यशराज बैनर की फिल्म 'जब तक है जान' से अपनी एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाले शारिब हाशमी को बॉलीवुड इंडस्ट्री में लगभग एक दशक से ज्यादा होने वाले हैं. ओटीटी से लेकर फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग का लोहा मनवाने वाले शारिब आज दर्शकों की पसंदीदा एक्टर की लिस्ट में शुमार हो चुके हैं.
हालिया रिलीज फिल्म जरा हटके जरा बचके में भले ही शारिब कम समय के लिए नजर आए हों, लेकिन दर्शकों के आंखों से बच नहीं पाए हैं. दरोगा के किरदार के लिए शारिब को फैंस का लगातार प्यार मिल रहा है. शुक्रवार को शारिब की एक अपकमिंग फिल्म तरला का टीजर लॉन्च किया गया. जिसमें वो तरला के हसबैंड का किरदार निभाने वाले हैं. इस बायोपिक में हुमा कुरैशी तरला के किरदार को साकार करतीं नजर आएंगी.
'काफी समय बाद लीड रोल कर रहा हूं'
अपने इस प्रोजेक्ट पर शारिब कहते हैं- मैं इससे पहले एक्साइटेड फिल्मिस्तान के वक्त हुआ था. आज ठीक वैसी ही खुशी मेरे चेहरे पर है. काफी लंबे समय बाद मुझे लीड रोल करने का मौका मिला है. मैं इसमें हुमा के ऑपोजिट हूं. इस फिल्म की कहानी मेरे निजी जीवन से थोड़ी प्रभावित है. मैं तरला के किरदार से खुद को रिलेट कर पाता हूं. एक उम्र के बाद जब तरला जी को अपने करियर को लेकर दिशा नहीं मिल पा रही थी, तब जाकर उन्हें अहसास हुआ कि कुकिंग ही शायद उनका पैशन है. ठीक मेरे साथ भी हुआ, जब मैं 33 साल का हो चुका था, तब जाकर लगा कि मेरे अंदर एक एक्टर छिपा है और फिर वहां से मैंने एक्टिंग में अपनी जमीन तलाशने की जर्नी शुरू की थी.
33 साल में चढ़ा एक्टिंग का भूत
इस किस्से पर डिटेल में बात करते हुए शारिब बताते हैं- मैं अच्छा खासा प्रोडक्शन में जॉब कर रहा था. मुझ पर मेरी पत्नी और एक बेटे की जिम्मेदारी थी. उसी बीच काम में मन नहीं लगता था. कह लें, मजा नहीं आता था. मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मैं करना क्या चाहता हूं. फिर एक दिन अहसास हुआ कि मुझे एक्टिंग में शायद अपनी किस्मत आजमानी चाहिए क्योंकि मैं कॉलेज और स्कूल के दिनों में एक्टिंग ग्रुप्स में काफी एक्टिव था. हालांकि इस असमंजस में था कि एक्टिंग करियर एक जुए की तरह है, ऊपर से मुझ पर परिवार की जिम्मेदारी है. मेरी पत्नी ने उस वक्त मेरा सपोर्ट किया. उन्होंने कहा कि अगर दिल की नहीं सुनोगे, तो जिंदगीभर खुश नहीं रह पाओगे.
तीन साल तक केवल ऑडिशन देता रहा
शारिब आगे कहते हैं- फिर क्या था. मैंने अपना काम छोड़ा और ऑडिशन देना शुरू कर दिया था. मैं 33 साल की उम्र में ऑडिशन के लिए जाया करता था. कॉलेज के दिनों में एक्टिंग की नहीं सोची क्योंकि मैं अपनी कद-काठी को लेकर कॉन्फिडेंट नहीं था. दरअसल जो एक्टर्स और एक्ट्रेस के लिए यहां ढांचा बनाया गया है, उसमें मैं खुद को फिट नहीं मानता था. इसलिए इस सपने को मैंने कहीं पीछे छोड़ बाकि की चीजों में खुद को उलझा लिया था.
बेच दिए थे बीवी के जेवर और अपना घर
अपने ऑडिशन के दिनों को याद करते हुए शारिब बताते हैं- वो दौर आज भी मुझे याद है. मैं रोजाना ऑडिशन देकर आता और कॉल पर रिजेक्शन का मैसेज देखकर सो जाता. यह सिलसिला लगभग तीन साल तक चलता रहा. मैंने इन तीन सालों में हजारों ऑडिशन दिए होंगे और रिजेक्शन भी उतने ही झेले होंगे. मेरी सेविंग्स खत्म हो चली थी. इस वक्त मेरी वाइफ ने काम करना शुरू कर दिया था. वो घर चलाने के लिए जॉब करने लगी थी. हालांकि तंगहाली ऐसी हो गई थी कि वाइफ के जेवर बेचने पड़े थे. इतना ही नहीं घर भी बेच डाला था. कई दोस्तों से कर्जे तक लिए थे. लेकिन मेरी वाइफ ने कभी शिकायत नहीं की. आखिरकार उसके पैशेंस का नतीजा है कि आज मैं यहां तक पहुंच पाया हूं. आज मैंने घर भी खरीद लिया है और दोस्तों के पैसे वापस कर दिए हैं. मैं मानता हूं कि ये ऊपरवाले का करम है कि उन्होंने मुझे इतनी अंडरस्टैंडिंग बीवी दी है. मैंने जरूर पिछले जन्म में कोई पुण्य का काम किया होगा.