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'मैं जिंदा हूं...और आप भी जिंदा हैं...' अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों में उतरने वाले इस मशहूर एक्टर को लोगों को ये बात याद दिलानी पड़ी कि वो जिंदा हैं. एक्टर ने अपनी जिंदगी की एक 'छोटी सी कहानी' में अपने दर्द और पीड़ा को लोगों संग साझा किया है. फिल्मी दुनिया में इतना काम करने के बाद भी, पहचान मिलने के बाद भी ये एक्टर एक समय पर खुद को हारा हुआ महसूस करते थे. आइए जानते हैं उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी...
हर हाल में रखा खुद पर यकीन...
उनकी जिंदगी में कई बार ऐसा पल आया, जब उन्हें लगा कि उनके जिंदा रहने का कोई मकसद नहीं बचा है, क्योंकि उन्होंने कई बार हारा हुआ महसूस किया. अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से सुनाए, जिन्हें सुनकर शायद आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी. असली कहानी पढ़ने से पहले आपको बता देते हैं नाम, ये कहानी है आशीष विद्यार्थी की. बेशक ऐसा लगेगा कि इसमें नया क्या है लेकिन इसमें सीखने को बहुत कुछ है.
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नेशनल अवॉर्ड विनर हैं आशीष विद्यार्थी
आशीष विद्यार्थी ने बताया की वो उन चंद एक्टर्स में से एक हैं, जिन्हें उनकी पहली फिल्म में ही नेशनल अवॉर्ड मिला. उसके बाद उन्होंने 8 फिल्में कीं और फिर कई कमर्शियल फिल्में की, जो हिट हुईं और लोगों ने उन्हें पहचाना. इसके बाद वो अचानक आशीष विद्यार्थी से आशीष विद्यार्थी जी बन गए.
आशीष विद्यार्थी ने कहा- मैं लकी था कि मुझे रोल मिले और मुझे पहचाना गया. लेकिन उस समय मुझे लगा कि जिस तरह के रोल मुझे बार-बार मिले जा रहे हैं, वैसे रोल मैं करना नहीं चाहता हूं. मैं कुछ और नया भी करना चाहता हूं. मैं खांचे में घुस गया कि मैं विलेन हूं. मैंने जाना कि मैं अभिनेता बनने निकला था, लेकिन मैं खुद का एक कार्टून बनकर रह गया, क्योंकि मेरा एक रोल वैसा सक्सेसफुल हो गया था. मुझे कुछ नया क्रिएट करने के लिए नहीं, बल्कि पुराना ही रोल बनाने के लिए हायर किया जा रहा था. वो वक्त बहुत दर्दभरा था.
आशीष विद्यार्थी ने कहा- मेरे पास च्वॉइस थी कि मैं वही काम करता रहूं, पैसे कमाऊं और खुश रहूं. लेकिन मैं खुश नहीं था. तब मैं साउथ की तरफ काम करने निकला और कुछ नया करने की नई शुरुआत की.
आशीष विद्यार्थी ने कहा कि साउथ सिनेमा में एंट्री करने के बाद वो वहां फिर से एक अनजान चेहरा बन गए. उन्होंने दोबारा अपनी शुरुआत की और अपनी पहचान बनाई. जब उनकी फिल्में हिट होने लगीं, तो साउथ सिनेमा में भी लोग उन्हें जानने लगे.
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आशीष विद्यार्थी से बात नहीं करते थे लोग
आशीष विद्यार्थी ने कहा- मैं हिंदी में जो खास रोल करना चाहता था उन्हें करने के लिए मैंने उन लोगों को कॉल करना शुरू किया, जो मुझे थिएटर के समस ये जानते थे. वो बहुत दर्दभरा टाइम था, जब मैं उन्हें कॉल करता था, तो वो कॉल नहीं उठाते थे. उसे समय मुझे बहुत दर्द होता था.
आशीष विद्यार्थी ने सोचा कि अगर वो उस दर्द की वजह से खुद को खत्म कर देते तो लोग कहते कि इसको हार नहीं माननी चाहिए थी. इसलिए एक्टर नहीं चाहते थे कि लोग उनके बारे में इस तरह की बातें करें. हालांकि, ये लोग उनके खास दोस्त नहीं थे. अपने खास दोस्तों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो विशाल भारद्वाज और रेखा के काफी करीब हैं. वे उनकी फैमिली की तरह हैं.
आशीष विद्यार्थी ने कहा कि आज भी लोग उनके मैसेजेस के जवाब नहीं देते हैं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. एक्टर बोले- आपको खुद पर यकीन रखना चाहिए कि आप हैं. दुनिया बहुत बड़ी है. बहुत ऐसे लोग हैं जो आपके साथ काम करने के लिए तैयार हैं. तब मैंने पाया कि कई लोग ऐसे भी हैं, जो मुझे मौका देने के लिए तैयार थे, अगर मैं जिंदा रहूं.
आशीष विद्यार्थी ने कहा - 2003 से मैंने वापस हिंदी में भी काम किया और आज 2022 तक वो सिलसिला चल रहा है. वीडियो के अंत में आशीष विद्यार्थी ने कहा कि कभी हार ना मानें, जिंदगी खास है.