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जिंदा रहकर पूरी नहीं हुई दिलीप कुमार की ख्वाहिश, क्या पूरी करेगा पाकिस्तान?

दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. अपने बचपन के कुछ सालों बाद ही कुमार परिवार समेत भारत आ गए थे. ऐसे में पाकिस्तान में वे छोड़ आए थे अपना पुश्तैनी मकान, जो आज वहां के सरकार की देखरेख में है. दिलीप साहब की दिली तमन्ना थी कि वे अपने इस मकान को म्यूजियम में तब्दील कर दें. अपनी इसी अधूरी ख्वाहिश के साथ इस दुनिया से रुख्सत हो गए.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस अधूरी ख्वाहिश के साथ चल बसे दिलीप साहब
  • पेशावर स्थित हवेली को बनाना चाहते थे म्यूजियम
  • जर्जर हो चुकी है हवेली की हालत

सिनेमा जगत के लिजेंड दिलीप कुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे. हर दिल अजीज दिलीप साहब की आखिरी ख्वाहिश थी कि वे अपनी सौ साल पुरानी पुश्तैनी मकान को म्यूजियम में तब्दील होते देखें. हालांकि मामला कानून और सरकार के बीच फंस कर रह गया और दिलीप की यह आखिरी ख्वाहिश अधूरी रह गई. 

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राष्ट्र धरोहर घोषित कर दी गई हवेली
दिलीप कुमार की इस हवेली को 2014 में पाकिस्तान सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया गया था. दिलीप कुमार का यह मकान पेशावर शहर के ख्वानी बाजार में स्थित है. खैबर पख्तूनख्वाह प्रोविंशियल गवर्नमेंट ने इसके म्यूजिम बनाने की पहल की थी. लेकिन इसके कानूनी फैसले लिये जाने से पहले ही दिलीप साहब इस दुनिया से चल बसे.खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने दिलीप कुमार के 4 मंजिले घर को 1.50 करोड़ और 80 लाख रुपए में खरीदकर उन्हें म्यूजियम में तब्दील करने का प्लान बनाया था. इसके पीछे मकसद यह दिखाना है कि दुनिया और बॉलीवुड के लिए पेशावर का क्या योगदान है. हालांकि हवेली के मालिक को यह ऑफर पसंद नहीं आई. हवेली के मालिक गुल रहमान मोहम्मद ने कहा था सरकार को इसे मार्केट रेट यानी करीब 3.50 करोड़ रुपए में खरीदना चाहिए.

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जर्जर हालात में है हवेली 

भले हवेली राष्ट्रीय धरोहर बन गई है लेकिन उसकी सुध लेना वाला कोई नहीं. हवेली की जर्जर हालत देख उनके चाहने वाले भी चिंतित है. पाकिस्तान के किसी फैन ने कुछ साल पहले ही हवेली की तस्वीरें खींच सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिलीप साहब को टैग कर लिखा था, कि यह हालत देखी नहीं जाती. प्लीज कुछ करें. बता दें, साहब की इस हवेली से कई बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं. उनकी हवेली के बगल में ही राज कपूर की भी हवेली है. 


 

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