scorecardresearch
 

Exclusive: इंडस्ट्री में किया जाता है फर्क, पेमेंट गैप पर हीरामंडी के गीतकार तुराज ने जताया ऐतराज

बॉलीवुड में पेमेंट गैप की डिस्कशन पर लिरिसिस्ट ए. एम. तुराज ने भी अपनी राय रखी है. आजतक से बातचीत में तुराज ने बताया कि इस पेमेंट प्रोसेस में बहुत बड़ा फर्क है. एक्टर्स तो दूर की बात सिंगर्स-राइटर्स के बीच भी बड़ा फर्क है. उनके मुताबिक ये हां या ना के बराबर है जिसे कम शायद किया ही नहीं जा सकता.

Advertisement
X
ए. एम. तुराज
ए. एम. तुराज

फिल्म इंडस्ट्री में कलाकारों के बीच पे-पैरिटी या पेमेंट गैप को लेकर अलग ही चर्चा छिड़ी हुई है. पहले तो सिर्फ हीरो और हीरोइन को मिलने वाली कम-ज्यादा फीस पर ही बातें हुआ करती थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है. अब बात सिर्फ पेमेंट गैप नहीं बल्कि स्टार्स के टैंटरम पर होने वाले खर्च होने से प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने और सिंगर्स-राइटर्स को मिलने वाली फीस तक पर आ गया है.

Advertisement

इस पूरी डिस्कशन पर लिरिसिस्ट ए. एम. तुराज ने भी अपनी राय रखी है. आजतक से बातचीत में तुराज ने बताया कि इस पेमेंट प्रोसेस में बहुत बड़ा फर्क है. एक्टर्स तो दूर की बात सिंगर्स-राइटर्स के बीच भी बड़ा फर्क है. उनके मुताबिक ये हां या ना के बराबर है जिसे कम शायद किया ही नहीं जा सकता. लेकिन अगर ये ठीक हो जाए तो इंडस्ट्री को और बेहतर बनाया जा सकता है. 

आर्टिस्ट के बीच है पेमेंट का बड़ा गैप

ए. एम. तुराज बोले- गैप इतना बड़ा है कि हां और ना के बराबर है. इसमें जमीन और आसमान का फर्क है. ये अच्छा बिल्कुल नहीं है. क्योंकि इसमें जिनका नुकसान हो रहा है उनका तो होना ही है. जिनको नहीं मिला उनका तो बहुत है. इसमें एक्टर्स का बड़ा नुकसान है. बड़ा क्रिएशन नहीं हो पा रहा है. फिल्में गिर रही हैं धड़ाधड़. मैं ये कहता हूं कि दीजिए आप 200 करोड़ दीजिए, 500 करोड़ दीजिए. उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरे घर से तो जा नहीं रहे. लेकिन अगर उसका टिकट 5 करोड़ का बिकता है, तो आप उसको 100 करोड़ दे दो. लेकिन वो तो उतना ही बिकता है. 

Advertisement

तुराज ने सवाल उठाते हुए आगे कहा- जिस आदमी को आपने एक लाख, दो लाख...4 लाख दे दिए...एक-दो करोड़ दे दिए, उतने का ही टिकट उसका भी बिकता है. उतने का ही आपका भी बिकता है. आपका टिकट कोई 5 करोड़ का तो बिकता नहीं है. तो ये फर्क जब वहां टिकट विंडो पर नहीं है तो अंदर क्यों है? ये तो वहां होना चाहिए था. फिर क्यों नुकसान होगा, क्योंकि आप वहां से ले रहे हैं तो इनको दे रहे हैं. लेकिन वहां से उतना ही आ रहा है लेकिन आप इनको ज्यादा दे रहे हैं ये तो ठीक नहीं है. 

और बेहतर बन सकती हैं फिल्में...

तुराज बोले- इससे हो क्या रहा है...फिल्म का एक बड़ा पैसा जिससे फिल्म और बेहतर बन सकती थी, टेक्निकली वो और ज्यादा साउंड हो सकती थी. उसे हम और टाइम लगाकर शूट कर सकते थे. उसमें और अच्छी बात आ सकती थी. वो नहीं हो पाता. आजकल तो एक्टर्स टाइम भी नहीं देते ज्यादा, मैं 20 दिन दूंगा, या 25 दिन दूंगा. यही होता है. वो और अच्छी बन सकती थी, तो हमारा सिनेमा जो है, देश का वो ऊपर जाएगा. 

ए. एम. तुराज का पूरा नाम आस मोहम्मद तुराज है, वो कवि, संगीतकार, और स्क्रिप्ट राइटर हैं. उन्होंने हीरामंडी, जेल, गुजारिश, चक्रव्यूह और जैकपॉट जैसी फिल्मों के गाने लिखने के लिए जाना जाता है. गुजारिश का उड़ी, तेरा जिक्र और जैकपॉट का कभी जो बादल बरसे, आयत... तुराज के फेमस गानों में गिने जाते हैं. उन्होंने पद्मावत फिल्म का घूमर, बिनते दिल और खलबली भी लिखा है.  

Live TV

Advertisement
Advertisement