अपने खास अंदाज और कॉमेडी से लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले राजू श्रीवास्तव अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन फैंस के दिलों में वो हमेशा जिंदा रहेंगे. आज राजू श्रीवास्तव की बर्थ एनिवर्सरी है. कॉमेडियन का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था. राजू के जाने के बाद पहली बार उनका परिवार राजू के बिना ही उनका जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहा है. इस मौके पर राजू श्रीवास्तव की पत्नी शिखा ने आज तक से कई चीजों पर बात की है.
राजू जी के कार्डियक अरेस्ट की जानकारी आपको कैसे मिली ?
राजू के छोटे भाई काजू जो कानपूर में रहते हैं. उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. उनके ब्रेन में कुछ प्रॉब्लम आ रही थी. कानपुर से लखनऊ के बाद, काजू जी को दिल्ली के एम्स के लिए रेफर किया गया. राजू उसी दौरान एक टूर पर थे. राजस्थान से वापस आते समय वो दिल्ली में रुक गए. दो तीन दिन वो दिल्ली में भाई की देखभाल के लिए एक्स्ट्रा रुके थे.
एम्स में राजू ने ही डॉक्टर्स से बातचीत भी की थी. यकीन कीजिए, जिस डॉक्टर को काजू के लिए रेफर किया गया था, वही डॉक्टर राजू के साथ इन 42 दिनों तक रहे थे. खैर, राजू ने ऑपरेशन का डेट फिक्स कर लिया था. जिस दिन ऑपरेशन होना था, उसके एक दिन पहले काजू को एडमिट कर दिया गया था. काजू का जब ऑपरेशन शुरू हुआ, तो उन्होंने (राजू ने) काजू के बेटे से बात की और ऑपरेशन की जानकारी घर पर दी. इसके बाद उन्होंने दोबारा भतीजे को फोन कर पूछा कि ऑपरेशन हो गया. भतीजे ने कहा कि नहीं चाचा अभी तो अंदर ही हैं. शायद उन्हें अस्पताल जल्दी जाना था, इसलिए वो जिम जल्दी चले गए. दिल्ली वाले भईया अपने परिवार समेत पहले ही काजू की ऑपरेशन की वजह से अस्पताल में मौजूद थे. फैमिली मेरी एक तरह से अस्पताल में थी. कॉल पर बात करने के बाद वो जिम गए और फिर सुबह 12.05 में वो अस्पताल में एडमिट थे.
'एक अजीब सी बात यह हुई थी कि राजू जिस होटल में रूके थे, वो वहां से अपने दोस्त के घर पर सामान लेकर चले गए थे. दोस्त का घर एम्स अस्पताल के ठीक करीब था. राजू जिम मिस नहीं करते थे, तो उन्होंने एम्स के सामने वाला ही जिम चुना था. राजू को जब कार्डियक अरेस्ट आया, तो उन्हें मुश्किल से दस मिनट के अंदर अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. यह सब चीजें बहुत फास्ट हुईं, जिम में हुए उस हादसे के फौरन बाद लखनऊ में मेरे भाई को कॉल गया था.'
जिम के ही किसी मेंबर ने राजनाथ जी को कॉल किया. राजनाथ जी ने फौरन एक्शन लेते हुए एम्स में सारे काम को जल्दी करवाया था. जब ये अस्पताल पहुंचे, तो उस वक्त पल्स, बीपी कुछ भी काम नहीं कर रहा था. कार्डियक अरेस्ट की वजह से बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो जाती है. सीपीआर के बाद जब वो रिवाइव हुए, तो उस दौरान ऑक्सीजन सप्लाई ब्रेन में प्रॉपर तरीके से नहीं पहुंच पाई थी. ऑक्सीजन सप्लाई न होने की वजह से उन्हें ब्रेन इंजरी हुई थी.
मैं उस वक्त मुंबई में बच्चों के साथ थी. भैया का कॉल आया, उस वक्त मैं दिल्ली के अस्पताल में बैठी भाभी से ही फोन पर बात कर रही थी. इसी बीच भतीजे (शानू) का कॉल आया, कहने लगा कि फूफा जी को अटैक आया है और उन्हें एम्स लेकर गए हैं. मैंने कहा कि फूफा जी को नहीं, वो उनके भाई के ऑपरेशन के लिए एम्स गए हैं. तुम्हें कंफ्यूजन हुआ है. यहां अंतरा भी वही कह रही थी कि जरूर चाचा जी को लेकर कंफ्यूजन हुआ होगा. इसी बीच न्यूज आने लगी थी, तो मुझे लगा कि यह सब अफवाह है, क्योंकि वो अस्पताल भाई को देखने गए होंगे, तो शायद लोगों ने गलत समझ लिया होगा. हालांकि मेरे भाई श्योर थे. परिवार के कॉल्स आने लगे.. फिर हमने फ्लाइट लिया और हम देर शाम पहुंचे थे. उस वक्त तो मुझसे वेंटिलेटर वाली बात छिपाई गई थी. मुझे बस यही पता था कि उनका सीपीआर हो गया है, पल्स बीपी आ गया है, एंजियोप्लास्टी के लिए लेकर गए थे. एंजियोप्लास्टी होने का मतलब यही था कि वो क्रिटिकल हालत से निकल गए होंगे. वहां पहुंचकर पता चला कि वो वेंटिलेटर पर हैं.
राजू श्रीवास्तव जब अस्पताल में थे, तब खुद को कैसे संभालती थीं?
