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होली के दिन हीरो भिड़ जाते हैं, रंगों में भंग घुल जाती है... फिल्मों की ट्विस्ट वाली होली!

हिंदी फिल्मों और होली का कनेक्शन बहुत जोरदार रहा है. मोहल्लों में कानफाड़ स्पीकर पर 'होली खेले रघुबीरा' के साथ गुलाल उड़ना शुरू होता है और 'लेट्स प्ले होली' की तरावट के साथ समापन होता है. मगर होली के त्यौहार ने फिल्मों को सिर्फ गुलाबी रोमांस और मजेदार गाने ही नहीं दिए, बल्कि तगड़े प्लॉट ट्विस्ट भी दिए हैं. आइए आज इनकी बात करते हैं.

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अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान
अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान

मार्च का महीना शुरू होते ही हर आदमी के अंदर रंगों के फव्वारे फटने को बेचैन हो उठते हैं. इन रंगों के गुब्बारों में भरकर छिटक जाने का इंतजार कर रहा हर बंदा गब्बर सिंह अवतार धरकर पूछ उठता है- 'होली कब है? कब है होली!' होली और हिंदी फिल्मों का ये कनेक्शन इतना गहरा है कि रंगों के इस त्यौहार पर फिल्मी डायलॉग या गानों का जिक्र न आए, ये असंभव है.  

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इस समय एक पूरी पीढ़ी ऐसी है जिसका होली सीजन, दूरदर्शन के 'रंगोली' प्रोग्राम में 'अरे जा रे हट नटखट' गाने से शुरू होता था.कितने ही लोगों के मन में रंगों के त्यौहार की पहली इमेज, 1959 में आई फिल्म 'नवरंग' के इसी गाने से बनी है. 2021 में रिलीज हुई 'अतरंगी रे' का गाना 'तेरे रंग' और 'वॉर' (2019) का होली वाला गाना 'जय जय शिवशंकर' भी अच्छे-खासे पॉपुलर हुए थे. 

'नवरंग' में संध्या (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'नवरंग' में संध्या (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

बड़े पर्दे पर रंगों का त्यौहार होली, कई अलग-अलग रंगों में देखा गया है. हिंदी फिल्मों में पहली बार गानों की एंट्री 1931 में, इंडिया की पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' के साथ ही हो गई थी. और इसी साल आई फिल्म 'घर की लक्ष्मी' में होली पर एक गाना 'मोपे डार गयो सारी रंग की गागर' का जिक्र मिलता है. लेकिन इस गाने का ऑडियो-वीडियो खोजने पर कहीं नहीं मिलता. हालांकि, इसी से कुछ मिलते-जुलते  लिरिक्स वाला 'सारी डाल दई मोपे रंग की गगर' गाना आपको आराम से मिल सकता है. ये गाना फिल्म 'पायल की झनकार' से है जो 1980 में आई थी.

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हिंदी फिल्में और होली

1931 में आया 'घर की लक्ष्मी' का गाना शायद हिंदी फिल्मों में पहला होली गीत कहा जा सकता है. मगर जो सबसे पुराना फिल्मी होली गीत इंटरनेट पर अवेलेबल है, वो 'औरत' (1940) फिल्म का है. महबूब खान की ये फिल्म एक ऐसी बहादुर मां की कहानी थी जो अपने बेटे की जान ले लेती है. फिल्म में होली के दो गाने थे- 'जमुना तट श्याम खेले होरी' और 'आज होली खेलेंगे साजन के संग. 'औरत' की बात निकली है तो दो बोनस फैक्ट भी जान लीजिए. डायरेक्टर महबूब खान ने 1957 में इसी फिल्म का रीमेक 'मदर इंडिया' नाम से बनाया, जो ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली इंडियन फीचर फिल्म बनी. 'औरत' के हीरो अरुण कुमार आहूजा थे, जिनका बेटा 90s का बेहद पॉपुलर हिंदी फिल्म स्टार रहा. उसका नाम है गोविंद कुमार आहूजा यानी गोविंदा.

