श्रद्धांजलि: 'तुम मुझे भुला ना पाओगे' में सीनियर एक्टर और बॉलीवुड के हीमैन धर्मेंद्र ने शिरकत की. इस इवेंट में धर्मेंद्र ने मॉडरेटर श्वेता सिंह से बात की. आजतक के इस खास इवेंट में धर्मेंद्र ने लता दीदी से जुड़े कई किस्से सुनाए. उन्होंने बताया कि कैसे उम्र में बड़ी होने के बावजूद लता दीदी दिल से बच्ची ही थीं.
धर्मेंद्र की गुड़िया थीं लता
धर्मेंद्र ने बताया कि लता मंगेशकर के 71वें जन्मदिन के सेलिब्रेशन में धर्मेंद्र पहुंचे थे. तब लता दीदी ने उन्हें कहा था कि मैं सात और एक नहीं बल्कि एक और सात, 17 हूं. धर्मेंद्र कहते है कि लता उनके लिए हमेशा गुड़ियां ही थीं. दोनों के बीच हमेशा से बेहद प्यार था.
गाने के बारे में सुनकर खुश हुए थे धर्मेंद्र
धर्मेंद्र की फिल्म अनपढ़ के गाने 'आपकी नजरों ने' को लता मंगेशकर ने गाया था. धर्मेंद्र ने बताया कि लता मंगेशकर के इस गाने को गाने की बात जब उन्हें पता चली थी तो वह बेहद खुश हुए थे. धर्मेंद्र कहते हैं- मैं सोच रहा था कि किसको इस बारे में बताऊं. तो मैंने सभी को खत लिख दिए थे. मैं महबूब स्टूडियो गया था उन्हें गाना गाते देखने.'
लता मंगेशकर के लिए जाने पर धर्मेंद्र ने एक शेर भी पढ़ा. दो लाइनों में उन्होंने अपने गम को बयां करते हुए कहा-
''लहर खुशी की आते ही चली जाती है
घड़ी गम की जाते जाते जाती है.''
लता दीदी की चिता को जलते नहीं देख सकता था... रोता हुआ वापस लौट आया, बोले राहुल वैद्य
आवाज लगाकर बुलाना चाहता हूं
लता मंगेशकर के बारे में धर्मेंद्र ने कहा कि पिछले कई सालों से दोनों की काफी मुलाकात हो रही थी. उन्हें लगता था जैसे लता अकेलेपन से भागना चाहती हैं. इसके अलावा धर्मेंद्र ने बताया कि आखिरी समय में लता मंगेशकर से बात ना कर पाने का उन्हें मलाल है. वह उनके अंतिम संस्कार में हिम्मत करके भी नहीं जा पाए थे, क्योंकि उन्हें लता दीदी के जाने का बेहद गम था. अगर आवाज आसमान तक उनकी आवाज पहुंच पाती तो वह लता दीदी को कहते कि वापस लौट आइए.