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जब पसीना सुखाने के ल‍िए मॉल में बैठते थे जयदीप अहलावत, सुनाया स्ट्रगल के दिनों का किस्सा

जयदीप अहलावत और विजय वर्मा ने अपने स्ट्रगल के दौर को लेकर बात की है. बिना किसी कनेक्शन के इंडस्ट्री में आए इन कलाकारों ने आज अपनी बड़ी पहचान बना ली है और इन्हें आज इंडस्ट्री के सबसे दमदार किरदारों में गिना जाता है.

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जयदीप अहलावत, विजय वर्मा
जयदीप अहलावत, विजय वर्मा

बॉलीवुड के दो बेहद टैलेंटेड कलाकार, जयदीप अहलावत और विजय वर्मा अभी तक कुछ ही फिल्मों में साथ नजर आए हैं, जैसे 'बागी 3' और 'जाने जां'. लेकिन इन दोनों में काफी पुरानी दोस्ती है, विजय और जयदीप, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट (FTII) पुणे में साथ पढ़े हैं. बल्कि 'स्त्री 2' स्टार राजकुमार राव भी इनके क्लासमेट रहे हैं. इन तीनों ने साथ में फिल्म 'चिटगोंग' (2012) में काम किया है. 

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बिना किसी कनेक्शन के इंडस्ट्री में आए इन कलाकारों ने आज अपनी बड़ी पहचान बना ली है और इन्हें आज इंडस्ट्री के सबसे दमदार किरदारों में गिना जाता है. विजय और जयदीप को राजकुमार राव के मुकाबले थोड़ा ज्यादा समय लगा लेकिन दोनों का कहना है उन्हें अपने दोस्तों की वजह से कभी लगा ही नहीं कि वो स्ट्रगल कर रहे हैं. 

'पैसे नहीं थे, तब भी राजा थे' 
द हॉलीवुड रिपोर्टर के साथ एक बातचीत में जयदीप ने कहा, 'लोग जिसे स्ट्रगल कहते हैं, हमें उस तरह लगा ही नहीं क्योंकि हमारे साथ ऐसे लोग थे जिनके साथ हम ये स्ट्रगल शेयर कर रहे थे.' विजय ने उनकी बात में जोड़ते हुए कहा, 'कुछ भी ना होने के बावजूद, हमें लगता था हमारे पास सबकुछ है और हम राजा हैं.' दोनों ने ये भी कहा कि भले तब उनके पास पैसे कम थे, मगर FTII और उसके ठीक बाद के कुछ दिन उनकी जिंदगी के सबसे खुशियों भरे दिन थे. विजय ने कहा, 'हम बिना किस एजेंडे के, बेपरवाह जी रहे थे.' 

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पसीना सुखाने के लिए मॉल में जाते थे जयदीप
हालांकि, जयदीप ने कहा कि मुंबई में ट्रेवल करना बहुत मुश्किल था. 'एक दिन मैंने पैसे बचाने के लिए एक बस ली. मैं जब तक मलाड से इनफिनिटी मॉल पहुंचा, पसीने में पूरी तरह भीग गया था. तो मैं बस मॉल में घुस गया और थोड़ी देर वहां बैठा रहा. जब भी मैं मलाड से ये रूट लेता, ये मेरा रूटीन बन गया था' जयदीप ने बताया. 

उन्होंने आगे कहा, 'मुंबई में आप आधे वक्त आप भीगे रहते हैं, चाहे बारिश में या पसीने में. और मुझे बहुत पसीना आता है. एक दिन मुझे ये एहसास हुआ कि मैं ये नहीं कर सकता. मैंने तय किया कि अगर एक रोटी कम भी खानी पड़े, तो भी मैं दोबारा इस तरह सफर नहीं करूंगा. तो मैं इनफिनिटी मॉल के अंदर जाता था और आधे घंटे फ्री एसी में बैठता था, फिर आगे का सफर शुरू करता था.' 

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