70 से लेकर 80 के दशक में रीना रॉय ने बॉलीवुड पर राज किया है. हर किसी का वक्त आता है लेकिन रीना रॉय ने अपनी लगातार हिट फिल्मों से उसे अपना दौर बना लिया था. करियर के पीक पर रीना ने मशहूर क्रिकेटर से शादी कर देश छोड़ दिया था. इसके बाद जब उनकी वापसी हुई, तो उस वक्त भी एक दो फिल्में करने के बाद रीना बतौर सिंगल पैरेंट अपनी बेटी की परवरिश में व्यस्त हो गईं. अब रीना एक लंबे अरसे के बाद अपनी वापसी के लिए तैयार हैं. रीना आज अपनी जिंदगी के 65वें साल में प्रवेश करने जा रही हैं. इस मुलाकात में उन्होंने अपनी जिंदगी के कई अनछुए किस्सों को हमसे शेयर करती हैं.
जन्मदिन के आपके लिए क्या मायने हैं?
- जन्मदिन मेरे लिए बहुत खास होता है. इस दिन की शुरुआत ही खाने-पीने से होती है. मम्मी तमाम तरह के पकवान बनाया करती थीं. परिवार वालों का आना-जाना होता था. यह ट्रेडिशन अब भी बरकरार है. डिस्टर्ब फैमिली से जरूर थी लेकिन मां ने कभी हम बच्चों के लिए कोई कमी नहीं रखी थी. इसके अलावा मैं यही कामना करती हूं कि मेरी हेल्थ अच्छी रहे. मैं अपने दोस्तों और परिवार वालों के काम आ सकूं. मैं छोटी उम्र में ही एक्ट्रेस बन गई थी, तो कई बार सेट पर भी बर्थडे गुजरा है.
बर्थडे में मिला कोई ऐसा तोहफा, जो काफी खास रहा हो?
-मेरी मां और बहन शूटिंग में हमेशा मेरे साथ रहा करती थीं. ऐसे में किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि मुझे आकर गिफ्ट दे जाए. कभी कुछ ऐसा हुआ ही नहीं कि किसी का खास तोहफा मिला हो और मैं बहुत टच्ड हो गई.
जब आपकी पहली सैलेरी आई थी, तो उससे क्या किया था?
- मैं तो बचपन से ही काम करने लगी थी. तो पैसे का सारा हिसाब मां ही रखा करती थीं. मुझे याद है जब पहली सैलेरी आई थी, तो मां ने मुझे सेकेंड हैंड कार खरीदकर दी थी. मां को लगता था कि बेटी अब एक्ट्रेस बन गई है, भले ही जितना भी पैसा आया हो, इससे गाड़ी खरीदनी चाहिए. तो शायद पैसे कम होंगे, इसलिए हमने सेकेंड हैंड कार ही ली थी.
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रीना रॉय का दौर हुआ करता था. बीच में करियर छोड़ दिया. इसका मलाल होता है?
- मैं बहुत लकी हूं कि मुझे जो कुछ भी मिला है, वो कई लोगों को नसीब नहीं होता है. मैं हमेशा भगवान की शुक्रगुजार रहूंगी. मां ने बचपन से ट्रेनिंग दी थी कि जो कुछ पीछे छूट गया हो, उसे भूल जाओ. बस आगे पर फोकस करती रहो. करियर तो पीक पर था ही. मैंने शादी कर देश छोड़ने का फैसला लिया. वहां से जब डिवोर्स के बाद वापस आई, तो बेटी की कस्टडी नहीं थी, तो उस दौरान मैंने एकाध-दो फिल्में की ताकि मेरा मन लगा रहे और जिससे मैं डिप्रेशन में न जाऊं. जब बेटी मिली, तो फिर मेरा सारा फोकस उस पर चला गया. फिर मुझे कोई फेम और स्टारडम की परवाह ही नहीं रही. मैं आज भी अपने उस फैसले को लेकर संतुष्ट हूं. अब बेटी बड़ी हो गई है, तो सोचा कि एक्टिंग की ओर रुख करूं. वो कहते हैं न वन्स अ एक्टर इज ऑलवेज एन एक्टर..
बॉलीवुड में फीमेल किरदारों के प्रोजेक्शन में कोई बदलाव देखती हैं?
