
दुनिया के सबसे पॉपुलर म्यूजिक आइकॉन्स में गिने जाने वाले एल्विस प्रेस्ले का म्यूजिक, एक बड़े बदलाव का प्रतीक था. रॉक एंड रोल म्यूजिक स्टाइल का गॉड कहे जाने वाले प्रेस्ले, अपने गानों और परफॉरमेंस में एक बागी तेवर के लिए जाने जाते थे, जो मेनस्ट्रीम अमेरिकन कल्चर से बिल्कुल डिफरेंट था. 1980 के दशक में भारत के पंजाब में एक सिंगर भी कुछ ऐसा ही कर रहा था.
उसके गानों में ट्रेडिशनल पंजाबियत के गर्व और सांस्कृतिक विरासत के गुणगान से अलग एक बहुत डिफरेंट तेवर था. वो गाने जिन्हें कई बार तो अश्लील तक कह दिया गया. और इसी तेवर की वजह से उसे 'पंजाब का एल्विस' कहा गया. इस सिंगर का नाम था- अमर सिंह चमकीला.
आज के दौर में ग्लोबल लेवल पर सबसे पॉपुलर पंजाबियों में से एक दिलजीत सिंह दोसांझ अब अमर सिंह चमकीला का किरदार निभा रहे हैं. बॉलीवुड के सबसे टैलेंटेड फिल्ममेकर्स में से एक इम्तियाज अली ये बायोपिक लेकर आए हैं जिसका नाम है 'चमकीला'. मेकर्स ने नेटफ्लिक्स के लिए बनी इस फिल्म की पहली झलक मंगलवार को जनता के सामने रख दी है. और फिल्म का अनाउंसमेंट वीडियो रोंगटे खड़े कर देने वाला है.
जिस सिंगर को 'पंजाब का एल्विस' कहा गया, जिसे आज के कई पॉपुलर पंजाबी गायक अपनी इंस्पिरेशन मानते हैं, 'चमकीला' उसकी कहानी लेकर आ रही है. एक ऐसी कहानी जो उतनी हो शॉकिंग भी है, जितनी थ्रिलिंग है.
चमकीला, अमरजोत और एक म्यूजिकल लिगेसी
इम्तियाज अली की फिल्म 'चमकीला' के अनाउंसमेंट वीडियो में एक लाइन बताती है, कि अमर सिंह चमकीला, पंजाबी म्यूजिक में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड्स बेचने वाले सिंगर थे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि एक समय तो ऐसा था जब चमकीला ने 365 दिन में 366 स्टेज शोज किए थे. 21 जुलाई 1960 को पंजाब के एक छोटे से गांव में जन्में इस सिंगर ने बहुत कम समय में पंजाबी म्यूजिक में वो मुकाम हासिल किया था, जिसे पाने के लिए बड़े-बड़े कलाकार तरसते हैं.
चमकीला के बारे में बताया जाता है कि वो एक इलेक्ट्रीशियन बनना चाहते थे. लेकिन इसमें वो नाकाम रहे और लुधियाना क्लॉथ मिल में काम करने लगे. उन्हें संगीत का शौक था और उन्होंने खुद ही हारमोनियम और ढोल बजाना सीख लिया. चमकीला ने अपने अधिकतर गाने खुद ही लिखे. बताया जाता है कि उस दौर के मशहूर सिंगर्स में से एक सुरिंदर शिंदा कहीं परफॉरमेंस के लिए पहुंचे थे. जहां साइकिल पर चमकीला उनके पास पहुंचे.
सुरिंदर ने बहुत एक्साइटमेंट के साथ आए 18 साल के लड़के का गाना सुना और उन्हें तुरंत समझ आ गया कि इसका सफर बहुत लंबा होने वाला है. अपना सोलो करियर शुरू करने वे पहले चमकीला ने सुरिंदर के लिए कई गाने लिखे और उनके कई शोज में स्टेज पर साथ परफॉर्म किया. ऐसा कहा जाता है कि वो गाने लिखकर ही काफी खुश थे, लेकिन इस काम से घर चलाने लायक कमाई नहीं हो पाती थी इसलिए उन्होंने गाना भी शुरू किया.