'मदर इंडिया' में राजकुमार, नूतन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'मदर इंडिया' में राजकुमार, नूतन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

होली पर वापस चलें तो, 'औरत' के रीमेक 'मदर इंडिया' में भी होली पर 'होली आई रे कन्हाई' गाना था. इसके अलावा भी 50 के दशक में 'जोगन' (1950) के 'डारो रे रंग' और 'आन' (1953) के 'खेलो रंग हमारे संग' में होली के रंग बिखर चुके थे. मगर होली को लेकर हिंदी फिल्मों का ट्रेंड ज्यादातर दो तरह का रहा. फिल्मों में होली का त्यौहार गानों तक ही सीमित रहा और इसे सेलिब्रेशन, प्रेम या फिल्म में एक खूबसूरत अट्रैक्शन की तरह यूज किया गया.

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वक्त के साथ ये बदला और ऐसा बदला कि होली का त्यौहार फिल्म के प्लॉट में जबरदस्त ट्विस्ट लेकर आने लगा. बल्कि यूं कहिए कि सेलिब्रेशन और मस्ती के माहौल वाले इस त्यौहार ने कई कहानियों में रंग जमाने से ज्यादा, रंग में भंग डालने का काम किया. होली के अपने मूड और कहानी के डार्क ट्विस्ट के इस कॉम्बो ने स्क्रीन पर बड़ा कमाल किया. आइए बताते हैं ऐसी फिल्मों के बारे में...

फागुन (1973) 

एक बिजनेसमैन की बेटी शांता दामले (वहीदा रहमान), स्टेटस में अपने से कमजोर एक राइटर गोपाल (धर्मेंद्र) से शादी कर लेती है. काम की तलाश में बाहर गया गोपाल, शांता को सरप्राइज करने होली सेलेब्रेशन के बीच उसके घर पहुंचता है. फिल्म में इस सीक्वेंस पर 'पिया संग खेलो होरी, फागुन आयो रे' गाना है. उसे देखकर खुश होने के बावजूद शांता अपने पिता की शर्म करते हुए कुछ बोलती है. वो ऐसा ताना देती है जिसके बाद गोपाल फिर दूर चला जाता है. शांता कहती है- 'इतनी कीमती साड़ी मेरी... क्या हक पड़ता है तुम्हें वो चीज खराब करने का जो खुद खरीद कर दे नहीं सकते!'

'फागुन' में धर्मेंद्र, वहीदा रहमान (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'फागुन' में धर्मेंद्र, वहीदा रहमान (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

'फागुन' एक बहुत दमदार कहानी पर बनी फिल्म थी. अगर आप अब इसे देखें तो होली वाले सीक्वेंस में धर्मेंद्र के एक्सप्रेशन पर जरूर खास ध्यान दें.बाद में अपनी हैंडसम पर्सनालिटी के लिए ज्यादा पॉपुलर हुए धर्मेंद्र क्यों एक बेहतरीन एक्टर भी थे, ये आपको इस सीक्वेंस में पता लगेगा. धर्मेंद्र के जाने के बाद फ्रेम में खड़ी रह गईं वहीदा पर भी आपको दया आएगी.

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कटी पतंग (1970)

आशा पारेख और राजेश खन्ना स्टारर ये फिल्म अपने आप में एक बहुत उलझी हुई सी कहानी लगती है. फेक पहचान और उसकी वजह से पैदा हुआ कन्फ्यूजन एक बहुत ट्रैजिक कहानी थी. इस कहानी के एक मोड़ पर 'आज न छोड़ेंगे' गाते राजेश खन्ना, परिवार-समाज की नजर में विधवा का जीवन जी रही आशा को रंग लगा देते हैं. वो अंदर से खुश है. लेकिन घर पहुंचने पर उसका सामना अपने ससुर से हो जाता है. 

