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रणवीर सिंह और आलिया भट्ट स्टारर 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' बस कुछ ही दिन में बड़े पर्दे पर आने वाली है. इस शुक्रवार को थिएटर्स में पहुंच रही ये फिल्म डायरेक्टर करण जौहर के करियर में एक बड़ा लैंडमार्क भी है. बतौर डायरेक्टर करण की पहली फिल्म 1998 में रिलीज हुई थी. शाहरुख खान और काजोल के लीड रोल वाली 'कुछ कुछ होता है' से डायरेक्टर करण जौहर को शानदार शुरुआत मिली थी.
बीते कई सालों में करण ने फिल्में डायरेक्ट कम कीं, प्रोड्यूस ज्यादा कीं. अपनी 7वीं फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' से करण बतौर डायरेक्टर अपने 25 साल पूरे कर रहे हैं. अपने दौर की सबसे कामयाब फिल्मों में से एक 'कुछ कुछ होता है' आज भले लोगों के फिल्मी नॉस्टैल्जिया का हिस्सा हो, लेकिन इसके किरदारों के ट्रीटमेंट की आलोचना भी खूब होती है.
करण खुद भी कई बार मान चुके हैं कि इस फिल्म में उन्होंने कई बड़ी गलतियां की थीं. कुछ ही दिन पहले करण ने एक इवेंट पर फिर से कहा कि फिल्म की जेंडर पॉलिटिक्स बहुत गड़बड़ थी और इसकी कहानी बहुत 'सतही' थी. पहले भी 'कुछ कुछ होता है' की गलतियां स्वीकार करते हुए करण कह चुके हैं कि वो अपनी आने वाली फिल्मों में ऐसी गलतियां दोहराना नहीं चाहते. लेकिन क्या 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में करण इन गलतियों से बच पाए?
रणवीर-आलिया स्टारर, करण की लेटेस्ट फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा कि 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में भी कई रिग्रेसिव चीजें नजर आ रही हैं. आइए बताते हैं कैसे...
आलिया के किरदार का बंगाली स्टीरियोटाइप
'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में आलिया भट्ट का किरदार, रानी, एक बंगाली परिवार से आता है. रानी के बंगाली होने को करण की फिल्म उसी अंदाज में बताती है, जैसे बॉलीवुड फिल्में दशकों से करती आ रही हैं. फिल्म में जर्नलिस्ट का रोल कर रही आलिया, पूरे ट्रेलर में सिर्फ और सिर्फ साड़ी ही पहने दिखती हैं.
'कुछ कुछ होता है' याद कीजिए... टॉम बॉय स्टाइल वाली अंजलि (काजोल) को साइड कर देने वाला राहुल (शाहरुख खान), फैशनेबल और ग्लैमरस टीना (रानी मुखर्जी) के लिए दिल बिछाए फिरता है. लेकिन वही अंजलि जब दोबारा, राहुल को साड़ी पहने-लंबे बाल लहराती दिखती है तो उसके दिल में कुछ-कुछ होने लगता है. 2016 में एक इवेंट में करण ने कहा था कि उन्हें इस तरह की क्रिएटिव चॉइस का बड़ा अफ़सोस है. लेकिन 7 साल बाद वो फिर से इसी तरह की चॉइस अपनी फिल्म में दिखा रहे हैं.
रानी के पिता का किरदार निभा रहे एक्टर भी ट्रेलर में कुर्ते पहने, कंधे पर शॉल लिए दिखते हैं. घर में रवीन्द्रनाथ टैगोर की तस्वीर और आलिया के परिवार के सभी लोग 'एजुकेटेड-इंटेलेक्चुअल' स्टीरियोटाइप वाले हैं. और बंगाली स्टीरियोटाइप बिना दुर्गा पूजा के कहां पूरा हो सकता है, तो रॉकी-रानी पर फिल्माया दुर्गा पूजा गाना भी फिल्म में है.
किसी अनोखी दिल्ली से आया रॉकी
करण ने खुद ही ये माना है कि, इतने सालों बाद आज 'कुछ कुछ होता है' में उन्हें बहुत कुछ सतही नजर आता है. अब करण की लेटेस्ट फिल्म में रणवीर सिंह का निभाए किरदार रॉकी को देखिए. रॉकी दिल्ली का लड़का है. फिल्म के पूरे ट्रेलर में रॉकी के आउटफिट देखकर, दिल्ली वाले भी हैरान रह जाएं कि ऐसे लड़के दिल्ली में कहां होते हैं! दिल्ली वाले किरदारों का 'शोशेबाजी' वाला स्टीरियोटाइप तो अब खुद बॉलीवुड में ही ख़त्म होता जा रहा है.
एक पक्का दिल्लीवाला होने के नाते, इस आर्टिकल का राइटर ये स्वीकार करता है कि हमें अपनी कारों में डेंट मारने वाले हरगिज नापसंद होते हैं. भले वो हमारे अपने करीबी हों या गर्लफ्रेंड ही. इसलिए ट्रेलर में रानी के गाड़ी ठोकने पर रॉकी का चिढ़ना कि 'कल ही रबिंग कराई थी' फिर भी जायज है. लेकिन 'दिल्ली दे मुंडे' इस कदर डम्ब नहीं होते कि 'वेस्ट बंगाल किधर है' का जवाब न दे सकें.
