बेटा अपनी शादी से खुश नहीं है. पिता का बाहर अफयेर चल रहा है, बहन किसी और से प्यार करती है लेकिन शादी किसी और से कर रही है. परिवार एक है....लेकिन ये सारी परेशानियां इन्हीं के साथ है....फिर भी मेकर्स कह रहे हैं- जुग जुग जियो....हम से उम्मीद कर रहे हैं कि कहें- जुग जुग जियो. लगता है कि ये पूरी फिल्म ही अपने आप में एक 'Sarcasm' है जहां पर सारे रिश्ते टूटने की कगार पर हैं, लेकिन फिर भी जुग जुग जियो.
धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म हो...करण जौहर निर्माता हों तो इतना तो फिल्म देखने से पहले प्रिडिक्ट कर लिया जाता है कि कुछ ओवर द टॉप होने वाला है. जब डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठते थे तो हमे कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम जैसी फिल्में दे चुके हैं. एक ऐसी दुनिया दिखा चुके हैं जहां पर कॉलेज...कॉलेज सा नहीं होता है...प्यार कभी नॉर्मल नहीं लगता है....और रियलिटी, ये शब्द तो डिक्शनरी में ही नहीं है. खैर इस बार जुग जुग जियो का डायरेक्शन राज मेहता कर रहे हैं. लेकिन किससे प्रभावित हैं.....ये कहने की जरूरत नहीं.
एक सवाल मन में आता है कि फैमिली एंटरटेनर फिल्म किसे कहते हैं? जितनी हमारी समझ है तो मोटा-मोटा तो यही हिसाब है कि जो फिल्म पूरी फैमिली के साथ बैठकर देख सकें, थोड़ा चिल कर सकें, वो फैमिली एंटरटेनर है. लेकिन जहां हर रिश्ता टूटने की कगार पर हो, जहां सिर्फ और सिर्फ रिश्तों में हो रही लड़ाई-झगड़े की बात हो, उसे हम कैसे फैमिली एंटरटेनर कह दें. हां रीयल लाइफ में भी कई बार दिक्कतें आती हैं, रिश्तों में तनाव भी हो सकता है. लेकिन जुग जुग जियो ने जिस स्तर पर, जिस ऊंचाई पर उस तनाव को पहुंचा दिया है....बीच-बीच में लगता है कि कही फिल्म देखने के बाद अपने घर में कलेश शुरू ना हो जाए.
रिश्तों का माजक बना देना....शादी का मजाक बना देना....लॉजिक का मजाक बना देना... कौन से एंगल से फैमिली एंटरटेनर दिखाई पड़ता है. असल में बॉलीवुड को क्या लगने लगा है ना कि अब जो भी कॉमेडी दिखानी है, वो सिर्फ बिना सिर-पैर की हरकतों से ही जनरेट हो सकती है. मजेदार बात ये है कि जुग जुग जियो वो बिना सिर पैर वाली कॉमेडी भी नहीं कर पाई है. एक सीन में बड़े ही कॉन्फिडेंस के साथ अनिल कपूर, वरुण से कहते हैं कि तुमने मेरे प्यार को ठरक कैसे समझ लिया....मेरे साइड में एक शख्स बैठे थे, उन्होंने तुरंत बोला ऐसा कौन बाप बोलता है यार...ऐसा कहा होता है कभी.....यही वो सच्चाई है जो अभी तक बॉलीवुड और ये मेकर्स नहीं समझ पाए हैं.
हम नहीं उम्मीद करते कि आप सबकुछ रियल रखो....लेकिन कम से कम ऐसा तो दिखाओ कि हजम हो सके. जनता जर्नादन होती है..वो बहुत समझदार है. उसने कई सालों पहले उम्मीद छोड़ दी है कि वो बॉलीवुड फिल्मों में लॉजिक देखेगी...लेकिन फिर भी थोड़ा तो रिलेटेबल हो सकता है. अगर वो कनेक्शन भी खत्म हो जाएगा तो फैमिली एंटरटेनर के नाम पर आगे और क्या-क्या परोसा जाएगा, भगवान मालिक है.
चलो एक और सीन पर बात करते हैं. आजकल जो सीरियल बनते हैं...कई बार हम कहते हैं ना ये क्या दिखा दिया...ऐसा कहां होता है...वो सिंदूर वाला सीन या कुछ और....अब उसका बड़ा वर्जन अगर आप देखना चाहते हैं ना तो जुग जुग जियो बेस्ट एग्जांपल सेट कर सकती है. शादी का सीन चल रहा है....वरुण आते हैं और पूरी पानी की एक बाल्टी उस अग्निकुंड में उलट देते हैं जिसको साक्षी मानकर फेरे लिए जाते हैं. हम तो इंतजार कर रहे थे कि अब बैकग्राउंड में टिपिकल कोई सीरीयल वाला स्कोर बजेगा....15-20 बार सभी के चेहरे पर क्लोज अप होगा और फिर एक बड़ा ड्रामा. चलो क्लोज अप तो नहीं हुआ लेकिन बाकी सब देखने को मिल गया....कौन सी दुनिया में ये लोग जी रहे हैं? कौन उन्हें ये सब बता रहा है कि आम लोग या चलो अमीर लोग ऐसा करते हैं. अरे शादियां टूटती हैं...ब्रेक अप होते हैं...लेकिन ऐसा तो किसी ने नहीं किया....वैसे करना भी नहीं चाहिए...घर वाले जो हाल करेंगे, वो बताने की जरूरत नहीं.
एक पते की बात...ये फिल्म ना खूब चलेगी बॉक्स ऑफिस पर....इसलिए नहीं कि कुछ कमाल कर दिया है...इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया पर नए मीम्स की थोड़ी कमी सी महसूस हो रही है. जो सूनापान पैदा हुआ है, उसे जुग जुग जियो पूरा करने वाली है. फिल्म मसालेदार हो या ना हो...आपको अपनी जिंदगी में जरूर मसाला मिलने वाला है....और हां अपने असल रिश्तों को इन फिल्मी रिश्तों से बिल्कुल कंपेयर मत करना...प्लीज!!