'कटी पतंग' में राजेश खन्ना, आशा पारेख (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'कटी पतंग' में राजेश खन्ना, आशा पारेख (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

नजीर हुसैन अपनी बेहतरीन अदाकारी के साथ आशा को कहते हैं- 'जब घर की जवान बहू बाहर रंगरलियां मनाती फिरे, तो बूढ़े ससुर को नींद कैसे आ सकती है!' इस एक डायलॉग से फिल्म का क्लाइमेक्स की तरफ पहुंचने लगती है और यही ससुर अपनी बहू का सच जानने के बाद उसके लिए सम्मान से भर जाता है.

शोले (1975)

इंडियन सिनेमा की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक 'शोले' का होली सीक्वेंस कितना यादगार है ये बताने की जरूरत ही नहीं है. गब्बर के 'होली कब है' से लेकर ठाकुर के 'बहुत लंबी कहानी है ये...' तक, ये एक शानदार होली सीक्वेंस है. इसी सीक्वेंस में जय-वीरू का पहली बार गब्बर से सामना होता है. इसी में ठाकुर की दुखद कहानी पता चलती है. इसी सीक्वेंस में जय और ठाकुर की बहू राधा, आंखों-आंखों में अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करते हैं. और इसी सीक्वेंस में ठाकुर की पूरी बैक स्टोरी खुलती है.

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'शोले' में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'शोले' में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

सिलसिला (1981)

यश चोपड़ा की फिल्म में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और रेखा के साथ काम करने की खबर पहले ही खलबली मचा चुकी थी. रियल लाइफ से इतर, फिल्म में होली के मौके पर अमिताभ अपनी एक्स रेखा के साथ, पुरानी केमिस्ट्री के साथ 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' गा रहे हैं. 

'सिलसिला' फिल्म का होली सीक्वेंस (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'सिलसिला' फिल्म का होली सीक्वेंस (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

उनकी पत्नी बनीं जया से रेखा कह रही हैं, 'होली का रंग देखकर, पहला प्यार क्यों याद आ जाता है!' रेखा से जया कह रही हैं, 'इस देश में पति प्रेमी नहीं होता'. और इस जाल में फंसा सबसे सुलझा हुआ प्राणी, रेखा का पति बने संजीव कुमार कह रहे हैं, 'जब अतीत आज में शामिल हो जाता है तो वो अपने साथ-साथ किसी और की जिंदगी भी बर्बाद कर देता है.' आप ही बताइए, एक अकेले होली सीक्वेंस में इतना तगड़ा ट्विस्ट कैसे एक दर्शक का दिल न लूट ले!

दामिनी (1993) 

शेखर (ऋषि कपूर) के घर में दामिनी (मीनाक्षी शेषाद्री) अपनी पहली होली मना रही है. इस होली सेलेब्रेशन के बीच वो अपने देवर को, इसी घर में बचपन से बड़ी हुई हाउस-हेल्प उर्मी (प्रजाक्ता कुलकर्णी) का रेप करते देख लेती है. इस भयानक घटना की गवाह दामिनी को पुलिस आने पर उसकी सास बोल चुकी है- 'अब इस घर की इज्जत तेरे हाथ में है'. 

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'दामिनी' में ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्री (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'दामिनी' में ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्री (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

होली से आया ये प्लॉट ट्विस्ट पूरी फिल्म की कहानी सेट करता है, जिसमें आगे सनी देओल 'तारीख पर तारीख' को लेकर कोर्ट में फट पड़ते हैं. 'दामिनी' का होली सीक्वेंस इस मामले में भी अनोखा है कि यहां पर सिर्फ म्यूजिक है, प्रॉपर फिल्मी गाना नहीं है.

डर (1993) 

बड़ी स्क्रीन पर होली का रंगों भरा सीन देखकर एक्साइटेड होने वालों के लिए 1993 बहुत खुशनुमा तो नहीं ही रहा. और शायद सनी देओल के लिए भी. उधर 'दामिनी' के होली सीक्वेंस में सेक्सुअल असॉल्ट था, तो इधर 'डर' में शाहरुख का सनकी लवर अवतार हड्डियां कंपाने को तैयार था. फिल्म के पहले कुछ मिनट में ही साफ हो गया कि यश चोपड़ा की ट्रेडमार्क हीरोइन जूही चावला के साथ इस कहानी में अच्छा नहीं होने वाला. 

