साउथ के बड़े स्टार सूर्या अपनी पहली पैन इंडिया रिलीज से जनता का दिल जीतने के लिए थिएटर्स में पहुंचने को तैयार हैं. उनकी फिल्म 'कंगुवा' 14 नवंबर को रिलीज होने जा रही है. सूर्या इस फिल्म में एक ऐसा संसार पर्दे पर लेकर आ रहे हैं, जो अभी तक किसी इंडियन फिल्म में नहीं दिखाया गया. बॉलीवुड स्टार बॉबी देओल 'कंगुवा' में सूर्या के सामने विलेन के रोल में हैं.
खुद सूर्या भी लॉकडाउन के बाद हिंदी ऑडियंस में अपनी दो फिल्मों से बहुत पॉपुलर हुए. उनकी फिल्में 'सोरारई पोटरू' और 'जय भीम' को हिंदी ऑडियंस ने भी ओटीटी पर खूब देखा और सूर्या को रीडिस्कवर किया, जिनकी तमाम फिल्मों के हिंदी रीमेक बने हैं. अब एक इंटरव्यू में सूर्या ने बताया है कि वो अपनी फिल्मों के जरिए मैसेज देने में यकीन रखते हैं, इसलिए भी लोगों को उनकी फिल्में याद रहती हैं और इसीलिए उत्तर भारत में भी लोग उन्हें उनकी पुरानी फिल्मों से याद रखते हैं.
फिल्मों में मैसेज हो तो याद रखते हैं लोग
द हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया के साथ बातचीत में सूर्या ने बताया कि हाल ही में वो वाराणसी में थे और वहां लोगों ने उन्हें ऑरिजिनल 'सिंघम' के तौर पर पहचान लिया था. सूर्या की ही 2011 में आई साउथ फिल्म 'सिंघम' का हिंदी रीमेक डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने बनाया था. इसमें अजय देवगन ने लीड रोल किया. सूर्या ने आगे कहा कि सिर्फ 'सोरारई पोटरू' और 'जय भीम' ही नहीं, बल्कि हिंदी ऑडियंस उन्हें ऑरिजिनल 'गजनी' और 'सिंघम' से भी पहचानती है. और इसकी वजह इन फिल्मों का असर है.
सूर्या ने कहा, 'मुझे लगता है कि हर फिल्म जिसमें एक्शन होता है, इमोशन होता है, उसमें कुछ मैसेज होता है. मैं फिल्मों से मैसेज देने में यकीन करता हूं. जब आप घर वापस जाएं तो फिल्म से आप में किसी तरह का कोई बदलाव तो आना चाहिए. ये आपको सोचने पर मजबूर करे, डिबेट करने के लिए फोर्स करे, ऐसा मुझे सच में लगता है.'
सूर्या के फिल्में देख आईपीएस बने लोग
इसके बाद सूर्या ने बताया कि कैसे उनकी फिल्में देखकर बहुत सारे लोगों ने आईपीएस के एग्जाम दिए. उन्होंने बताया, '2002 में मैंने 'काखा काखा' की थी. और 2002 से 2005 बैच के अधिकतर आईपीएस ऑफिसर्स ने 'काखा काखा' देखी है. बहुत लोग ये फिल्म देखकर आईपीएस ऑफिसर बने, कॉलेज स्टूडेंट आईपीएस ऑफिसर बने. लोगों ने अपनी नौकरियां छोड़कर आईपीएस एग्जाम लिखे. हाल ही में मैं एक डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से मिला, जिन्होंने कहा कि वो 'काखा काखा' देखने के बाद ऑफिसर बने.'
सूर्या का मानना है कि फिल्में वो हैं जो आपको बेहतर आदमी बनाएं, वो आपको लाइफ के लिए एक पर्सपेक्टिव दें. उन्होंने आगे कहा, ''सिंघम' भी ऐसी ही थी. मैं वाराणसी में था और लोगों ने मुझे 'सिंघम' के लिए पहचान लिया और मेरे साथ फोटो लेने आए. एक फिल्म देखने के बाद कुछ जिंदगियां बदलनी चाहिए. 'जय भीम' ने भी यही किया था. एक राज्य में कानून बदले गए. एक राज्य में मुख्यमंत्री ने वो फिल्म देखी और उन्होंने सर्वे करवाया, तीन लाख लोगों की जिंदगियां बदलीं. मैं उम्मीद करता हूं कि 'कंगुवा' भी ऐसी रहेगी.'
'कंगुवा' में है ये मैसेज
कंगुवा का मैसेज बताते हुए सूर्या ने कहा, 'मुझे लगता है कि जिंदगी में कुछ भी हो सकता है, लेकिन परिवार, दोस्त और आस्था सबसे महत्वपूर्ण हैं. जिंदगी चलती रहेगी, करियर चलता रहेगा. कभी कभी मुझे लगता है कि मैंने बहुत कुछ मिस कर दिया जब मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे, और शायद जो (सूर्या की पत्नी ज्योतिका का निक नेम) के साथ चीजें मिस कीं. जब आप कुछ खोते हैं, तभी आप कुछ पाते हैं. आपको चुनना पड़ता है, कि आप क्या खो सकते हैं और उसके बदले जो आप पा रहे हैं क्या वो उतना कीमती है?! 'कंगुवा' एक्शन और नए विजुअल्स और मजबूत इमोशंस का कॉम्बिनेशन होगी.'