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हर्षद मेहता: जिसे कानून ने बताया दोषी, फिल्म-सीरीज ने बना दिया आम आदमी का हीरो!

ये सारा खेल सिर्फ और सिर्फ इमेज प्रोजेक्शन का है जिससे कन्फ्यूज होकर दर्शक हमेशा यहीं पूछे- हर्षद मेहता स्कैमर था या फिर मसीहा?

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हर्षद मेहता
हर्षद मेहता

हर्षद शांतिलाल मेहता, ये नाम 90 के दौर में सभी की जुबान पर था और पूरा शेयर बाजार जिसके एक इशारे पर उठता-गिरता दिख जाता था. आजाद भारत का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट घोटाला भी उसने किया था. कहा जाता है कि चार हजार करोड़ रुपये का घपला करने में हर्षद मेहता सफल रहा. उसने भारतीय बैंको की कमजरोरियों को बखूबी समझा था, कई तरह के कॉन्टैक्ट बनाए थे और फिर अपने मंसूबों को अमलीजामा पहनाया. हर्षद मेहता के खिलाफ 76 आपराधिक मामले दर्ज थे, 600 सिविल सूट दायर की गई थीं.

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फिर चर्चा में क्यों आया हर्षद मेहता?

उस जमाने में हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट का अमिताभ बच्चन भी था और द बिग बुल भी. लेकिन तब कानून की नजरों में वो सिर्फ एक अपराधी था जिसने बैंकों के साथ बड़ा फ्रॉड किया था. जिसने गलत तरीकों से शेयर बाजार में पैसे लगाए थे. उस समय तो हर्षद मेहता की इमेज एक भ्रष्टाचारी की बन चुकी थी. लोगों का गुस्सा भी सातवें आसमान पर था. लेकिन फिर साल 2020 और 2021 ने हर्षद मेहता को फिर स्टार बना दिया. एक बार फिर इस सफल स्टॉकब्रोकर के चर्चे सभी तरफ होने लगे. पहले हंसल मेहता ने अपनी वेब सीरीज स्कैम 1992 रिलीज की जिसमें 10 एपिसोड के जरिए हर्षद मेहता की पूरी जिंदगी दिखा दी गई.

प्रतीक की स्कैम ने बदल दी हर्षद मेहता की इमेज?

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स्कैम 1992 में हर्षद मेहता के घोटाले पर पूरा फोकस रखा गया था, लेकिन साथ ही साथ उसे आम लोगों का हीरो भी बताया गया. कई छोटे-छोटे सीन थे जिन्हें देख कहा गया कि हर्षद मेहता की वजह से कई मिडिल क्लास लोगों की किस्मत बदल गई. आम इंसान भी बड़े सपने देखने लगा. सभी ने शेयर बाजार में निवेश किया और खूब पैसा कमाया. ये हर्षद मेहता की जिंदगी का वो पहलू था जो कम ही लोग जानते थे क्योंकि ना तो ऐसी कोई फिल्म बनाई गई थी और ना ही इस बारे में ज्यादा खुलकर बात हुई. इस सीरीज को सभी का शानदार रिस्पॉन्स मिला और प्रतीक गांधी के रूप में एक उभरता नया टैलेंट भी. जिस तरह से स्कैम 1992 का एंड दिखाया गया था, उसे देख दर्शक भावुक हुए, उन्हें लगने लगा कि हर्षद मेहता एक 'बेचारा' है जिसके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचे गए. लोगों के मन में सवाल आने लगा- हर्षद मेहता चोर था या फिर एक मसीहा?

इस सवाल का जवाब ना मिलना कई लोगों को खटका, सभी ने गूगल पर काफी सर्च भी करना शुरू कर दिया. लेकिन ज्यादा कुछ सामने नहीं आया, सिर्फ हर्षद मेहता के अपराध की लंबी लिस्ट देखने को मिल गई. कई सारे वीडियो भी बनाए गए जहां पर आसान भाषा में हर्षद के स्कैम के बारे में बताया गया. लेकिन कहीं भी उसकी हीरो वाली छवि को को लेकर जानकारी देखने को नहीं मिली.

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अभिषेक की बिग बुल ने बनाया हर्षद को मसीहा?

अब हाल ही में अभिषेक बच्चन की द बिग बुल रिलीज की गई है. ये फिल्म भी हर्षद मेहता के बारे में है, उसके घोटाले की इनसाइड स्टोरी बताती है. लेकिन यहां भी मेकर्स दर्शकों के साथ खेल गए. उन्होंने हर्षद मेहता के अपराध के बारे में तो बताया, लेकिन जाते-जाते उसकी अच्छी साइड पर जरूरत से ज्यादा फोकस कर गए. इतना ज्यादा फोकस कि मानो हर्षद मेहता कोई अपराधी ना होकर एक मसीहा निकला. स्कैम 1992 की तरह यहां भी कुछ सीन्स के जरिए हर्षद मेहता को महान दिखाने की कोशिश हुई. एक सीन में आम इंसान बोलता है- मैंने हर्षद भाई की वजह से बड़े सपने देखना सीखा है. पहले एक नौकसी से घर भी नहीं चलता था, अब शेयर बाजार में पैसा लगाता हूं और खूब मुनाफा कमा रहा हूं. ऐसे और भी कई सारे सीन दिखाए गए जहां पर हर्षद मेहता की एक टिप ने लोगों की जिंदगी बदल दी.

कानून ने बताया दोषी, फिल्म-सीरीज ने बना दिया हीरो?

जब इस अंदाज में किसी को लगातार प्रोजेक्ट किया जाता है तो एक इमेज तो अलग बन जाती है. ये वो वाली इमेज होती है जिसे आप कानून के चश्मे से नहीं परख पाते. आप उसे एक अपराधी से ज्यादा बेचारा मानने लग जाते हैं. हर्षद मेहता के लिए ये काम स्कैम 1992 और द बिग बुल ने बखूबी किया है. एक तरफ स्कैम 1992 में हर्षद को राजनीतिक मोहरा बनते हुए दिखाया गया है तो वहीं बिग बुल में कई बार उसे गरीबों का मसीहा करार दिया गया. ये सारा खेल सिर्फ और सिर्फ इमेज प्रोजेक्शन का है जिससे कन्फ्यूज होकर दर्शक हमेशा यहीं पूछे- हर्षद मेहता स्कैमर था फिर मसीहा?

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