सलमान खान (Salman Khan) की सबसे कमाऊ फिल्मों में से एक, ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर 'बजरंगी भाईजान' 17 जुलाई 2015 को रिलीज हुई थी. 7 साल बाद भी इस फिल्म का जनता में ऐसा क्रेज है कि सलमान के फैन ही नहीं, बल्कि उनकी आलोचना करने वाले भी इसकी तारीफ करते हैं.
इसका सबसे बड़ा कारण है 'बजरंगी भाईजान' (Bajrangi Bhaijaan) की कहानी. भारत-पाकिस्तान की सरहद न जाने कितनी ही फिल्मों की कहानी की जड़ रही है. इंडियन हीरो इस सरहद को जब-जब पार कर के, पड़ोसी देश के 'अंदरूने मुल्क' में एंट्री मारता है, तो आईडिया सुनकर ही फिल्म की आधी टिकटें बिक जाती हैं.
फिल्म की कहानी थी इमोशनल
जाने को तो बॉलीवुड का हीरो 'गदर' में भी सरहद पार कर अमृतसर से लाहौर चला गया था. मगर 'बजरंगी भाईजान' में सलमान का पाकिस्तान जाना जिस वजह से हुआ, वो बहुत इमोशनल था. ऊपर से फिल्म के हीरो ने पाकिस्तान जाकर चीजों को उखाड़ने की बजाय जिस तरह दिलों को जोड़ने वाला बर्ताव किया, उसे देखकर थिएटर में बैठे दर्शकों की आंखें भर आई थीं. लेकिन असल में 'बजरंगी भाईजान' का आईडिया ऐसा नहीं था.
इस आईडिया से निकली थी कहानी
फिल्म के राइटर केवी विजयेन्द्र प्रसाद ने बताया था कि फिल्म का शुरूआती आईडिया असल में विस्फोटक हीरो तैयार करना था. प्रसाद ने बताया था कि उनके दिमाग में 'बजरंगी भाईजान' का शुरूआती आईडिया चिरंजीवी (Chiranjeevi) की एक तेलगु फिल्म 'पसिवादी प्रणम' (Pasivadi Pranam) से उपजा था.
उन्होंने कहा, "ये फिल्म देखकर, मेरे एक एसोसिएट ने कहा कि चलिए एक फिल्म बनाते हैं जिसमें हमें पाकिस्तान से खतरा होगा और हमारे हीरो को बजरंगी भक्त दिखाते हैं. तब स्टोरी ये होनी थी कि हमारा हीरो पाकिस्तान जाएगा और वहां के दुश्मनों को खूब धोएगा."
लेकिन सब जानते हैं कि 'बजरंगी भाईजान' में ऐसा कुछ भी नहीं था. तो फिर सवाल ये है कि विजयेन्द्र प्रसाद ने कहानी क्यों बदली. इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "लेकिन मेरा दिमाग ऐसा करने के लिए राजी नहीं था. इरादा ये थे कि एक ऐसी फिल्म बनाई जाए, जो दोनों देशों की दुश्मनी बढ़ाए नहीं, इसे कम करे."
प्रसाद ने बताया था कि कहानी लिखते वक्त उनके दिमाग में कोई हीरो नहीं था. लेकिन जब उन्होंने सलमान को ये स्टोरी सुनाई तो वो तुरंत इसे बनाने के लिए राजी हो गए. बताते चलें कि प्रसाद ने सबसे पहले ये कहानी अपने बेटे एसएस राजामौली (SS Rajamouli) को सुनाई थी.
राजामौली को कहानी तो बहुत पसंद आई थी मगर उस समय वो 'बाहुबली' (Baahubali) के एक बहुत महत्वपूर्ण सीक्वेंस पर काम कर रहे थे और इसलिए उन्होंने अपने पिता से कहा कि वो स्क्रिप्ट किसी और को दे दें. पिछले साल राजामौली के लिए RRR की कहानी लिखने वाले प्रसाद ने बताया था कि उनके बेटे को 'बजरंगी भाईजान' खुद न बना पाने का अफसोस आज भी है.