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जयदीप अहलावत, वो ऑनस्क्रीन प्रेमी जो अधूरी चाहतों का पूरा दर्द रखता है सहेजकर, नोट‍िस किया?

जानदार एक्टिंग परफॉरमेंस की पहचान बन चुके जयदीप अहलावत जब स्क्रीन पर हों तो उनसे नजरें हटाना नामुमकिन है. लोगों को उनके निभाए किरदार आइकॉनिक हो जाते हैं. मगर जयदीप के काम की एक साइड पर लोगों का ध्यान कम जाता है- उनके निभाए प्रेमी के किरदार.

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'थ्री ऑफ अस' में जयदीप अहलावत, शेफाली शाह
'थ्री ऑफ अस' में जयदीप अहलावत, शेफाली शाह

नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही फिल्म 'थ्री ऑफ अस' इन दिनों खूब चर्चा में है. डायरेक्टर अविनाश अरुण की ये फिल्म जिंदगी को और रिश्तों को देखने का एक खूबसूरत नजरिया लेकर आई है. एक सुकून और खूबसूरती भरे ठहराव के साथ कहानी कहती इस फिल्म में शेफाली शाह, स्वानंद किरकिरे और जयदीप अहलावत ने काम किया है. 

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'थ्री ऑफ अस' में तीनों एक्टर्स का काम अपने आप में एक्टिंग की मास्टरक्लास है. आंखों की कलाकारी से अपने किरदार को पेंट करतीं शेफाली शाह और छोटे-छोटे बारीक जेस्चर से सीन की जान बन जाते स्वानंद किरकिरे तो बेहतरीन हैं ही. लेकिन जयदीप पीछे रह गए प्रेमी की ऐसी छवि गढ़ते हैं, जो एक तरफ तो बहुत नई लगती है और दूसरी तरफ प्रेम की किसी प्राचीन परिभाषा की तरह, जिसे आगे बढ़ती सभ्यता ने जैसे भुला दिया है.

कैसे असर करता है रोमांटिक किरदार में जयदीप का काम
'थ्री ऑफ अस' देखने से पहले अगर कोई आपसे पूछे कि जयदीप अहलावत, एक प्रेमी के रोल में कैसे लगेंगे? तो शायद इसका जवाब ठीक-ठीक दे पाना मुश्किल होगा. आखिरकार, दशकों से हिंदी सिनेमा ने जनता में रोमांस का देवता बन जाने वाले किरदारों को चेहरा-मोहरा और कद-काठी ही ऐसी दी है. रोमांटिक किरदार सोचते ही जो सिनेमेटिक मापदंड ध्यान में आते हैं, उनमें किसी भी तरह जयदीप का नाम नेचुरली दिमाग में आना मुश्किल है. 

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'थ्री ऑफ अस' में जयदीप अहलावत (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

उनका अपीयरेंस है ही इतना रौबदार, सख्त और चट्टान जैसा कि उसमें से फूल जैसा कोमल दिल निकल आने की संभावना मुश्किल लगती है. लेकिन यहीं 'थ्री ऑफ अस' का प्रदीप आता है, इस बात का आभारी है कि 28 साल बाद उसके बचपन की प्रेमिका ने दो दिन के लिए ही सही उसकी जिंदगी में ये खूबसूरत दखल तो दिया. याददाश्त खो रही शैलजा जब कहती है कि पता नहीं उसे कबतक याद रख पाएगी तो वो तुरंत कहता है- 'मैं रखूंगा याद'. 

प्रदीप के किरदार का तो ये कमाल है ही, और जयदीप के अभिनय का भी. मगर फिल्म देखते हुए आप इस बात से सहमत होंगे कि ऐसे किरदार में जयदीप को न सोच पाना, उन्हें इसके लिए सबसे उपयुक्त एक्टर बनाता है. ये बात 'थ्री ऑफ अस' के पक्ष में बहुत खूबसूरती से काम करती है. लेकिन इसे जादू को कायदे से स्क्रीन पर बुनने में उस हुनर का बड़ा हाथ है जो जयदीप के पास है.

