स्वर कोकिलो लता मंगेशकर ने सिंगिंग की दुनिया में एक इतिहास रचा है. इंडस्ट्री में 70 साल का उनका योगदान रहा है. हजारों गाने लता दीदी ने गुनगुनाए हैं. अपनी आवाज से समा बांधा है. आज लता मंगेशकर से जुड़ी कितनी ही कहानियां हैं, जिन्हें याद कर हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है. आजतक के शो "श्रद्धांजलि- तुम मुझे भुला ना पाओगे" में अनु मलिक और बाबुल सुप्रियो आए. दोनों ने ही लता मंगेशकर संग उनकी पहली मुलाकात और उस याद के बारे में किस्से साझा किए जो शायद ही कोई जानता होगा.
लता मंगेशकर में एक अलग तरह की सिंपलिसिटी थी. अनु मलिक के लिए लता दीदी नहीं, बल्कि मां समान थीं. अनु मलिक, सरदार मलिक साहब के बेटे हैं. इन्होंने कमाल के गाने बनाए हैं. अनु मलिक का बचपन संगीत में बीता है. अनु मलिक के मामा ने अपना पहला गाना लिखा था, जिसे लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी थी. गाने का नाम था, "जिया बेकरार है आई बहार है". यह अपने आप में बहुत बड़ी बात थी. पूरा दिन इस गाने का जश्न मनाया गया था. यहीं से अनु मलिक का रिश्ता दीदी के साथ जुड़ा. संगीत से जो प्रेम हुआ, वह दीदी की आवाज से ही हुआ. 15 साल की उम्र से अनु मलिक प्रभुकुंज जाने लगे. यह लता मंगेशकर का निवास रहा है.
जब लता को गाते देख रोने लगे थे अनु मलिक
लता मंगेशकर और आशा दीदी के घर के बीच केवल एक दरवाजा था. खुद को अनु मलिक खुशनसीब मानते हैं कि उन्होंने लता मंगेशकर की मां (माई) को देखा है. संगीत बनाने का शौक शुरू से ही अनु मलिक को रहा है. अनु आते आशा जी के पास थे, लेकिन भागते लता मंगेशकर के पास थे. लता दीदी के पास जब अनु ने काम शुरू किया तो वह मंजर वो कभी नहीं भूल सकते.
एक गाना था 'बिछुआ'. अनु मलिक जब भी लता दीदी को देखते थे तो सोचते थे कि इतने बड़े-बड़े संगीतकारों के साथ उन्होंने काम किया है, उनके चेहरे पर कोई शिकन नजर नहीं आती थी. जब वह हाई नोट भी लेती थीं तब भी स्ट्रेस उनके फेस पर नहीं दिखता था. वह 'बिछुआ' गाना गा रही थीं, अनु ने अपने साथी से कहा कि तू मॉनिटर पर बैठ मैं आता हूं. जैसे ही मुखड़ा आया, वह भागे, कांच के दरवाजे से अनु मलिक लता दीदी को देख रहे थे. उनके चेहरे पर कोई स्ट्रेन नहीं था और उन्होंने नोटिस किया कि जब वह माइक पर जाती थीं तो वह चप्पल उतार देती थीं. उनके लिए गाने की जगह मंदिर समान थी. उन्होंने देखा कि सीधे पैर की ऊंगलियां वह कारपेट में गड़ाए जा रही हैं. इस मंजर को देखकर वह बहुत रोए. उन्हें अहसास हुआ कि कितना स्ट्रेन हो रहा है लता दीदी को, लेकिन चेहरे पर नजर नहीं आ रहा है. तबसे उनके दिल में हर सिंगर के लिए इज्जत आ गई. दीदी उस समय अकेली थीं और गाना गा रही थीं और लोगों की जिंदगियां बना रही थीं.
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बिना म्यूजिक के जब लता ने बाबुल को गाने के लिए कहा
बाबुल सुप्रियो सिंगिंग इंडस्ट्री का बड़ा नाम रहे हैं. इन्होंने शो में लता मंगेशकर संग अपनी पहली मुलाकात और उनके द्वारा की गई एक खास गुजारिश के बारे में बताया. बाबुल कहते हैं कि वह बहुत छोटा सा क्षण था. मैंने आशा जी के साथ बहुत शोज किए हैं. वर्ल्डवाइड जाया करता था. उनके घर पर जब मैं जाता था रिहर्सल करने के लिए तो लता दीदी से भी मुलाकात होती थी. आशा जी बिस्तर पर बैठी हुई थीं और मैं गा रहा था. प्रभुकुंज में सभी के घर आपस में जुड़े हुए हैं तो उस क्षण ऐसा हुआ कि लता दीदी और ऊषा जी पीछे से अचानक चलकर अंदर आए. यह साल 1988-89 की बात है. मुझे मुंबई में आए हुए केवल तीन या चार साल ही हुए थे. उस समय मेरे लिए वह फैन ब्वॉय मोमेंट था. मैं उस समय जो गाना गा रहा था, वह था 'आंखों में हमने आप की'. लता दीदी ने कहा कि यह गाना पूरा करो. बता दूं कि पहली मुलाकात मेरी लता दीदी से जो हुई थी, वह जगजीत सिंह साहब ने कराई थी. एक शो के दौरान मैं उनसे मिला था. उनकी जगह कोई लेगा, यह सवाल ही पैदा नहीं होता है. लता दीदी की आवाज में ही प्यार बसा था. वह किसी को व्हॉट्सएप पर अगर वॉइस मैसेज भी भेजती थीं तो उसमें बेहद प्यार भरा नजर आता था. वह हमेशा मुस्कुराती रहती थीं. उनकी आवाज में बहुत सिंपलिसिटी थी.