मनन भारद्वाज के सितारे इन दिनों बुलंदियों पर हैं. इस साल बॉलीवुड में मनन की बैक टू बैक तीन प्रोजेक्ट्स आए. साल की शुरुआत हुई कार्तिक आर्यन की फिल्म सत्यप्रेम की कथा से, इसके बाद वो यारियां 2 और अब एनिमल को लेकर चर्चा में हैं. हालांकि मनन के लिए यह सक्सेस का स्वाद बहुत आसान नहीं रहा है. उन्हें कई पापड़ बेलने पड़े हैं.
आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान मनन अपने स्ट्रगल दिनों को याद कर बताते हैं, 'मैं मुंबई गया था. वहां दो साल रहकर अपने जूते भी घिसे हैं. वहां कभी मेरी बात नहीं बनी. जितने भी प्रोजेक्ट्स से जुड़ा, वो कभी रिलीज ही नहीं हुए. मुझे गुस्सा आता था. थक-हारकर मैंने शहर छोड़ने का निर्णय लिया था. मुझे याद है, मैंने मुंबई छोड़ते वक्त यही बात कही थी अब भूषण जी खुद बुलाएंगे, तो ही इस शहर में कदम रखूंगा.'
मनन आगे कहते हैं, 'मुंबई से आने के बाद मैंने यहां खुद का स्टूडियो खोला. मैंने छोटे लेवल पर म्यूजिक बनाना शुरू किया और आज जाकर यहां पहुंचा हूं. मैं गुड़गांव में ही रहता हूं और यहीं म्यूजिक कंपोज करता हूं. मैं इस तरह से उन लोगों के लिए इंस्पीरेशन बनना चाहता हूं, जिन्हें लगता है कि मुंबई जाकर ही करियर का कुछ हो सकता है. नहीं भाई ऐसा नहीं है, आपमें अगर टैलेंट है और कुछ बात है, तो जरूर काम आपके पास आएगा. हुआ भी यही कि मैं यहां से बैठकर बॉलीवुड की फिल्मों में अपनी धुन दे रहा हूं. मुझे लगता है, बस आपको मेहनत से दूर नहीं भागना चाहिए. किस्मत आपको इसका फल जरूर देती है.'
मुंबई में दोबारा शिफ्ट होने की बात पर मनन कहते हैं, 'मैं बस काम के सिलसिले में शहर आता-जाता हूं. लेकिन मैं गुड़गांव का बेस नहीं छोड़ने वाला हूं. भूषण जी से अब अच्छे टर्म हैं. बड़े भाई की तरह उन्हें मानता हूं. उन्होंने भी कई बार कहा है कि मनन तुम यहां आ जाओ, मैं तुम्हारे लिए फ्लैट अरेंज कर देता हूं. ये उनका बड़प्पन है, लेकिन मैं अब यहीं खुश हूं. हालांकि मुझे यह बात हमेशा याद आती है कि मुंबई छोड़ते वक्त मैंने जो बात कही थी, आज वो पूरी हो गई है.
बता दें, मनन ने एनिमल फिल्म अर्जन वैली और कश्मीर सॉन्ग दिया है. मनन को उनके गानों के लिए सोशल मीडिया समेत इंडस्ट्री से भी खूब तारीफ मिल रही है. इस पर रिएक्ट करते हुए मनन कहते हैं, 'मुझे सच में कभी इतनी तारीफ नहीं मिली है. इसे मैं कैसे हैंडल करूं, ये समझ नहीं पा रहा हूं. हालांकि मेरी कोशिश यही है कि मैं इसे अपने सिर पर नहीं सवार होने दूं और अपने काम को और बेहतर बनाऊं.'