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जब शाहरुख खान की फ‍िल्म का ये गाना ल‍िखने से जावेद अख्तर ने किया इनकार, पूरा किस्सा है मजेदार

किस्सा बताते हुए अख्तर साहब ने कहा कि एक दिन मेरे पास आशुतोष गोवारिकर का मैसेज आया. उन्होंने लिखा कि मैं वाय नाम की जगह पर हूं और शाहरुख के साथ पिक्चर बना रहा हूं. आप यहां आ जाइए. मुझे आपकी जरूरत है.

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जावेद अख्तर
जावेद अख्तर

स्क्रिप्ट राइटर, लेखक और गीतकार जावेद अख्तर के जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने एक मशहूर डायरेक्टर को एक गाना लिखने से साफ इनकार कर दिया. क्योंकि वो गाना रामचरितमानस के प्रसंग पर आधारित था. दरअसल, इससे जुड़ा किस्सा जावेद अख्तर ने 'साहित्य आजतक 2023' में सुनाया. दिल थामकर बैठिएगा, किस्सा काफी दिलचस्प है और मजेदार भी. 

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जावेद ने सुनाया किस्सा
फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर फिल्म 'स्वदेस' बना रहे थे. इसमें एक गाना था 'पल पल है भारी...', इसे लिखने के लिए जावेद अख्तर को उन्होंने बुलाया. 

किस्सा बताते हुए अख्तर साहब ने कहा कि एक दिन मेरे पास आशुतोष गोवारिकर का मैसेज आया. उन्होंने लिखा कि मैं वाय नाम की जगह पर हूं और शाहरुख के साथ पिक्चर बना रहा हूं. आप यहां आ जाइए. मुझे आपकी जरूरत है. मैं अगले ही दिन वहां के लिए निकला. जब पहुंचा तो प्रोडक्शन की गाड़ी मेरा इंतजार कर रही थी. चार घंटे ट्रैवल करके मैं गंतव्य स्थान पर पहुंचा. मैं कमरे में था, आशुतोष उस दिन का काम और शूटिंग खत्म करके मेरे से मिलने के आए. 

"उन्होंने मेरे से कहा कि रहमान साहब तो कल इंग्लैड जा रहे हैं वो भी 3 महीनों के लिए. मेरी फिल्म का एक गाना वो करने वाले थे, वो अब नहीं कर पाएंगे. मुझे ये गाना जल्दी में शूट करना है. एक कमरे को स्टूडियो में तब्दील कर दिया था. कल के लिए सबको समय भी दे दिया गया है. शूटिंग के लिए सब आ जाएंगे. आप इस-इस तरह गाना लिख दीजिए. मैंने कहा कि मुझे कम से कम स्थिति तो बताओ. मेरे दिमाग में चल रहा था कि मैं ये काम कल शाम तक कर दूंगा, लेकिन जब आशुतोष ने मुझे पूरी स्थिति बताई तो मैंने मना कर दिया. क्योंकि उन्होंने मुझे पूरा सीता हरण और राम और रावण को लेकर पूरा वाकया बताया था. मैंने सिचुएशन सुनकर मना कर दिया कि मैं नहीं लिख पाऊंगा. अगर पहले बताते तो मैं 2-4 किताबें ले आता. मैं नहीं कर सकता हूं."

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आशुतोष ने कहा मुझे पता है आप लिख लेंगे. कुछ बातें और मेरा हौसला बढ़कर वो वहां से उस रात चले गए. मैं वैसे तो रोज रात में 1 या डेढ़ बजे तक सोता नहीं. उस दिन मैं 9 बजे सो गया, वो भी डर के मारे. सुबह मेरी 5 बजे आंख खुली. मैं लिखने बैठा. सोचा कि 1-2 लाइन लिख पाऊंगा, लेकिन मैंने 1-1.5 घंटे में वो पूरा गाना लिख दिया. ये लोग आए, गाना सुना और इन्हें वो गाना पसंद आया. जिसकी मुझे उम्मीद तक नहीं थी. फिर ये गाना कुछ लोगों को सुनाया गया जो रामचरितमानस से कई सालों से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि जो तुलसीदास जी की पंक्ति आपने इसमें डाली है वो कमाल की है. मैं लखनऊ से ताल्लुक रखता हूं तो बचपन से मैंने रामायण देखी है. मेरे सबकॉन्शियस माइंड में वो चीज रह गई. मैंने गाने में डाल दी और सबको पसंद आई. 

ये जावेद साहब की जिंदगी में एक ऐसा किस्सा है जो उन्होंने कम जगह बताया है. कम लोग इसके बारे में जानते भी हैं. 

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