ये सच है कि दिल्ली के लड़के डोले चमकाने और ऐब्स बनाने के बड़े शौकीन हैं. मगर दिन भर शर्ट के बटन खोलकर नहीं घूमा करते. और साल के 6 महीने, 35-40 डिग्री तापमान में जीने वाले हम लोग रोज इस तरह घूमें तो हमारी हॉट बॉडी चमकना तो नहीं, लेकिन हीट स्ट्रोक से हॉस्पिटल पहुंच जाना पक्का है. अपनी गर्लफ्रेंड के पेरेंट्स से उड़-उड़ के गले चिपटने वाला रॉकी ऐसी कौन सी दिल्ली से आता है, ये खुद दिल्ली के लड़कों के लिए एक सोशल रिसर्च का टॉपिक हो सकता है!
खुद रणवीर ने अपनी पहली ही फिल्म 'बैंड बाजा बारात' में एक परफेक्ट दिल्ली वाले लड़के का रोल किया था. माना कि उसमें रणवीर का किरदार वेस्ट दिल्ली से था और करण जौहर की फिल्म में सबकुछ शानदार दिखाना ज्यादा जरूरी है. तो साउथ दिल्ली का लड़का ही बना देते, वो भी चल जाता.
ऐसी दिल्ली, जो दिल्ली में ही नहीं है
'कुछ कुछ होता है' पर एक बार फिर वापस लौटते हैं. आपको फिल्म में रायचंद फैमिली का महल जैसा घर जरूर याद होगा, जिसके दरवाजे पर हेलिकॉप्टर लैंड होता है और शाहरुख खान उतरते हैं. लेकिन क्या आपको याद है कि ये घर था किस जगह? कहानी के हिसाब से ये घर दिल्ली में था! करण ने ये घर दिखाने के लिए जो बकिंघमशायर, इंग्लैंड के शॉट्स यूज किए थे. उस वक्त भी फिल्म देखने पहुंचे दिल्ली वाले हैरान थे कि उनके शहर में ऐसा घर कहां होता है.
अब 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में, रॉकी का घर 'रंधावा पैराडाइस' फिर से कुछ ऐसा है दिख रहा है कि इसे दिल्ली का मानने के लिए दिल नहीं राजी होता. ये तो फिल्म से जुड़े लोग ही बता सकते हैं कि इस बार करण ने ये 'दिल्ली वाला घर' कहां शूट किया है. करण ये तो हाल ही में मान लिया कि 'कुछ कुछ होता है' में चीजें सतही थीं. तो अब 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में कैसी हैं!
एक्सेंट का घालमेल
बॉलीवुड को अब कम से कम इस स्टीरियोटाइप से तो निकल ही आना चाहिए कि पंजाबियों की अंग्रेजी बहुत खराब होती है. 2007 में आई 'नमस्ते लंदन' में अक्षय कुमार का फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाला सीन, इस स्टीरियोटाइप की झंड बहुत पहले कर चुका है. लेकिन 16 साल बाद करण का रॉकी अभी भी बड़े पर्दे पर इसी स्टीरियोटाइप में जी रहे है. 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' के एक डायलॉग प्रोमो में रॉकी को 'कुलीग' नहीं समझ आ रहा. वो पलट कर पूछ रहा है- 'मदर साइड या फादर साइड'. मतलब वो 'कुलीग' को 'कजिन' समझ रहा है. ऐसे जोक पर माथा न पकड़ा जाए तो क्या किया जाए!
'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में सिर्फ पंजाबियों की खराब हिंदी वाला ही नहीं, बल्कि बंगालियों की खराब हिंदी वाला भी स्टीरियोटाइप है. ट्रेलर के आखिरी सीन में रानी की मम्मी 'मैं आता हूं' बोल रही हैं. जबकि इसी ट्रेलर में, कुछ सीन पहले वो अपनी बेटी से फोन पर बात करते हुए परफेक्टली कह रही हैं- 'ऐसे लड़के से शादी करने का तुम सोच भी कैसे सकती हो?'
ट्रेलर के जिस आखिरी सीन की बात हम कर रहे हैं, उसे फिल्म में एक डबल-मीनिंग जोक की तरह रखा गया है. ध्यान देने वाली बात ये है कि इस सीन में अगर रानी की मम्मी 'मैं आती हूं' भी बोलतीं, तब भी सीन का असर वैसा ही रहता. ये जोक अपने आप में बहुत क्रिंज है, फिर भी किसी तरह झेला जा सकता है. लेकिन पहले ही क्रिंज लगने वाले जोक में किसी की एक्सेंट का, उसकी आइडेंटिटी का मजाक उड़ाना चुना गया, ये कैसे सहा जाए!
हाल ही में हुए जिस इवेंट में करण ने, 25 साल पुरानी अपनी पहली फिल्म की गलतियां स्वीकार कीं, वहां रणवीर सिंह भी मौजूद थे. रणवीर करण की बातों पर कहा, 'वोक जमाने में नहीं चलतीं 'कुछ कुछ होता है'. रणवीर की बात पर करण ने कहा कि मामला 'वोक' होने का ही नहीं, 'सिनेमा में किरदारों के रिप्रेजेंटेशन' का है. 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' के डायरेक्टर और हीरो को अब ये जरूर सोचना चाहिए कि उनकी फिल्म 'वोक' के पैमाने पर, या 'किरदारों के रिप्रेजेंटेशन' के पैमाने पर क्या दिखा रही है. और इतनी गलतियां अभी सिर्फ ट्रेलर में ही दिख रही हैं, पिक्चर तो अभी बाकी है!