लाउडस्पीकर पर अजान और हनुमान चालीसा पर लगातार गहमागमी है. लगातार इन मसलों पर सियासी बयानबाजी हो रही हैं. इस कंट्रोवर्सी पर अब भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा ने भी अपनी बात रखी है. गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे अनूप जलोटा ने हनुमान चालीसा और अजान को लेकर छिड़े विवाद पर दो टूक बात कही है.
अनूप जलोटा ने हनुमान चालीसा और अजान विवाद पर कहा- अजान में भी सुर बसते हैं. कान्हा बांसुरी लिए तान लगाते हैं. हमारे यहां हनुमान चालीसा और अजान दोनों ही संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है. हनुमान चालीसा और अजान दोनों ही सुरीले हैं. दोनों का ही बहुत महत्व है. हमारे देश में बहुत अच्छा कानून है. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च कहीं भी तेज आवाज नहीं होनी चाहिए. जिससे किसी दूसरे को इससे तकलीफ ना हो. आवाज उतनी ही रखें जिससे माधुर्यता बनी रहे.
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गोरखपुर से अनूप जलोटा का 40 साल पुराना नाता
गोरखपुर के बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में शनिवार देर शाम स्वर सागर संगीत विद्यालय की ओर से आयोजित बचपन से पचपन कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसमें अपने भजन से लोगों को मंत्रमुग्ध करने आए अनूप जलोटा ने गोरखपुर से खुद का 40 साल पुराना नाता बताया. स्वर सागर संस्था की अध्यक्ष और अधिवक्ता सुनीषा श्रीवास्तव की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के पहले उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे भजन गाना पसंद करते हैं. वे भजन गायक हैं. भजन तेज आवाज में बजा दिया जाए, तो किसी के भी कान को तकलीफ हो सकती है.
उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि वे खुद भी 10 बजे तक गाते हैं, तो कहा जाता है कि बहुत अच्छा गा रहे हैं. उसके बाद गाएंगे, तो पुलिस आ जाएगी. 10 बजे के बाद वे स्वयं कह देते हैं कि समय हो गया. इतनी ही सीमा निर्धारित है. कार्यक्रम अब बंद करें. वे भक्ति संगीत के साथ राष्ट्र प्रेम के गीत भी गाते हैं जिससे राष्ट्र के प्रति लोगों का प्रेम भी बढ़ता जाए.
योगी आदित्यनाथ की तारीफ में अनूप जलोटा ने कही ये बात
अनूप जलोटा ने इस मामले के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी खुलकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि वे 40 वर्ष से गोरखपुर को देख रहे हैं. 10 साल पहले जो गोरखपुर आया हो, उसे यहां ले आइए तो उसे पता नहीं चलेगा कि ये वही शहर है. इतना गोरखपुर तरक्की कर चुका है. तब और अब में कितना फर्क है, ये आप खुद महसूस कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि जहां पर कार्यक्रम की प्रस्तुति देने के लिए वे आए हैं, वहां पर सामने रामगढ़ताल झील मरीन ड्राइव जैसा एहसास देती है. गोरखपुर के जिस इलाके में गुंडई हुआ करती थी, वहां मेला लगता है. मुंबई जैसा एहसास हो रहा है. वे गोरखपुर दूरदर्शन में एक रिकार्डिंग करके आ रहे हैं. यहां उन्होंने लोकल कलाकारों के साथ कार्यक्रम रिकार्ड किए हैं.