-देखो, मैं कहूंगी कि वक्त के साथ सारी चीजें बदलती हैं. इसमें किसी का कोई कसूर नहीं है. हम जिस दौर में थे, उस वक्त चीजें अलग थीं. मैं, नीतू सिंह, परवीन बाबी, हमारा दौर अलग था. मैं तो यही मानती हूं कि जो पब्लिक देखना चाहती है, वो ही दिखाया जाता है. कुछ फिल्मों को छोड़ दें, तो आजकल बोल्ड चीजें ही चल रही हैं क्योंकि आज की जनरेशन को यही चाहिए. इसमें इंडस्ट्री या फिर एक्ट्रेसेज को क्यों जिम्मेदार ठहराया जाता है.
एक एक्ट्रेस के तौर पर आपके डूज ऐंड डोंट्स क्या थे?
- फिल्मों में ये नहीं करना, वो नहीं करना.. इसका टेंशन मैं नहीं बल्कि मेरी मम्मी और बहन लेती थी. मैं तो बिलकुल ऐसी थी कि सेट पर जाओ, काम करो और खुश रहो बस. दरअसल मैं बहुत छोटी थी, तो क्या पहनना है क्या नहीं, ये सब डिसकशन मां किया करती थी. मैं बहुत रिस्पॉन्सिबिलिटी से अपनी जिम्मेदारी निभाती थी. यकीन मानों, मेरी शुरुआत मॉर्निंग में हॉर्स राइडिंग से होती थी, डांस प्रैक्टिस करो और फिर शूटिंग के लिए निकलो. ये मेरा रोजाना का रूटीन होता था. मैं बहुत एनर्जी से भरी होती थी. थकान कभी होती ही नहीं थी. आज मैं रणवीर सिंह को देखती हूं, तो मेरा बचपन मुझे याद आता है. उनका एनर्जी लेवल मुझे अपने दिनों की याद दिलाती थी.
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शूटिंग के दौरान का कोई अनोखा एक्स्पीरियंस ?
- अरे मत पूछो, हर फिल्म के साथ कोई न कोई एक्स्पीरियंस जुड़ा ही होता था. उस वक्त तो हमारे पास वैनिटी वैन होती नहीं थी. हमें सेट से थोड़ा दूर जंगलों के पास ले जाया जाता था, हेयर ड्रेसर, मेकअप गर्ल हमारे साथ होती थी. हम जंगलों के अंदर जाते थे, उन लड़कियों ने दुपट्टा पकड़ा और मैं अंदर गई ड्रेस बदला और वापस आ गई. ये हाल होता था हमारा. अभी तो एक्ट्रेसेज को मिली सुविधा देखती हूं, तो सोचती हूं कि ये लोग कितनी ब्लेस्ड हैं. अभी तो कंपीटिशन भी इतना ज्यादा है कि उन्हें देखकर कोफ्त होता है. हमारे जमाने में तो हम हीरोइनें गिनी-चुनी थीं. आज की हर एक्ट्रेसेज को देखती हूं, तो महसूस होता है कि वो हर वक्त प्रेशर में होती हैं.
उन दिनों आपके क्रेजी फैंस के किस्से भी बहुत चर्चा में होते थे ?
-हां, कई फैंस हद से गुजर जाया करते थे. रोजाना मेरे घर के आगे कोई कोलकाता से आया है, तो कोई दिल्ली से.. लोगों की भीड़ हुआ करती थी. कुछ ने हाथ की नसें तक काट ली थी. हालांकि मेरी मम्मी पर्सनली जाकर उन्हें समझाया करती थीं. यहां तक की उन फैंस को अपने खर्चे से घर तक रिटर्न पहुंचाने की जिम्मेदारी मम्मी ले लिया करती थीं. कितनों को तो मां ने ट्रेन से वापस रवाना करवाया है.
सोशल मीडिया पर आप क्यों नहीं हैं?
- नहीं, मुझसे नहीं हो पाएगा. मैं बहुत डरती हूं. कल को कुछ लिख दिया, तो उसके पंगे में कौन पड़ेगा. कभी कुछ सच बोल दो, तो सामने वाले को बुरा लग जाएगा. इसलिए मैंने सोशल मीडिया पर न आने का निर्णय किया है.