकर से भी पूछा कि ऐसा करना क्यों जरूरी है? लेकिन उनके पास कई तर्क हैं मुझे समझाने के. आप राइटर्स-डायरेक्टर्स के साथ बैठते हो, ताकि आप उस सीन को बदल सको, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. फिर ये सिचुएशन घटिया हो जाती है.  
  
बता दें, मिर्जापुर ओटीटी के सबसे सफल शोज में से एक है. सीरीज में पंकज त्रिपाठी, दिव्येंदु शर्मा, अली फजल, श्वेता त्रिपाठी, विक्रांत मैसी और विजय वर्मा जैसे कई स्टार्स शामिल रहे हैं. 

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