एक्टिंग का उसी हुनर इस दर्शकों के दिमाग में बनी 'इमेज' के विरोधाभास को तोड़ता है. और जयदीप ने ये पहली बार नहीं किया. ये बिल्कुल भी पहली बार नहीं है कि जयदीप की परफॉरमेंस का रोमांटिक हिस्सा दिल की गहराइयों में गूंजता है. ये पहले भी हुआ है... 

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जानेजां  
2023 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'जानेजां' में भी जयदीप ने ऐसा ही एक रोल निभाया था. फिल्म के बड़े हिस्से में आप जयदीप को गणित को घोलकर पी गए एक अधेड़ टीचर के रूप में देखते हैं. उसका दिमाग इतना कर्रा है कि वो अपनी पड़ोसन (करीना कपूर) को एक मर्डर से साफ बच निकलने का पूरा ब्लू प्रिंट बनाकर दे देता है. 

'जानेजां' में जयदीप अहलावत (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

मगर कहानी में मर्डर की जांच कर रहे कॉप के रोल में विजय वर्मा को यूं ही नहीं कास्ट किया गया था. वो ऑलमोस्ट पूरा केस क्रैक कर ही लेते हैं. लेकिन तभी 'जानेजां' का वो मोमेंट आता है, जो दिल झिंझोड़ देता है. इस मोमेंट के सेंटर में प्रेम है. टीचर का प्रेम. अधूरा प्रेम, जिसे पर्दे पर जीते जयदीप एक्टर नहीं, एक्टिंग के जादूगर लग रहे थे. 

अजीब दास्तान्स 
नेटफ्लिक्स की ही इस हिंदी एंथोलॉजी फिल्म में पहला हिस्सा था 'मजनू'. शशांक खेतान के डायरेक्ट किए हुए इस हिस्से में जयदीप अहलावत ने बबलू भैया का रोल निभाया था. पॉलिटिक्स और पावर के लिए बबलू भैया ने लिपाक्षी (फातिमा सना शेख) से शादी तो कर ली मगर सुहागरात पर ही कह दिया कि वो किसी और से प्यार करता है, इसलिए उसे नहीं कर पाएगा. 

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कहानी में जब ये राज खुलता है कि बबलू किसे प्यार करता है तो जयदीप को स्क्रीन पर देखना एक कमाल का अनुभव बन जाता है. कहानी के अधिकतर हिस्से में ताकत का सिंबल बना ये आदमी अपनी सेक्सुअलिटी की वजह से अपने अंदर किस कदर वल्नरेबल है, ये जयदीप के काम से पूरी तरह निकलकर आता है. 

'अजीब दास्तान्स' में जयदीप अहलावत (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

इस समझौता शादी से बाहर दिल की उड़ान खोज रही उसकी पत्नी लिपाक्षी जब प्रेम में ठगी जाती है, तो उसे मार डालने के इरादे से निकला बबलू इस कदर नर्म पड़ जाता है कि इमोशनल दर्शकों की आंखें भी नम हो सकती हैं. लेकिन कहानी का अंत ये ट्रैजिक पॉइंट छोड़ जाता है कि प्रेम में ठगा तो बबलू भी गया है.

लस्ट स्टोरीज 
2018 में जब ये नेटफ्लिक्स फिल्म रिलीज हुई, तबतक जयदीप की शाहिद खान (गैंग्स ऑफ वासेपुर) वाली इमेज लोगों के दिमाग में बसी हुई थी. वो 'कमांडो' में विलेन बन चुके थे और कई फिल्मों में इसी तरह के किरदार निभा रहे थे जो उनकी कद काठी को सूट कर रहे थे. लेकिन 'लस्ट स्टोरीज' में डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी के बनाए हिस्से में जयदीप ने शादीशुदा रीना (मनीषा कोइराला) के प्रेमी सुधीर का किरदार निभाया था. ऊपर से कहानी का ट्विस्ट ये कि रीना का पति सलमान (संजय कपूर) उसका दोस्त है. 

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'लस्ट स्टोरीज' में जयदीप अहलावत (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

कहानी के हिसाब से सुधीर को प्रेम में चूकना था. मगर जितना करना था, उतने में जयदीप की आंखें, उनकी बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन भावों के ठहराव देखने लायक थे. ये पहला मौका था जब शायद जयदीप के चट्टानी बाहरी ढांचे को तोड़कर, किसी डायरेक्टर ने उसके अंदर का दिल स्क्रीन पर रखा था.

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