उस वक्त तक हर पल बस मन में उथल-पुथल सा चलता रहता था. पता नहीं कब क्या हो जाए. हालांकि पूरे वक्त हम पॉजिटिव रहने की कोशिश करते थे. मुझे तो लगता था कि सब ठीक हो जाएगा. क्रिटिकल होने के बाद वो धीरे-धीरे इंप्रूव हो रहे थे. उनके ऑर्गन्स परफेक्ट काम करने लगे थे. किडनी, लीवर, लंग्स के सारे इंफेक्शन ठीक हो रहे थे. लेकिन डॉक्टर्स का कहना था कि ब्रेन इंजरी की वजह से उन्हें जो होश आना था, उसमें वक्त लग रहा है. कहीं न कहीं ऑक्सीजन सप्लाई भी ठीक हो गई थी, सबकुछ कंट्रोल में हो गया था. बस वही है कि वेंटिलेटर से वो बाहर निकल नहीं पाए. वेंटिलेटर पर हुए कॉम्प्लीकेशन के बाद उनकी बॉडी में सेप्सीस इंफेक्शन हो गए थे.
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इन 42 दिन मैं अस्पताल में रही लेकिन ऐसा कोई भी दिन नहीं था, जब कोई अनजान हमारे पास नहीं आता था. रोजाना दूसरे शहर से लोग आ जाते थे. आईसीयू के दरवाजे के पास कोई नमाज पढ़कर दुआ फूंकता, तो कोई पूजा करता. कई लोग गंगाजल लेकर आते थे, कोई प्रसाद, हनुमान चालीसा लेकर आ रहा था. उस वक्त तो ऐसा लगता था कि कोई जादू हो जाए और राजू जी इससे निकल जाएं. हालांकि उन दिनों मुझे इतने कॉल्स आते थे और लोग फोन पर कंडोलेंस मैसेज भेजते हुए RIP लिखते थे. मरने की अफवाह पर कई लोग कॉल कर के, रोते हुए सांत्वना देते थे. मुझे चिढ़ होती थी कि आप मुझसे पूछ तो लो, क्योंकि मेरा पति जिंदा है, अभी आईसीयू में है. सोशल मीडिया पर बच्चे फॉरवर्ड किए कंडोलेंस मैसेज और तस्वीरों पर लिखे RIP देखकर सहम जाते थे. इन सब चीजों ने हमें काफी तोड़ दिया था. कितनी मुश्किल से हिम्मत बांधती थी फिर ये सब फेक न्यूज देखकर मन बैठ जाता था.
आपको प्रधानमंत्री मोदी जी और कई लोगों के कॉल्स आए थे ?
हां, इस दौरान पॉलिटिशियन और एंटरटेनमेंट जगत से कई लोगों का सपोर्ट मिला. प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी जी ने कॉल किया था और उन्होंने राजू की सेहत की खबर ली. जिस दिन वो एडमिट हुए थे, उसी दिन कॉल आया था. उसके बाद भी वो हमसे कनेक्टेड रहे और सेहत की जानकारी लेते रहे. वहीं यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ की टीम से हमेशा कोई न कोई अस्पताल में तैनात रहता था. उनका भी कई बार कॉल आया था. उन्होंने जॉइंट कमिशनर को हमारे कॉन्टैक्ट में रखा था, कि किसी भी चीज की जरूरत हो तो मैं संपर्क कर लूं. वहीं अमिताभ बच्चन सर ने भी हमेशा कॉल किया, उनके भेजे ऑडियो नोट्स भी हम राजू जी को सुनाते रहते थे. इसके अलावा वो लगातार 42 दिनों तक हमें मैसेज कर राजू जी की अपडेट लेते रहे. उन्होंने बहुत हिम्मत दी.
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उनका कोई काम जो अधूरा रह गया हो और उसे आप पूरा करना चाहती हैं ?
वो परफॉर्मर रहे हैं, तो बच्चे भी उनकी लिगेसी को आगे बढ़ाएंगे. अंतरा अभी प्रोडक्शन हाउस में काम कर रही है, वहीं आयुष्मान का सितार में इंट्रेस्ट है. वो बच्चों को सेटल होता देखना चाहते थे. इसके अलावा पॉलिटिक्स में भी उन्हें काफी कुछ करना था.
ऐसी चर्चा है कि आप पॉलिटिक्स जॉइन करने वाली हैं ?
राजू ने अपना आखिरी का कुछ वक्त पॉलिटिक्स में दिया. सपा को छोड़कर उन्होंने बीजेपी जॉइन किया. बीजेपी ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया है. उन्हें नवरत्न भी चुना गया था. मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान का ब्रांड अंबैस्डर भी बनाया था. इसके अलावा फिल्म विकास परिषद् का चेयरमैन भी नियुक्त किया गया था. उन्हें इस फील्ड में आगे बहुत कुछ करना था. उनके जाने के बाद वो प्लान रुक गए हैं. अगर मुझे मौका मिलता है, तो शायद मैं उनके इस अधूरे सपने को पूरा करने की कोशिश करूंगी. हालांकि ये कैसे होगा और क्या होगा, इसका कुछ भी आइडिया नहीं है.
25 दिसंबर को उनका जन्मदिन है ?
मैं अपने बच्चों संग कानपुर जा रही हूं. वहां उनके परिवार और दोस्त, उनके नाम पर कुछ फंक्शन कर रहे हैं. हम उनके उस बर्थडे सेलिब्रेशन में शामिल होंगे.. बस वो नहीं होंगे...!