राजकुमार राव तेलुगु ड्रामा 'हिट- द फर्स्ट केस' के हिंदी रिमेक में दिखाई देने जा रहे हैं. इसमें राजकुमार विक्रम जयसिंह का किरदार निभा रहे हैं, जो कि तेलंगाना के एक होमिसाइड इंटरवेंशन टीम (HIT) के पुलिस अधिकारी हैं. उनका टास्क एक गायब हुई लड़की के मामले की जांच करना है. इस फिल्म में सान्या मल्होत्रा ने फीमेल लीड का किरदार निभाया है.
एक्टर ने कही यह बात
'क्राइम तक' के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में राजकुमार राव ने पुलिस अधिकारियों के मेंटल हेल्थ के बारे में बातचीत की. उन्होंने हाल के दिनों में भारत में हुए कुछ सबसे क्रूर अपराधों का भी जिक्र किया. राजकुमार राव ने कहा, "जब मैं 12-13 साल का था. मैंने अपने इलाके में एक शव देखा. वह दृश्य अब भी मेरे भीतर बना हुआ है, क्योंकि यह बहुत दर्दनाक था. हमारे पुलिस अधिकारी जो करते हैं. वह बहुत चुनौतीपूर्ण है, जिस तरह से वे हल करते हैं क्राइम को. दिन-रात, उन्हें उस क्राइम के भीतर रहना होता है और उसे सुलझाने की कोशिश करनी होती है. वो 24 घंटे पहरे पर हैं जो बिल्कुल भी आसान नहीं है.''
एक्टर ने कहा, "फिल्म के बारे में एक अच्छी बात यह है कि हम पुलिस अधिकारियों में मानसिक बीमारी के बारे में भी बात कर रहे हैं. लोगों को यह समझने की जरूरत है कि पुलिस में होने का मतलब यह नहीं है कि आप एक मैचो मैन हैं. वह हमेशा एक हीरो ही नहीं होते हैं. उनकी पर्सनल लाइफ में कई तरह की समस्याएं आती हैं. अपनी फिल्म के जरिए से हम इस पर बात करना चाहते हैं.''
वहीं, जब एक्टर से यह पूछा गया कि क्या उन्हें भारत में हुआ कोई क्राइम याद है. तब राजकुमार राव ने कहा, "कुछ अपराध ऐसे हैं जो अब भी मेरी याद में ताजा हैं. बुराड़ी सुसाइड का मामला बहुत परेशान करने वाला था. जब तंदूर हत्याकांड हुआ था तब मैं बहुत छोटा था. मुझे अब भी आरुषि तलवार डबल मर्डर केस और निठारी सीरियल किलिंग केस याद है. मुझे लगता है कि आर्टिस्ट बहुत इमोशनल होते हैं. इसलिए जब मैं कुछ पढ़ता या देखता हूं, तो कुछ दिनों के लिए बहुत परेशान हो जाता हूं.''
बता दें कि दिल्ली के बुराड़ी की मौत का मामला साल 2018 में सामने आया था. यह एक भयानक घटना थी, जहां दिल्ली के बुराड़ी में एक परिवार के 11 सदस्यों की मौत हो गई थी. कई लोगों ने इसे सामूहिक आत्महत्या का मामला बताया. इसके अलावा, तंदूर हत्याकांड का मामला दिल्ली युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील शर्मा का था, जिन्होंने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या करने के बाद उसके शव को तंदूर में जला दिया था. उन्हें साल 2003 में मौत की सजा सुनाई गई थी.