
तापसी पन्नू और विक्रांत मैसी स्टारर फिल्म हसीन दिलरुबा शुक्रवार को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. इस फिल्म में रानी (तापसी पन्नू) और रिशु (विक्रांत मैसी) की शादी और उसमें आने वाले जबरदस्त उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है. रोमांटिक कहानी से शुरू हुई यह फिल्म एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर में तब्दील हो जाती है, जब रिशु के मर्डर का इल्जाम उसकी पत्नी रानी पर लगता है. रानी को रोज पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जाता है. ऐसे में वह पुलिस अफसर (आदित्य श्रीवास्तव) लेखक दिनेश पंडित की मर्डर मिस्ट्री भरी कहानियों वाली किताब की पक्तियां सुनाती रहती है.
इस फिल्म में दिनेश पंडित की लिखी एक किताब जिसका सीधा कनेक्शन फिल्म के धमाकेदार क्लाइमेक्स से है वो है - कसौली का कहर. अगर आपने फिल्म देखी है तो आपके मन में भी सवाल उठा होगा - क्या सही में दिनेश पंडित एक असल दुनिया के लेखक हैं और कसौली का कहर एक असली किताब है? हम बताते हैं आखिर सच क्या है.
क्या दिनेश पंडित हैं असली लेखक?
असल में दिनेश पंडित एक काल्पनिक लेखक हैं, जिनके बारे में फिल्म हसीन दिलरुबा की नायिका रानी हमें बताती हैं. रानी एक बुक लवर है और दिनेश पंडित की फैन है. फिल्म में दिनेश पंडित के किरदार की व्याख्या एक फिलोसॉफिकल मर्डर मिस्ट्री लेखक के रूप में की गई है. रानी अपने पति रिशु से शादी से पहले उसे दिनेश पंडित की किताबों के बारे बताते है और कहती है कि उसकी लिखी मर्डर मिस्ट्री को कोई सुलझा नहीं पाया है.
फिल्म में रानी को दिनेश पंडित की अलग-अलग किताबों को पढ़ते और पुलिस संग पूछताछ में उसमें लिखीं बातों को बोलते दिखाया गया. जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है उसमें मर्डर का रहस्य और गहरा होता जाता है और लगता है कि कहानी दिनेश पंडित की किताब पर ही आधारित है.
जब रानी ने पुलिस अफसर पूछता है कि उसके पति की हरकतों के बावजूद वो उसके साथ क्यों रहती थी तब भी वह दिनेश पंडित की किताब में लिखी बात ही उसे कहती है. रानी कहती है - सच्चा प्यार वो है, जिसमें खून के हल्के हल्के छींटे हों. इतना ही नहीं दिनेश पंडित की किताब कसौली का कहर में फिल्म के क्लाइमेक्स में बड़ी भूमिका निभाता है. इस किताब के डायलॉग को दोहराते हुए कहा जाता है - हर बिना प्लान किए मर्डर को छुपाने का एक मौका तो जरूर मिलता है.
लगता है कि फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने और इसे रहस्मयी बनाने के लिए लेखक दिनेश पंडित के काल्पनिक किरदार को गढ़ा गया है. दिनेश पंडित के काल्पनिक होने का हिंट फिल्म में भी तब मिलता है जब पुलिस अफसर गुस्से में कहता है कि इस दिनेश पंडित को ढूंढकर लाओ. पूरी फिल्म में दिनेश पंडित का सिर्फ नाम है, उसका चेहरा किसी ने नहीं देखा. वैसे तापसी पन्नू ने दिनेश की किताब पढ़ते हुए अपनी फोटो शेयर की थीं. साथ ही उन्होंने डायरेक्टर सुजॉय घोष संग मजाक किया था कि वह दिनेश की कहानियों से प्रेरित हो जाएंगे.
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अब दिनेश पंडित तो असली नहीं हैं लेकिन एक लेखक है, जिसके काम का असर फिल्म में नजर आता है. वह हैं ब्रिटिश लेखक Roald Dahl. हसीन दिलरुबा फिल्म के अंत में किताब कसौली का कहर बड़ा रोल निभाते हैं. इस किताब को दिनेश पंडित ने लिखा है. हसीन दिलरुबा में दिखाई गई मर्डर मिस्ट्री को कसौली का कहर नाम की किताब से ही खोला जाता है. हालांकि यह किताब असली नहीं है.
कसौली का कहर किताब है असली?
कसौली का कहर तो नहीं लेकिन हसीन दिलरुबा की कहानी एक असली में लिखी शॉर्ट स्टोरी से कुछ हद तक प्रेरित लगती है. वह है ब्रिटिश लेखक Roald Dahl की लिखी शॉर्ट स्टोरी Lamb to the Slaughter. हसीन दिलरुबा का क्लाइमेक्स से जुड़ी किताब कसौली का कहर और यह शॉर्ट स्टोरी कुछ हद तक मिलते हैं. हालांकि कसौली का कहर में मर्डर वेपन के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.
Lamb to the Slaughter की कहानी में भी एक महिला अपने पति की मौत के बाद अपनी बेगुनाही साबित करने में लगी होती है. पुलिस को मर्डर करने वाले हथियार की तलाश तो है, जो उन्हें नहीं मिलता. ऐसे में लगता है काल्पनिक दिनेश पंडित की काल्पनिक किताब का रिश्ता कहीं ना कहीं रिश्ता Roald Dahl की ओरिजिनल शॉर्ट स्टोरी से जुड़ा है.