'डर' में शाहरुख खान, सनी देओल, जूही चावला (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'डर' में शाहरुख खान, सनी देओल, जूही चावला (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

होली सीक्वेंस की शुरुआत में शाहरुख का डायलॉग देखिए, 'मैं जब चाहूं तुम तक पहुंच सकता हूं. मैं कल आऊंगा तुमसे मिलने. कल होली है न. होली खेलूंगा तुम्हारे साथ, देखूंगा गुलाल तुम्हारे गालों पर कैसा लगता है!' इधर सनी देओल अपना 'ढाई किलो का हाथ' और पुलिस वाले दोस्त का साथ लिए तैयार हैं कि शाहरुख 'आए तो सही!' और वो आता है, ढोल बजाता है, 'अपनी किरण' को उसके पति के साथ देखकर भड़कता जाता है, लेकिन आखिरकार रंग जरूर लगाता है.' राजेश खन्ना के गाने 'आज न छोड़ेंगे' से शुरू हुआ प्रेमिका को रंग लगाने का ऑब्सेशन, 'डर' के 'अंग से अंग लगाना' तक आते-आते इस तरह बदल जाएगा, ये किसी ने नहीं सोचा होगा. 

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जॉली एल एल बी (2017) 

वकालत में नाम बनाने को हर तिकड़म भिड़ा रहा जॉली (अक्षय कुमार), अपने पति को न्याय दिलाने के लिए भटक रही हिना सिद्दीकी (सयानी गुप्ता) को ठग चुका है. इन पैसों से उसने कोर्ट में खुद का 'चैम्बर' होने का सपना पूरा किया है. इसी सपने का पूरा होना होली के साथ सेलिब्रेट किया जा रहा है. लेकिन हिना को सच्चाई पता लग चुकी है और वो भी जॉली के सेलेब्रेशन का रंग देखने आ पहुंचती है. सारे अपनों के बीच जलील हो चुका जॉली उसे दो दिन में पैसे वापस करने को कहता है, तो हिना के सब्र का बांध टूट जाता है- 'नहीं चाहिए तुम्हारे पैसे... इंसाफ चाहिए, न्याय चाहिए. बोलो, दे सकते हो?' 

'जॉली एल एल बी' में अक्षय कुमार (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'जॉली एल एल बी' में अक्षय कुमार (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

हिना के इस सवाल से ही पूरी फिल्म का टोन सेट होता है और जॉली सच्चाई खोजने निकलता है. अक्षय कुमार की फिल्म शायद वो आखिरी फिल्म है जिसमें होली के मौके पर टेढ़ा ट्विस्ट है. 'डर' से 'जॉली एल एल बी' के बीच हिंदी फिल्मों में होली अधिकतर बड़ी स्क्रीन पर एक मजेदार सेलेब्रेशन या लव स्टोरी वाले मोड में ही ज्यादा रही. चाहे वो 'ये जवानी है दीवानी' का 'बलम पिचकारी' गाना हो या फिर 'रामलीला' में रणवीर सिंह-दीपिका पादुकोण की सेंशुअस केमिस्ट्री वाला 'लहू मुंह लग गया'. 

'वॉर' में ऋतिक रोशन, टाइगर श्रॉफ (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
'वॉर' में ऋतिक रोशन, टाइगर श्रॉफ (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

'वॉर' में ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ के बेहतरीन डांस वाला 'जय जय शिव शंकर', एक रेयर होली सीक्वेंस है जिसमें कोई एक्ट्रेस शामिल नहीं है.अब पर्दे पर कोई बॉलीवुड फिल्म होली के साथ क्या नया ट्विस्ट लेकर आती है, इसका इंतजार फिल्म फैन्स को जरूर रहेगा. 

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