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'जब इलाज के नहीं थे पैसे, तबस्सुम दीदी ने की मदद', जॉनी लीवर ने बताया

जॉनी लीवर, तबस्सुम के परिवार के बहुत करीब थे. आजतक डॉट इन से बातचीत कर जॉनी ने बताया, 'अभी-अभी मेरी बेटी का कॉल आया था. उसने मुझे इसकी जानकारी दी. मैं तो इसे भी अफवाह मान रहा था. मैं उन्हें अपनी बड़ी दीदी मानता था. करियर की शुरूआत में उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया है. हम साथ में एक शो किया करते थे.

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जॉनी लीवर, तबस्सुम
जॉनी लीवर, तबस्सुम

बॉलीवुड जगत की जानी-मानी अदाकारा, टेलीविजन प्रेजेंटेटर, प्रोड्यूसर तबस्सुम गोविल का कार्डियाक अरेस्ट की वजह शुक्रवार की रात निधन हो गया. अचानक से हुए मौत से पूरी इंडस्ट्री सदमे में हैं. तबस्सुम के करीबी रहे जॉनी लीवर भी इस खबर से शॉक्ड हैं.

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जॉनी लीवर, तबस्सुम के परिवार के बहुत करीब थे. आजतक डॉट इन से बातचीत कर जॉनी ने बताया, 'अभी-अभी मेरी बेटी का कॉल आया था. उसने मुझे इसकी जानकारी दी. मैं तो इसे भी अफवाह मान रहा था. इससे पहले भी कोरोना के दौरान उनकी मौत की अफवाह उड़ चुकी थी. मैंने फौरन बेटे होशांग को कॉल कर यही कहा कि यह अफवाह चल रही है, तो उन्होंने भारी मन से कहा कि नहीं, आज ये अफवाह सच हो गई है. उनका बीते रात देहांत हो गया था. इस खबर पर अभी तक यकीन नहीं हो रहा है. समझ नहीं आ रहा है कि मैं कैसे रिएक्ट करूं.'

तबस्सुम को बड़ी बहन मानते थे जॉनी

जॉनी आगे कहते हैं, तबस्सुम जी के साथ मेरे घरेलू रिश्ते थे. मैं उन्हें अपनी बड़ी दीदी मानता था. करियर की शुरूआत में उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया है. हम साथ में एक शो किया करते थे. ये बात 1979 की होगी, जब कल्याण जी आंनद जी के वहां वो एंकर थी और मैं भी वहां मिमिक्री किया करता था. जब मुझे कोई जानता नहीं था, तब भी मुझ जैसे लड़के को वो अपने घर पर बुलातीं और प्यार से खाना खिलाती थीं. उनके घर पर इतना आना-जाना होने लगा कि कब मैं उन्हें अपनी दीदी मानने लगा, पता ही नहीं चला. जब भी घर पर महफिल सजती, तो जॉनी को बुलाओ, उनका डायलॉग होता था. यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने मेरे करियर को शेप देने में बहुत मदद की हैं. वो बहुत ही हेल्पफुल इंसान थीं. उन्होंने इंडस्ट्री में कई फिल्मों में मुझे रेकमेंड किया है. उनकी फिल्म में भी उन्होंने मौका दिया था. फुल खिले गुलशन-गुलशन में वो सारे बड़ी हस्तियों की इंटरव्यू किया करती थी, वहां भी मुझे मौका दिया था. उनका जाना बहुत कचोट रहा है, मेरी शुभचिंतकों में से वो एक थीं. वो सबसे प्यार से बात करती थीं. उनके हाउसहेल्प से लेकर कोई बड़ी हस्ती, सबके साथ वो समान व्यवहार से पेश आती थीं. उनकी यही खासियत उन्हें सबसे अलग करता था. हमारे बीच भी खूब जोक्स का अदाना-प्रदान होता था.

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जॉनी कहते हैं, मुझे याद है एक शो के सिलसिले में हम लंदन गए थे. मैं तो पहली बार विदेश गया था, मेरे पास उतने पैसे भी नहीं होते थे. वहां जाकर मेरी तबीयत खराब हो गई थी. यहां तक की डॉक्टर को दिखाने तक के एक्स्ट्रा पैसे मेरे साथ नहीं थे. उन्हें जब यह बात पता चली, तो फौरन मेरे पास आकर उन्होंने डांटते हुए कहा कि ये क्या है. उन्होंने पैसे हाथ में देते हुए कहा कि चलो डॉक्टर के पास. उनसे इतनी मोहब्बत थी कि जितना भी उनका जिक्र करूं, कहानी कम पड़ जाएगी. हमारी फैमिली एक दूसरे के घर आते जाते रहे हैं. आखिरी मुलाकात उनकी पोती की शादी के दौरान हुई थी. फिर अक्सर हम फोन पर बात किया करते थे. मेरा कोई फिल्म या शो देख लें, तो मुझे कॉल कहकर बताती थीं कि तुम्हें टीवी पर देखा, तो तुम्हारी याद आ गई. कोरोना के वक्त तो उनकी मौत की झूठी अफवाह ने डरा दिया था, फिर उस पर भी मजाक करते हुए उन्होंने कहा कि जॉनी मैं स्वर्ग से बोल रही हूं. काश वापस से वो कॉल आ जाए.

 

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