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Asha Parekh का कौन सा सपना रह गया अधूरा? बताया किस बात का है पछतावा

आशा पारेख 1960s और 1970s की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस में शुमार रही हैं. आशा पारेख की तमन्ना थी कि वो दिलीप कुमार की हीरोइन बनें. मगर अफसोस ऐसा हो नहीं सका. उन्होंने कहा- मैं दिलीप कुमार के साथ काम करना चाहती थी. युसुफ साहब के साथ काम करने का बहुत मन था. मैं उनको देखती थी मेरी बोलती बंद हो जाती थी.

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आशा पारेख
आशा पारेख

हिंदी सिनेमा की दिग्गज अदाकारा आशा पारेख अपने दौर का बड़ा नाम रही हैं. बॉलीवुड में उनका अहम योगदान रहा है. इन्हीं उपलब्धियों को देखकर हाल ही में आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. आशा पारेख ने सफल करियर देखा मगर फिर भी उनका एक सपना था जो कभी पूरा नहीं हुआ. इसके पूरे होने की अब कोई उम्मीद भी नहीं है. क्या है आशा पारेख का वो अधूरा सपना, बताते हैं.

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अधूरी रह गई आशा पारेख की ये इच्छा

आशा पारेख ने इंडिया टुडे के कंसलटिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत की. जहां एक्ट्रेस ने अपने करियर के बारे में बातचीत की. दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने पर खुशी जताई. इंटरव्यू के दौरान आशा पारेख का दर्द भी छलका, जब उनसे पूछा गया कि इतने लंबे सफर के बाद आपको दादा साहेब अवॉर्ड मिला है, इसका कोई पछतावा है? कोई अफसोस, कोई चीज जो लाइफ में करना चाहती थीं लेकिन कर नहीं पाईं? जवाब में आशा पारेख ने बताया कि उनकी तमन्ना थी कि वो दिलीप कुमार की हीरोइन बनें. मगर अफसोस ऐसा हो नहीं सका.

दिलीप कुमार की फैन थीं आशा

आशा पारेख कहती हैं- ऐसे तो किसी बात का पछतावा नहीं है. लेकिन हां, मैं दिलीप कुमार के साथ काम करना चाहती थी. युसुफ साहब के साथ काम करने का बहुत मन था. मैं उनको देखती थी मेरी बोलती बंद हो जाती थी. सिने आर्टिस्ट वेलफेयर ट्रस्ट था हमारा, युसुफ साहब उसके ट्रस्टी थे. एक दिन मुझे उनसे जाकर कुछ शिकायत करनी थी. मैंने सायरा बानो से कहा कि मुझे युसुफ साहब से मिलना है और कहना है मुझे नहीं करना काम. फिर युसुफ साहब से मिले, सायरा ने कहा- देखिए ये आपसे डरती है. देखती रहती है आपको , इससे आराम से बात करिए. फिर युसुफ साहब ने मुझे समझाया कि नहीं नहीं, ये नहीं  हो सकता. तुम तो कर रही हो, ठीक कर रही हो. करती रहो काम. पर में उनके साथ मूवी करना चाहती थी.

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आशा पारेख 1960s और 1970s की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस में शुमार रही हैं. आशा ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट अपना एक्टिंग करियर शुरू किया था. 10 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म मां में काम किया था. मगर फिल्म फ्लॉप हुई तो आशा ने मूवीज में काम करना कम किया और स्कूलिंग पर फोकस करने की ठानी. फिर 16 साल की होने पर आशा पारेख ने एक्टिंग को दूसरा मौका दिया, बतौर हीरोइन डेब्यू किया. फिल्म दिल देके देखो ने उन्हें बड़ा स्टार बनाया था. जिसके बाद एक्ट्रेस ने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा था. 
 

 

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