अमरजोत- सिंगिंग ही नहीं, लाइफ की भी पार्टनर
पंजाबी म्यूजिक में वो दौर लाइव गाने का था और स्टेज पर गाती जोड़ियां पसंद की जा रही थीं. चमकीला को, सुरिंदर शिंदा के साथ ही परफॉर्म करती आ रहीं सुरिंदर सोनिया ने अपना स्टेज पार्टनर बनाया और उनके साथ 8 डुएट गाने गाए. चमकीला और सुरिंदर की पहली एल्बम 'टकुए टे टकुआ' 1980 में रिलीज हुई और जबरदस्त हिट हो गई. इसी समय चमकीला को लगा कि सुरिंदर के मैनेजर उन्हें कम फीस दे रहे हैं और उन्होंने अपना अलग ग्रुप बना लिया. अब स्टेज पर उनकी म्यूजिक पार्टनर मिस उषा किरण थीं. उषा के बाद अमर नूरी और कई फीमेल सिंगर्स के साथ स्टेज पर आ चुके चमकीला को एक लॉन्ग टीम पार्टनर की तलाश थी. बताया जाता है कि इसी दौर में सिंगर कुलदीप मानक ने उन्हें अपने साथ परफॉर्म करने वाली अमरजोत कौर का नाम सुझाया.
अमरजोत के बारे में कहा जाता है कि वो शादीशुदा थीं, लेकिन सिंगर बनने के सपने के लिए उन्होंने इस शादी को पीछे छोड़ दिया था. अमरजोत अब चमकीला की परमानेंट सिंगिंग पार्टनर बन गईं. स्टेज की ये पार्टनरशिप आगे चलकर शादी में भी बदली. चमकीला के अधिकतर गानों में उनकी पार्टनर अमरजोत ही हैं. 'चमकीला' फिल्म में अमरजोत का किरदार परिणीति चोपड़ा निभा रही हैं.
इस कपल के गानों में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स, शराब, ड्रग अब्यूज और पंजाबी कल्चर से एक बहुत अलग किस्म की सेक्सुअल इमेज की बात होती थी. लेकिन 1985 में दोनों ने 'बाबा तेरा ननकाना' 'तलवार मैं कलगीधर दी हां' और 'नाम जप ले' टाइटल से तीन भक्ति गीत भी गाए. बताया जाता है कि 1988 तक चमकीला लगभग 90 से ज्यादा गाने गा चुके थे, जबकि उनके पास 200 गाने ऐसे थे जो अभी रिकॉर्ड नहीं हुए थे. लेकिन किसी को भी खबर नहीं थी कि ये साल, चमकीला की जिंदगी का आखिरी साल होने वाला है.
वो हत्या जिसने पंजाब को हिलाकर रख दिया
8 मार्च 1988 को, चमकीला, अमरजोत और उनके साथियों को पंजाब के मेहसामपुर में परफॉर्म करना था. अपने फेवरेट लोक कलाकार को सुनने के लिए लोगों की भीड़ 12 बजे से ही जुट चुकी थी और लोग अभी आते ही जा रहे थे. रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2 बजे चमकीला अपनी वैन से पहुंचे. वैन की फ्रंट सीट से चमकीला उतरे तो एक्साइटमेंट में भीड़ शोर करने लगी. वैन की पिछली सीट से अमरजोत और ग्रुप के बाकी कलाकार उतरने लगे. भीड़ का उत्साह चरम पर पहुंच रहा था. लेकिन अगले ही पल जो हुआ, उसका अंदाजा किसी को भी नहीं था.
वैन के बगल में एक बाइक आकर खड़ी हुई. चमकीला के साथ बैंड में ढोलक बजाने वाले लाल चंद ने बाद की एक रिपोर्ट में बताया, 'मैं कार से निकला और अपने ढोल के साथ चलने लगा. और मेरे पीछे 6 फुट के एक लंबे से आदमी ने, अपनी एके-47 से कार पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी.' लाल बताते हैं कि वो अपना ढोल फेंककर भागने लगे. उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो वो आदमी अमरजोत पर अपनी गन की मैगज़ीन खाली कर देना चाहता था. चमकीला, गिरती हुई अमरजोत को संभालने उनकी तरफ बढे और एक गोली आकर उनकी छाती में लगी.
