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मोगेंबो का पोता होकर भी नहीं मिला काम, वर्धन पुरी ने सुनाई स्ट्रगल स्टोरी

वर्धन पुरी के माता-पिता इस फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं रहे हैं. हां, दादा अमरीश पुरी जरूर रहे हैं. वह भी अपने समय के दिग्गत कलाकारों में शुमार किए जाते थे. विलेन के किरदार जो भी उन्होंने किए, अपनी शर्तों पर किए. इंडस्ट्री के लेजेंड एक्टर बने. साल 2019 में अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने फिल्म 'ये साली आशिकी' से डेब्यू किया था. यह उसी दौरान की बात है जब स्टार किड्स को नेपोटिज्म के चलते खरी-खोटी सुनने को मिल रही थी.

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वर्धन पुरी
वर्धन पुरी

बॉलीवुड इंडस्ट्री में यह ट्रेंड चलता आया है कि एक्टर का बच्चा एक्टर ही बनेगा. बॉलीवुड जगत में फिल्मों के साथ डेब्यू करेगा. हालांकि, कुछ स्टार किड्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने फिल्म से अलग अपनी पहचान बनाई और दूसरी इंडस्ट्री में नाम भी कमाया. कुछ ऐसे हैं जो फिल्म इंडस्ट्री में सक्सेसफुल रहे तो कुछ डूब गए, चल ही नहीं पाए. दर्शकों के बीच पहचान ही न बना सके. पिछले कुछ सालों से फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म की चर्चा तेज होती नजर आई है. सुशांत सिंह राजपूत के पिछले साल निधन के बाद से इस पर काफी निगेटिव रिस्पॉन्स भी आया है. स्टार किड्स को ऑडियंस से भला-बुरा सुनने को मिला है. 

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वर्धन पुरी के माता-पिता इस फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं रहे हैं. हां, दादा अमरीश पुरी जरूर रहे हैं. वह भी अपने समय के दिग्गत कलाकारों में शुमार किए जाते थे. विलेन के किरदार जो भी उन्होंने किए, अपनी शर्तों पर किए. इंडस्ट्री के लेजेंड एक्टर बने. साल 2019 में अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने फिल्म 'ये साली आशिकी' से डेब्यू किया था. यह उसी दौरान की बात है जब स्टार किड्स को नेपोटिज्म के चलते खरी-खोटी सुनने को मिल रही थी. अमरीश पुरी के पोते होने के नाते वर्धन पुरी का पहला ब्रेक काफी मुश्किलों भरा रहा. दादा के नाम का टैग उन्होंने खुद के नाम के आगे नहीं लगाया. हालांकि, दादा से उन्हें सीखने को काफी कुछ मिला. अमरीश पुरी के पोते होने के नाते जिंदगी, सिनेमा, करियर, एक्टिंग और थिएटर के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला. 

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कभी नहीं कहा गया नेपो किड
स्पॉटब्वॉय के मुताबिक, वर्धन पुरी का कहना है कि किसी ने भी मुझे पॉइंट आउट नहीं किया, मुझे कभी नेपो किड नहीं बुलाया. मेरे दादा का निधन तभी हो गया था जब मैं काफी यंग था और थिएटर करता था. उन्होंने कभी मेरे लिए किसी को फोन करके या कास्टिंग के लिए या ऑफिस जाकर बात करने की बात नहीं की. अगर आज भी वह जिंदा होते तो वह ऐसे नहीं करते, क्योंकि वह हमेशा इस बात में यकीन रखते थे कि अगर जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं तो अपने दम पर बनें. अगर कोई चीज आपको प्लेट में परोसी हुई मिल रही है तो आप केवल एक ही फिल्म में सर्वाइव कर पाओगे. उसके बाद आप फ्लैट नीचे गिरते जाओगे. आपके पैर क्योंकि मजबूत नहीं होंगे. जब आप खुद एक-एक सीढ़ी करके चढोगे तभी पैर मजबूत रख पाओगे. जिस जगह की आप वैल्यू करते हैं वहीं तक पहुंचने के लिए आपको स्ट्रगल करना पड़ेगा. 

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ऐसा रहा वर्धन पुरी का करियर
दादा के जाने के बाद वर्धन पुरी को किसी ने नेपो किड कहकर नहीं बुलाया. वर्धन कहते हैं कि मैं शायद एकलौता लड़का हूं, जिसने बहुत ऑडिशन्स दिए हैं, स्क्रीनटेस्ट दिए हैं. फिर चाहे वह इनसाइडर हो या आउडसाइडर, मैंने सबसे ज्यादा ये चीजें दी हुई हैं. मैंने बहुत सारे इंटरव्यूज दिए. इसके बाद जॉब भी मिली, वह भी असिस्टेंट डायरेक्टर की. इसके बाद मैं असिस्टेंट राइटर बना. मैं कई सालों तक थिएटर किया. मैंने बहुत सारे प्ले में परफॉर्म किया, उसके बाद जाकर मुझे फिल्म मिली. यह केवल मेरी मेहनत का नतीजा था, न कि अमरीश पुरी के पोटे होने का. मेरे लिए उनका नाम ही साथ जुड़ना काफी रहा. 

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वर्धन पुरी का मानना है कि अगर थोड़ा भी डायनैमिक्स बदले हुए होते तो चीजें अलग होतीं. वर्धन कहते हैं कि अगर अमरीश पुरी मेरे पिता होते तो शायद मुझे नेपो किड कहा जाता. लेकिन मेरे पिता फिल्मों का हिस्सा रहे ही नहीं कभी. मेरे माता-पिता फिल्म प्रोड्यूसर बने इसलिए मैं एक्टर बना. तो अब लोग इसलिए भी मुझे नेपो किड नहीं कहते क्योंकि मैं प्रोड्यूसर्स का बेटा हूं. 

(फोटो क्रेडिट- Getty images)

 

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