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'द केरल स्टोरी' पर छिड़े विवाद को लेकर बोले कमल हासन- सिनेमा और राजनीति को एक चश्मे से न देखें

कमल हासन ने कहा- बतौर डायरेक्टर, राइटर और एक्टर मैंने कभी भी हाइपबुली पर भरोसा नहीं किया है. फिल्म की कहानी सभ्य होनी चाहिए और सच्ची घटना पर आधारित होनी चाहिए. अगर फिल्म में गलत चीजें दिखाई जा रही हैं.

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कमल हासन
कमल हासन

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ के कोवलम में हुआ. इस दौरान एक्टर-पॉलिटीशियन कमल हासन भी इसका हिस्सा बने. इस दौरान कमल ने कई चीजों पर बात की. पर गौर करने वाली बात थी उनका 'द केरल स्टोरी' पर छिड़े विवाद पर बोलना. कमल हासन का कहना रहा कि लोगों को सिनेमा और पॉलिटिक्स को एक चश्मे से नहीं देखना चाहिए. दोनों अलग-अलग चीजें हैं. 

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कमल हासन ने कही ये बात
कमल हासन ने कहा- बतौर डायरेक्टर, राइटर और एक्टर मैंने कभी भी हाइपबुली पर भरोसा नहीं किया है. फिल्म की कहानी सभ्य होनी चाहिए और सच्ची घटना पर आधारित होनी चाहिए. अगर फिल्म में गलत चीजें दिखाई जा रही हैं. उसमें कुछ मिसलीडिंग दिखाया जा रहा है तो ऐसे में कई बार पूरे सिनेमा की फिलॉस्फी पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं. मैं उन फिल्मों के खिलाफ हूं जो ओवर द टॉप जाती हैं. मैंने भी कई ओवर द टॉप फिल्में की हैं. 

"जब मैंने इन ओवर द टॉप फिल्मों को देखा कि नहीं चलीं. मेरी गलतियां रहीं तो मैंने कुद का प्रोडक्शन हाउस खोला, जिससे फिल्मों में दिखाई जाने वाली खामियों को मैं जान-पहचान सकूं. साथ ही फिल्म की कहानी को ऑडियन्स के सामने बेहतर ढंग से परोस सकूं. मेरे प्रोडक्शन हाउस में ज्यादातर फिल्में सिनेमैटिक तौर पर अच्छी हुई हैं. कई फिल्मों ने अच्छी कमाई की. कई ने नहीं की. पर सभी कहानियां सच्ची घटना पर आधारित रहीं. कहीं भी कॉन्टेंट के साथ कॉम्प्रोमाइज नहीं किया गया. कुछ भी गलत नहीं बताया गया." 

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"मैंने 'द केरल स्टोरी' अभी देखी नहीं है. मैंने सिर्फ उतना ही उस फिल्म के बारे में सुना है, जितना लोग कह रहे हैं. मुझे जहां तक चीजों के बारे में पता लगा है कि कहानी से कुछ चीजें खराब हो सकती थीं. पर आप नंबर्स बढ़ाकर नेशनल क्राइसिस की तरह इस फिल्म को नहीं दिखा सकते हैं. फिल्म में जो चीजें दिखाई गईं, वह एक सेक्शन की थीं. आप पूरे सेक्शन को इसके लपेटे में नहीं ले सकते हैं."

"रही बात बैन की, तो मैं किसी भी फिल्म को बैन नहीं कर सकता. मैं चाहता हूं कि हर फिल्म की कहानी लोगों तक पहुंचे. मैं सिर्फ इतना कर सकता हूं कि लोगों से गुजारिश कर सकूं कि वह फिल्म की कहानी को समझें और उसके परपज को समझें. मेरी एक फिल्म तमिलनाडू में बैन हो चुकी है. लोग आज भी सोचते हैं कि वह फिल्म आखिर बैन क्यों हुई. फिल्म का नाम था 'विश्वरूपम'. राज कमल फिल्म्स और तमिलनाडू फिल्म्स के बीच इस फिल्म को लेकर केस भी हुआ था जोकि हमने जीता. फिल्म रिलीज की. मैं किसी भी फिल्म को बैन करने के पक्ष में नहीं हूं. मैं चाहता हूं कि फिल्मों के ईर्द-गिर्द जो लोग पॉलिटिक्स करते हैं वह गलत है. सिनेमा और पॉलिटिक्स को मिक्स नहीं करना चाहिए."

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