कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर चल रहे विवाद में अब एक बड़ा मोड़ आया है. 6 सितंबर को रिलीज के लिए तैयार 'इमरजेंसी' सेंसर बोर्ड के पंगे में अटकी है और इसे अभी तक सेंसर सर्टिफिकेट नहीं मिला है. अब ये तय हो गया है कि कम से कम दो हफ्ते तक तो नहीं ही रिलीज हो सकती.
'इमरजेंसी' को सेंसर सर्टिफिकेट न मिलने को लेकर मेकर्स ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब कोर्ट ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) को आदेश दिया है कि वो 18 सितंबर तक 'इमरजेंसी' के सर्टिफिकेट पर फैसला ले. इसके बाद 19 सितंबर को कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा.
मेकर्स ने कहा जारी करके रोका गया सर्टिफिकेट
'इमरजेंसी' के मेकर्स जी स्टूडियोज, फिल्म को सर्टिफिकेट न मिलने को लेकर, मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे. मेकर्स ने कोर्ट से CBFC को फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश देने की मांग की, ताकि फिल्म तयशुदा रिलीज डेट- 6 सितंबर को रिलीज हो सके. मेकर्स ने अपनी पिटीशन में कहा कि CBFC ने 'अवैध और मनमाने ढंग से' सर्टिफिकेट रोक लिया है.
मेकर्स ने कोर्ट में कहा कि 8 अगस्त को CBFC ने 'इमरजेंसी' के प्रोड्यूसर (जी स्टूडियोज) और को प्रोड्यूसर (मणिकर्णिका फिल्म्स) को फिल्म में बदलाव करने के लिए कहा. इन बदलावों के बाद फिल्म को सर्टिफिकेट दिया जाना था.
14 अगस्त को मेकर्स ने CBFC से मिले निर्देशों के अनुसार, कट्स और बदलावों के साथ फिल्म सबमिट की. ये प्रोसेस पूरा होने के बाद 29 अगस्त को प्रोड्यूसर्स को CBFC से एक ईमेल मिला, जिसमें कहा गया कि फिल्म की सीडी सील (फाइनल) कर दी गई है और मेकर्स से सेंसर सर्टिफिकेट कलेक्ट करने की रिक्वेस्ट की गई.
इसके बाद मेकर्स को एक और ईमेल मिला जिसमें कहा गया कि सर्टिफिकेट सफलतापूर्वक जारी कर दिया गया है और ईमेल में सर्टिफिकेट का नंबर भी था. हालांकि जब मेकर्स एक्चुअल सर्टिफिकेट कलेक्ट करने पहुंचे तो उन्हें सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया.
मेकर्स ने कोर्ट में कहा कि उन्हें लगता है ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सिख समुदाय के कुछ संगठनों को 'इमरजेंसी' का ट्रेलर आपत्तिजनक लगा था और वे फिल्म की रिलीज का विरोध कर रहे थे.
2 सितंबर, 2024 को 'इमरजेंसी' के मेकर्स ने CBFC को सर्टिफिकेट के मुद्दे पर कानूनी नोटिस भेजा, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया. इसलिए अब कोर्ट में यह पिटीशन फाइल की गई है. जी स्टूडियोज की तरफ से एडवोकेट वेंकटेश ढोंड ने कोर्ट में कहा कि CBFC के पास जारी हो चुका सर्टिफिकेट रोकने की कोई वजह नहीं है. यदि किसी को फिल्म से आपत्ति है तो उसके लिए कानून में व्यवस्था है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रहा केस भी है बीच में
CBFC की तरफ से एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ ने कोर्ट को बताया कि जबलपुर के सिख समुदाय ने, 3 सितंबर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में, 'इमरजेंसी' की रिलीज का विरोध करते हुए पिटीशन दी थी. जिसकी सुनवाई में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को, 3 दिन के अंदर, CBFC के सामने अपनी आपत्तियों का रिप्रेजेंटेशन फाइल करने के लिए कहा था.
चंद्रचूड़ ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस रिप्रेजेंटेशन के आधार पर CBFC को उपयुक्त कदम उठाने के लिए कहा था. उन्होंने ये भी कहा कि जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने CBFC को ये निर्देश दिया है, तो बॉम्बे हाई कोर्ट उन्हें सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश नहीं दे सकता, क्योंकि ये भी एक हाई कोर्ट आदेश का उल्लंघन होगा.
कोर्ट का फाइनल ऑर्डर
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फाइनल ऑर्डर में कहा कि ये फैक्ट विवादित है ही नहीं कि 8 अगस्त को CBFC ने 'इमरजेंसी' को कुछ बदलावों के साथ 'U/A' सर्टिफिकेशन दिया. 14 अगस्त को मेकर्स ने बदलाव सबमिट किए और 29 अगस्त को शाम 4 बजकर 17 मिनट पर मेकर्स को सेंसर सफलतापूर्वक सर्टिफिकेट जेनरेट होने का ईमेल मिला. इसलिए CBFC की यह दलील स्वीकार्य नहीं है कि चेयरमैन के सिग्नेचर न होने की वजह से सर्टिफिकेट इशू नहीं किया गया. इसलिए CBFC की तरफ से, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दिया गया यह सबमिशन भी गलत है कि सर्टिफिकेट इशू नहीं किया गया है.
हाई कोर्ट ने CBFC को 13 सितंबर तक, जबलपुर के सिख संगठनों से मिली आपत्तियों या रिप्रेजेंटेशन पर फैसला लेने को कहा. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 18 सितंबर रखी गई. जिसपर एडवोकेट चंद्रचूड़ ने कहा कि गणपति उत्सव की छुट्टियां होने के नाते उन्हें कुछ और दिन का समय दिया जाए. हाई कोर्ट बेंच ने उन्हें कहा कि वो गणपति उत्सव के कारण काम न करने की बात नहीं कह सकते. हालांकि,कोर्ट ने CBFC को 18 सितंबर तक रिप्रेजेंटेशन्स पर फैसला लेने को कहा और सुनवाई की अगली तारीख 19 सितंबर तय की गई.