जाने जान, हड्डी और बंबई मेरी जान में अपनी दमदार एक्टिंग से जान फूंकने वाले सौरभ सचदेवा उस वक्त नर्वस हो गए थे, जब उन्हें पता चला था कि करीना कपूर संग वॉयलेंट सीन शूट करना है. इस मुलाकात में सौरभ ने अपने पसंदीदा किरदार और एक्टिंग कोच की भूमिका पर हमसे ढेर सारी बातचीत की है.
जब कोई एक्टिंग कोच जब फिल्म शूट करता है, तो क्या फर्क महसूस होता है? जवाब में सौरभ कहते हैं, 'हां, बिलकुल फर्क तो पड़ता है. एक्टिंग बैठकर सीखाना और उसे स्क्रीन के सामने करने में बहुत अंतर होता है. एक एक्टर बनने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है.'
शूटिंग के दौरान कभी आपके अंदर का कोच जागता था? सौरभ कहते हैं, 'ऐसा कभी हुआ नहीं. मैं तो अपने कई स्टूडेंट्स के साथ काम कर चुका हूं. तैश में हर्षवर्धन राणे, बॉम्बे मेरी जान में अविनाश तिवारी और अब एनिमल में तृप्ति संग काम कर रहा हूं, सेट पर मैंने कभी इन्हें भी इंस्ट्रक्शन नहीं दिया है. मैं यहां खुद का इंस्ट्रक्टर बनता हूं. मेरा काम वहां बस एक को-एक्टर वाला ही रहता है. अगर मेरा दिमाग इसी बात में लगा रहे कि कौन सही कौन गलत कर रहा है, तो मैं खुद पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाऊंगा. हां, अगर कोई मुझसे सीन शुरू होने से पहले नसीहत मांगता है, तो मैं उन्हें बेझिझक समझाता था'
आपने इतने लोगों को सीखाया है. आपका पसंदीदा स्टूडेंट कौन रहा है? सौरभ कहते हैं,'मेरे बहुत से पसंदीदा एक्टर्स रहे हैं. हर किसी की अलग-अलग खूबी मुझे अपील करती है. मैं किसी एक का नाम ले ही नहीं सकता. हां, ये जरूर कहूंगा कि मैं जिस एक्टर का मुरीद हूं, वो दिल्ली में ही रहते हैं और बच्चों को थिएटर सीखाते हैं. उसने हमेशा से मूव किया है. आज भी कई बार मैं किसी सीन पर फंस जाता हूं, तो उसे कॉल कर लेता हूं. हालांकि वो मेरा स्टूडेंट ही था. उसका नाम परिमल था.'
अपनी एक्स गर्लफ्रेंड से लिया था रेफरेंस
अबतक के सबसे कठिन किरदार पर सौरभ कहते हैं, 'सबसे ज्यादा मैंने हड्डी के किरदार को एंजॉय किया था. इस फिल्म में मेरा ट्रांसजेंडर का किरदार था, जो मेरे लिए चैलेंजिंग भी रहा. मैं हमेशा से अपने फेमिनीन साइड को एक्सप्लोर करना चाहता था. 2004 में मैंने बैरी जॉन सर के सामने एक प्ले किया था, जो कुछ ऐसा ही था. उस किरदार के लिए मैंने अपनी दादी, मां और एक्स गर्लफ्रेंड का रेफरेंस लिया था. उस प्ले के लिए बहुत तारीफ भी मिला था. बैरी सर ने कहा था कि यह तो ऑडियंस के चेहरे पर मुक्के की तरह है. वहीं दूसरी ओर फेमिनीन साइड को सिनेमा में एक्सप्लोर करना था, देखना था कि लोग इसे कैसे एक्सेप्ट करते हैं. हालांकि सबसे ज्यादा चैलेंजिंग मेरे लिए जान ऐ जान का किरदार था. उस किरदार के वैल्यूज और मॉरल से कन्विंस होना टास्क की तरह था. मैं निजी जिंदगी में ऐसा इंसान नहीं हूं. मैंने इस किरदार के लिए विजय (एक्टर) से भी बात की. उसने 'शी' में कुछ ऐसा ही किरदार निभाया था. उसने भी बोला था कि सौरभ बहुत मुश्किल होता है. आप लगातार शूटिंग करते जाते हो, तो फिर उसका असर नहीं पड़ता था, लेकिन जैसे ही शूटिंग से ब्रेक मिलता है, तो आपके वैल्यूज आपको हॉन्ट करने लगते हैं. वो प्रोसेस बहुत डरावना होता है. उसकी किरदार की वैल्यूज को खोजकर उसमें एंपथी लाना, उसके एक्शन को जस्टिफाई करना.. इस तरह के प्रोसेस होते हैं. मैंने रॉबर्ट मैकी की लिखी किताब स्टोरी में पढ़ा था, कि कोई भी इंसान की जिंदगी में अगर दो चॉइसेस आते हैं, तो वो हमेशा अच्छी चॉइस को ही तव्ज्जो देता है. मैं उस किरदार के उसी चॉइसेस के आधार पर ही उसके प्रति सांत्वना जगाने की कोशिश करता था '
करीना संग वॉयलेंट होना नहीं था आसान
करीना के साथ वॉइलेंट होने के दौरान कितने सहज थे. इसके जवाब में सौरभ कहते हैं,'उसमें मुझे प्रॉब्लम नहीं हुई थी. मेरी को-एक्टर करीना बेहद ही प्रोफेशनल थीं. शूटिंग शुरू होन से पहले मैंने उनसे कहा था कि मैं आपके क्लोज आने वाला हूं... एक एक्टर के तौर पर हमें सामने वाले एक्टर के स्पेस की रिस्पेक्ट करनी होती है. कैरेक्टर की स्पेस अलग होती है, वो कहीं तक भी जा सकता है लेकिन एक्टर का अपना स्पेस होता है. कंफर्ट हर एक्टर्स का अलग-अलग होता है. अगर मैं करीना के साथ शूट कर रहा हूं, तो वो अलग कंफर्ट है, किसी और के साथ अलग. मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं आपके स्पेस में आ सकता हूं. आपको होल्ड कर सकता हूं. वो इसे लेकर बहुत ही ओपन भी थीं. उनका भी यही मानना था कि तभी तो हम ढंग से इमोशन दिखा सकते हैं. वहां से मैं कंफर्टेबल हो गया.'