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सामने आई Lata Mangeshkar की आख‍िरी तस्वीर, बहन के सिरहाने बैठी दिखीं आशा

अपनी कोयल जैसी आवाज से हमारे दिलों में जगह बनाने वाली लता मंंगेशकर के अंतिम दर्शन को हजारों लोगों की भीड़ उमड़ आई है. अपनी आखिरी तस्वीर में महान गायिका तिरंगे में लिपटी दिख रही हैं. तस्वीर देख कर दिल जैसे बैठ सा गया.

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लता मंगेशकर
लता मंगेशकर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नम आंखों से लता मंगेशकर को विदाई
  • लता मंगेशकर को पीएम ने दी श्रद्धांजलि

लता मंगेशकर इंसानों की दुनिया की वो शख्सित जिसे लोगों ने दिलों में मां सरस्वती का दर्जा हुआ है. 92 साल की उम्र में महान गायिका ने दुनिया को अलविदा कह दिया. तिरंगे में लिपटकर लता मंगेशकर अपने अंतिम सफर पर निकल चुकी हैं. रविवार शाम मुंबई के शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. अंतिम संस्कार से पहले महान गायिका की आखिरी तस्वीर सामने आई, जिसे देख कर हर किसी की आंखें नम हो गई हैं. 

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लता मंगेशकर की आखिरी तस्वीर 
अपनी कोयल जैसी आवाज से हमारे दिलों में जगह बनाने वाली लता मंंगेशकर के अंतिम दर्शन को हजारों लोगों की भीड़ उमड़ आई. अपनी आखिरी तस्वीर में महान गायिका तिरंगे में लिपटी दिख रही हैं. उनके सिरहाने बहन आशा भोसले बैठी दिख रही हैं. वहां मौजूद लोग उन्हें आखिरी सलाम देते हुए देखे जा सकते हैं. 

लता मंगेशकर की आखिरी तस्वीर

तस्वीर देख कर दिल जैसे बैठ सा गया. इस वक्त आंखों देखी तस्वीर पर विश्वास करने को दिल नहीं कर रहा है. दिल से बस यही आवाज आ रही है कि काश ये सब एक झूठा सपना हो और लता मंगेशकर उठ कर फिर से अपनी मीठी आवाज में एक गाना सुना दें. 

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हम कितना ही कुछ कह लें, लेकिन सच यही है कि अब लता मंगेशकर कभी नहीं जागेंगी. अब वो धरती नहीं, बल्कि जन्नत की हसीन दुनिया को अपनी मधुर आवाज से रोशन करने वाली हैं. कुछ ही देर में लता मंगेशकर को राजकीय सम्मान के साथ श‍िवाजी पार्क में अंत‍िम विदाई दी जाएगी. लता दीदी को अंतिम देने के लिये कई बड़े-बड़े दिग्गज नेता-अभिनेता भी वहां पहुंच चुके हैं. 

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लता मंगेशकर की आखिरी तस्वीर

लता दीदी हर दिल अजीज थीं और उनकी अंतिम विदाई पर उमड़े हुजूम ने ये साबित भी कर दिया है. लता मंगेशकर की अंतिम विदाई का वीडियो बहुत कुछ बयां कर रहा है. 

बचपन से किया संघर्ष 
लता मंगेशकर के बाद हर कोई बस यही कह रहा है कि दुनिया में कोई दूसरी लता बना सकती है. ये कामयाबी और शोहरत पाने के लिये उन्होंने बचपन से ही काफी मेहनत की. दर-दर भटकीं, लेकिन मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखी. उन्होंने अपनी राहें खुद चुनीं और उस पर चल कर मंजिल तक भी पहुंचीं. परिवार चलाने के लिये उन्होंने अपनी कई इच्छाओं का गला घोट दिया और जिंदगीभर मलाल तक नहीं किया. 

लता दीदी को हमारा अंतिम सलाम. आप बहुत याद आयेंगी. 

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