लाल चंद ने बताया, 'उन्होंने एक कलाकार हरजीत सिंह गिल से भाग जाने को कहा. बोले कि अगर पलटे तो गोली मार देंगे. वो रोने लगा और अपनी जिंदगी के लिए गिड़गिड़ाने लगा. तो उन्होंने उसे भी छाती में गोली मार दी.' किसी के कुछ सोच पाने से भी पहले चमकीला, अमरजोत और उनके दो साथी, अब सिर्फ लाश थे. हत्यारे अपनों मोटरसाइकिल के साथ गायब हो चुके थे. और भयानक चीख पुकार के बाद अब सिर्फ सन्नाटा बचा था.
आज भी अनसुलझी है मौत की गुत्थी
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बातों में से एक ये भी थी कि चमकीला के घरवालों ने इस हत्या की कोई शकायत पुलिस में नहीं की. पुलिस डिपार्टमेंट ने अपनी तरफ से केस फाइल कर मामले की जांच शुरू की, जो आजतक बेनतीजा है. 1980 का दशक पंजाब में मिलिटेंसी का दौर था और हथियारधारियों का अलगाववादी आंदोलन चरम पर था. शुरुआत में ऐसे दावे किए गए कि इन अलगाववादियों ने ही चमकीला की हत्या की है. मिलिटेंसी की आड़ में बहुत लोग अपनी आपसी दुश्मनियां भी बराबर कर लिया करते थे. कहा गया कि ये हत्या शायद ऐसा ही मामला है.
लोगों को अपने संगीत पर झुमाने वाले एक सिंगर से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है? ये सवाल बड़ा था. माना जाता है कि इसकी एक वजह खुद चमकीला के गाने थे. खालिस्तान मूवमेंट की वजह से उन दिनों पंजाब में वैसे भी नैतिक 'पवित्रता' और ऊंचे मोरल बिहेवियर को लेकर एक कट्टरता का माहौल था. ऐसे एन चमकीला और अमरजोत के कथित 'अनैतिक, भड़काऊ और अश्लील' गाने यकीनन बहुतों को आहत करते रहे होंगे. ऊपर से इस ओपिनियन में जातिवाद का भी एक एंगल था.
पंजाबी म्यूजिक के आइकॉन्स में गिनी जाने वाले इस गायक का असली नाम अमर सिंह चमकीला नहीं था. दलित जाति में पैदा हुए इस सिंगर का रियल नाम था- धनी राम. कहा जाता है कि इस धनी राम का चमकीला बनकर, पंजाबी संगीत की दुनिया पर चमकना भी बहुतों को हजम नहीं था. ऊपर से गाने ऐसे जो सेक्सुअलिटी और इंटिमेसी की हदों के पार जाते थे. उस दौर के बेहद पारम्परिक सेटअप में इसे हद लांघने की तरह देखा गया होगा. और सबसे बड़ी बात, चमकीला के साथ अमरजोत कौर थीं, जो पंजाब के कास्ट सिस्टम में कथित तौर से ऊपर मानी गईं जट्ट कम्युनिटी से थीं. माना जाता है कि अमरजोत का चमकीला के साथ आना और कथित 'भड़काऊ' गाने गाना, उस दौर में एक बहुत बागी स्टेप था. देखें 'चमकीला' का अनाउंसमेंट वीडियो:
चमकीला और अमरजोत की हत्या किसने की? हत्या की वजह क्या थी? इन सवालों का आज भी कोई जवाब नहीं है. धीरे-धीरे चर्चाओं से भी इस भयानक हत्या का मामला गायब होता चला गया. चमकीला की हत्या लोगों को पिछले साल तब याद आई जब यंग सिंगर सिद्धू मूसेवाला की भी इसी तरह दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. लेकिन दोनों मामलों में समानता केवल हत्या के तरीके तक ही सीमित है.
ऐसे में दिलजीत दोसांझ की 'चमकीला' से ये उम्मीद की जा सकती है कि अमर सिंह चमकीला की धुंधलाती यादों और उनकी म्यूजिकल विरासत को फिल्म पूरी ग्लोरी के साथ लेकर आएगी. अनाउंसमेंट वीडियो में 'चमकीला' की रिलीज डेट नहीं है लेकिन इतना बताया गया है कि ये 2024 में नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी.